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जलवायु परिवर्तन एवं उसके विश्वव्यापी प्रभाव : एक वैज्ञानिक विश्लेषण (Climate change and its global effects-A scientific analysis)
Posted on 30 Sep, 2016 04:23 PM

जलवायु परिवर्तन से वर्षा का क्षेत्रीय संतुलन एवं सागरों का वाष्पीकरण का तंत्र बदल जाएगा।

महानदी विवाद : कुदरत की लक्ष्मण रेखा की अनदेखी करता विकास
Posted on 30 Sep, 2016 12:43 PM


महानदी की पहचान, मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ और ओड़िशा राज्यों की पानी की माँग की पूर्ति के सबसे बड़े स्रोत के रूप में है। तकनीकी लोगों के अनुसार इसका लगभग 50.0 घन किलोमीटर पानी ही उपयोग में लाया जा सकता है। कहा जा सकता है कि महानदी, पानी के मामले में सम्पन्न और दो राज्यों के बीच प्रवाहित होने के कारण अन्तरराज्यीय नदी है।

शिवाजी के स्वराज में पानी और पर्यावरण की चिन्ता
Posted on 30 Sep, 2016 12:01 PM
भारतीय राजव्यवस्था में मिट्टी के बाँधों व तालाबों के निर्माण
26 दिसम्बर 2004 की विनाशकारी सिन्धुतरंगे : सुनामी
Posted on 30 Sep, 2016 10:56 AM
जब भी पृथ्वी पर ठोस चट्टानें अपने स्थान से अचानक हटती हैं या टूटती हैं तो पृथ्वी में कम्पन होता है, पृथ्वी की सतह पर इन कम्पन तरंगों का संचरण भूकम्प या भूचाल कहलाता है, पृथ्वी पर इन कम्पनों का मुख्य कारण महाद्वीपों या समुद्र तल की ठोस चट्टानों का अचानक भ्रंशतलों पर धँसना या खिसकना है जो महाद्वीपों की जमीन पर भूचाल या समुद्र में सुनामी (सिन्धुतंरगें) उत्पन्न करते हैं और ऐसे भूचालों को टैक्टोन
मानसून से परे देखने की जरूरत
Posted on 30 Sep, 2016 10:44 AM
लगातार दो साल तक सूखा झेलने के बाद इस साल देश में मानसून सीजन (जुलाई-सितम्बर तक) के दौरान अच्छी बारिश हुई। अब देश के ज्यादातर हिस्सों में सामान्य से पाँच फीसद की कमी के साथ इस साल मानसून की विदाई भी आरम्भ हो गई है। हालाँकि सीजन की शुरुआत में मानसून की बारिश का औसत 106 फीसद रहने का अनुमान था, जिसमें रह गई कमी का अनुमान (चार फीसद की घट-बढ़) पहले ही लगाया गया था। माना जा सकता है कि इस बार मानसू
सिंधु जल समझौता पानी रे पानी
Posted on 30 Sep, 2016 10:26 AM
संधि खत्म करने से दूसरे देशों को जाएगा गलत संदेश
सोच में बदलाव से संभव है स्वच्छ भारत
Posted on 29 Sep, 2016 04:37 PM
देशभर में स्वच्छता सप्ताह का आयोजन काफी उत्साह के साथ किया जा रहा है। स्वच्छता को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ी है। खुशी की बात है कि स्वच्छता जैसी सामाजिक पहल का आगाज राजनीतिक क्षेत्र से हुआ है। स्वास्थ्य और स्वच्छता राजनीतिक अवधारणा नहीं है, लेकिन इस सन्दर्भ में स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भी महात्मा गाँधी और उनके समर्थक लगातार लोगों को इस दिशा में जागरूक करते रहे। राजनीति शास्त्र की भाषा मे
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