विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने भूकम्प विज्ञान को एक प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के रूप में निर्धारित किया है। इसका उद्देश्य अनुसन्धान और समाज दोनों के प्रयोग के लिये उच्च कोटि का भूकम्प सम्बन्धी आँकड़ा तैयार करना है। इस कार्यक्रम के अधीन हिमालय क्षेत्र और प्रायःद्वीपीय शील्ड क्षेत्र में दो विशिष्ट परियोजनाएँ शुरू की गई।
उत्तर पश्चिमी हिमालय और भारत के पूर्वोत्तर भाग में दो महत्त्वपूर्ण भूकम्पनीय प्रवण क्षेत्रों की भूकम्प गतिविधि पर निकट से नजर रखी जा रही है। 30 भूकम्पनीय स्टेशनों का स्थानीय नेटवर्क और 3 प्रवल चलन एक्सीलेरोग्राफ व्यूह की इस कार्यक्रम के अधीन स्थापना की गई है और उन्होंने कार्य करना जारी रखा है।
तैयार किये गए भूकम्प सम्बन्धी आँकड़े, अध्ययन क्षेत्र के अधःस्तर भू-वैज्ञानिक लक्षणों का संरेखन करने के लिये इस्तेमाल में लाये जा रहे हैं। इसके अलावा, अन्य सम्पार्श्विक भूभौतिकी और ज्यौडेटिक प्रेक्षण यथा, राडोन, गुरुत्व और चुम्बकीय मापनों का कार्य भी चुने हुए ट्रासैक्टों के साथ-साथ किया जा रहा है।
लातूर-उस्मानाबाद क्षेत्र में 30 सितम्बर, 1993 को आये भूकम्प के परिणामस्वरूप सरकार ने कई राष्ट्रीय/अन्तरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों का मार्गदर्शन प्राप्त किया ताकि प्रायःद्वीपीय शीड क्षेत्र में भूकम्प सम्बन्धी मानीटरिंग क्षमताओं के स्तर को उठाया जा सके।
इन विश्लेषणों ने यह सिफारिश की है कि प्रायःद्वीप शील्ड में आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल करके आधुनिक संचार सुविधाओं के साथ भूकम्प वैज्ञानिक नेटवर्क का आधुनिकीकरण किया जाये और उनका दर्जा बढ़ाया जाये तथा साथ ही महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में सम्पार्श्विक भूभौतिकी सर्वेक्षण किया जाये। तद्नुसार प्रायःद्वपीय शील्ड क्षेत्र में भूकम्प वैज्ञानिक यंत्रीकरण का दर्जा उन्नत करने और सम्बन्धित भू-भौतिक अध्ययनों पर एक प्रस्ताव विश्व बैंक को सहायता के लिये भेजा गया।
विश्व बैंक ने 25 करोड़ रुपए के आईडीए ऋण का संकेत दिया है जिसे परियोजना के अधीन पूँजीगत उपस्कर की लागत के रूप में लिया जा सकता है। इसके लिये परिचालनात्मक/आवर्ती लागत (तीन वर्ष के लिये) 14.0 करोड़ रुपए आएगी जिसे भारत सरकार वहन करेगी। इस परियोजना की प्रगति की निगरानी करने के लिये भारत के और विदेशों के वैज्ञानिकों की एक अन्तरराष्ट्रीय सलाहकार समिति का गठन किया गया है। इसकी 13-16 दिसम्बर, 1994 को बैठक हुई और जिसने इस परियोजना प्रस्ताव का समर्थन किया।
राष्ट्रीय मध्यावधि मौसम पूर्वानुमान केन्द्र और कृषि मौसम विज्ञान सम्बन्धी सलाहकार सेवाओं का मुख्य उद्देश्य विभिन्न कृषि प्रयोगों के बारे में किसानों के लिये कृषि मौसम विज्ञान सम्बन्धी वैज्ञानिक परामर्श सेवाओं के प्रचार और प्रयास तथा मध्य अवधिक (3 से 10 दिन पूर्व) मौसम पूर्वानुमान का विकास और परिचालनीकरण करना है, ताकि मौसम के प्रतिकूल प्रभाव को कम-से-कम किया जा सके।
केन्द्र ने सभी 27 राज्य कृषि विश्वविद्यालयों और भारतीय कृषि अनुसन्धान संस्थान को प्रायोगिक कृषि, मौसम विज्ञान सम्बन्धी सलाहकार सेवा नेटवर्क के अधीन ले लिया है। इन यूनिटों को साप्ताहिक पूर्वानुमान के बुलेटिन भेजे जा रहे हैं। इनमें से अधिकांश ने इन सलाहकार सेवाओं को किसानों को भेजने के लिये तैयार करना और प्रचार-प्रसार करना शुरू कर दिया है। कोयम्बटूर, दिल्ली, हैदराबाद, लुधियाना और रायपुर में कृषि सलाहकार सेवाओं को पहली जुलाई, 1994 से इस प्रकार के पूर्वानुमान बेलेटिन सप्ताह में दो बार प्रदान किये जा रहे हैं।
फ्लाई एश के व्ययन और उपयोगीकरण पर मिशन पद्धति में एक प्रौद्योगिकी परियोजना इस वर्ष भारत सरकार द्वारा स्वीकार की गई थी। विज्ञान और प्रौद्योगिकी अग्रणी एजेंसी है और टाइफेक्स कार्यान्वयन एजेंसी है। इस कार्यक्रम के अधीन जिन महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों की पहचान की गई है वह है फ्लाई एश का अभिलक्षण निर्धारण, हाइड्रोलिक संरचना, व्यवहार और परिवहन व्यवस्था, कृषि सम्बन्धी अध्ययन और अनुप्रयोग, राख के जौहड़ और बाँध, मानव आवास के लिये राख के जौहड़ों की पुनः प्राप्ति, सड़कें और तटबन्ध, भूमिगत खान भरण और अनुसन्धान परियोजनाएँ।
विभाग का विभिन्न देशों के साथ विज्ञान और प्रौद्योगिकी के व्यापक क्षेत्रों के साथ द्विपक्षीय विज्ञान और प्रैद्योगिकी सहयोग के माध्यम से संयुक्त अनुसन्धान कार्यक्रम, दौरों का आदान-प्रदान तथा मानव शक्ति विकास गतिविधि चलाकर अच्छी खासी क्षमता निर्माण तथा ज्ञान बढ़ोत्तरी की गई। ईरान, इजराइल, स्लोवाक गणराज्य तथा स्लोवानिया के साथ सहयोग के नए समझौते किये गए। क्षेत्रीय कार्यक्रम तथा संयुक्त राष्ट्र एवं अन्य एजेंसियों की संलग्नता वाले बहुपक्षीय कार्यक्रमों में भागीदारी को जारी रखा गया।
विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसन्धान परिषद (एसईआरसी), जिसके जरिए दिये गए कोषों का खास प्रभाव नजर आया है, ने अनुसन्धान के अग्रणी तथा चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों को सहायता देना जारी रखा। प्रधानमंत्री के अनुमोदन से एसईआरसी का इस वर्ष पुनर्गठन किया गया। परिषद में राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं, अकादमी संस्थानों, उद्योग तथा अनुसन्धान एवं विकास संगठनों के प्रख्यात वैज्ञानिक, तकनीकीविद एवं उद्योगपति शामिल हैं।
परिषद ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों में 29.43 करोड़ रुपए के अनुमानित व्यय के 303 कार्यक्रमों को अनुमोदिन किया। परिषद ने नीतिगत मुद्दों पर खासतौर पर फेलोशिप को बढ़ाने, अकादमी संस्थानों में अवसंरचनात्मक सुविधाओं को मजबूत बनाने के लिये तकनीकी शिक्षा को बल प्रदान किये जाने वाले मुद्दों पर विचार किया।
इंजीनियरिंग विज्ञान के क्षेत्र में प्रयोगशालाओं से उद्योग तक प्रौद्योगिकी हस्तान्तरण को बढ़ावा देने के लिये उद्योग प्रयोक्ता एजेंसियों से सम्पर्क बढ़ाने पर बल दिया गया। इन फ्यूअल इंजेक्शन वाले दो स्ट्रोक के इंजनों के विकास, चार स्ट्रोक इंजनों के उत्सर्जक नियंत्रण के लिये सेरामिक आधारित केटालिटिक कन्वर्टर तथा मेम्ब्रेन का विकास इत्यादि कुछ ऐसे उदाहरण है जिनमें उद्योग/प्रयोक्ता की भागीदारी शुरू से ही सुनिश्चित की गई।
क्राॅस फ्लो टरबाइन आधारित लघु पनबिजली शक्ति इकाई का केदारनाथ में चल परीक्षण किया जा रहा है तथा अरुणाचल प्रदेश में भी दो इसी प्रकार की इकाइयाँ पूरी होने वाली हैं। सम्मिश्रित उत्पादन केन्द्र हैदराबाद में कल्याण के साथ संयुक्त कार्यक्रम के तहत पुनर्स्थापना साधनों के मानकीकरण एवं उत्पादन का कार्य अच्छी प्रगति कर रहा है। बड़ी संरचनाओं तथा संस्थापनाओं के स्केल्ड माॅडलों के परीक्षण के लिये मानव संसाधन विकास मंत्रालय, रक्षा अनुसन्धान एवं विकास संगठन के साथ मिलकर आईआईटी बम्बई में एक जियोटेक्नीकल सेंटीफ्यूज सुविधा स्थापित की जा रही है।
एनसीएसटीसी ने देश में विज्ञान को लोकप्रिय बनाने के लिये भिन्न-भिन्न संचार पद्धतियों को अपनाने एवं बढ़ावा देने में मदद की। परिषद ने दूरदर्शन पर ‘क्यों और कैसे’ नामक धारावाहिक का प्रसारण किया तथा विज्ञान के लोकप्रियकरण के लिये कई क्षेत्र परियोजनाएँ चलाईं। वर्ष के दौरान दिल्ली में बाल विज्ञान कांग्रेस का भी आयोजन किया गया।
विभाग द्वारा सहायता प्राप्त तेरह स्वायत्तशासी अनुसन्धान संस्थान तथा व्यावसायिक निकायों ने अपने चुनिन्दा विशेषज्ञीकरण के क्षेत्रों जैसे- खगोलशास्त्र, तारा भौतिकी, वायुमंडल विज्ञान, पुनरावनस्पति शास्त्र, प्लाज्मा भौतिकी, आयुर्विज्ञान इत्यादि में उच्च क्वालिटी का अनुसन्धान करना जारी रखा।
विभाग ने मौसम विज्ञान तथा सर्वेक्षण के क्षेत्र में भारत मौसम विज्ञान विभाग तथा भारतीय सर्वेक्षण विभाग एवं राष्ट्रीय एटलस तथा थिमैटिक मानचित्रण संगठन के माध्यम से परिचालनात्मक सेवाएँ उपलब्ध कराईं। इन सेवाओं को परिष्कृत यंत्रों के समावेश तथा प्रौद्योगिकियों के उन्नयन के माध्यम से आधुनिक बनाया जा रहा है।
Tags
define seismologists in hindi, seismologist noun in hindi, seismology meaning in hindi, what is the meaning of seismology in science in hindi, seismologically in hindi, seismologist pronunciation in hindi, seismologist jobs in hindi, seismologist salary in hindi, seismology meaning in hindi, seismology noun in hindi, seismology in british english in hindi, seismology definition for kids in hindi, seismology branch of science in hindi, cultural seismology in hindi, computer program in seismology in hindi, seismology graduate programs in hindi, seismology masters programs in hindi, application of trigonometry in seismology in hindi, computer program in seismology tutorial in hindi, seismograph software in hindi, continental drift theory in hindi, plate tectonics theory summary in hindi, plate tectonics theory definition in hindi, plate tectonics theory pdf in hindi, plate tectonics theory evidence in hindi, plate tectonics theory ppt in hindi, plate tectonics theory for kids in hindi, plate tectonics theory in hindi, what does plate tectonics mean in science in hindi, plate tectonic theory summary in hindi, definition of plate tectonic motion in hindi, what do you mean by tectonic plates in hindi, plate definition in hindi, plate tectonics definition for kids in hindi, two pieces of evidence for plate tectonics in hindi, plate tectonics definition geography in hindi, tectonic plate movement definition in hindi, plate tectonics simple definition in hindi, define plate tectonics in hindi, meaning of plate tectonics in hindi, what does plate tectonics mean in hindi, plates of earth definition in hindi, definition of plate tectonic theory in hindi, plate tectonic movement video in hindi, what forces drive plate tectonic motion in hindi, plate tectonic movement theory in hindi, plate tectonic movement video in hindi, plate tectonic movement animation in hindi, tectonic plate movement types in hindi, causes of tectonic plate movement in hindi, tectonic plate movement causes earthquakes in hindi tectonic plate movement images in hindi, what would not be a driving force of plate tectonics in hindi, what is considered the main driving force of plate tectonics in hindi, main driving force of plate tectonics in hindi, the force driving plate tectonics in hindi, driving forces of tectonic plate movement in hindi, the force driving plate tectonics is quizlet in hindi, what forces drive plate tectonic motion quizlet in hindi, the major driving force of plate tectonics is quizlet in hindi, facts about seismology in hindi, earthquake seismology in hindi, what does a seismologist do in hindi, seismologist definition in hindi, famous seismologists in hindi, what religion does the star of david represent in hindi, seismology timeline in hindi, seismologist facts in hindi, earthquake seismology pdf in hindi, earthquake seismology lecture notes in hindi, earthquake seismology center in hindi, earthquake seismology ppt in hindi, information about seismology in hindi, seismology nepal in hindi, latest earthquake in nepal in hindi, seismology definition in hindi, earthquake in hindi wikipedia, essay on earthquake in hindi, project earthquake in hindi, information about earthquake in hindi language, essay on earthquake in hindi language, earthquake in hindi language, earthquake in hindi pdf, earthquake in hindi language wikipedia.
Path Alias
/articles/bhauukamapa-vaijanaana-kaarayakarama-kao-paraathamaikataa
Post By: RuralWater