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उत्तर जैसी दक्षिण की एक ग्रामीण नदी
Posted on 22 Sep, 2016 12:56 PM
साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित सिर्पी बालसुब्रम्हण्यम की तमिल कविता संग्रह ‘ओरू गिराभत्तु नदी’ की चर्चा इसलिये क्योंकि नदी को इस संग्रह में एक नदी की तरह नहीं बल्कि इसे कविता संग्रह की कविताएँ उत्सवधर्मिता, गीत, नृत्य, संगीत, आस्था और विश्वास से भी जोड़ती है। यह कविता संग्रह एक नदी में जीवन के कई रंगों की उपस्थिति को दर्शाता है, जिसमें दुख भी है, त्रासदी भी है और यातना का स्वर भी।
नदियों पर लड़ें नहीं, मिलकर रक्षा करें
Posted on 20 Sep, 2016 04:18 PM

नदी के जल के बँटवारे के न्यायसंगत समाधान के साथ ही नदी की रक्षा के लिये भी विभिन्न राज्यो

महानदी के पानी का विवाद, रास्ता किधर है
Posted on 20 Sep, 2016 12:00 PM
छत्तीसगढ़ और उड़ीसा के बीच अब महानदी के पानी को लेकर तलवारें खींचती जा रही है। एक तरफ छत्तीसगढ़ का कहना है कि वह अपने बड़े हिस्से में से अब तक केवल 25 फीसदी पानी का ही इस्तेमाल कर रहा है तो दूसरी तरफ उड़ीसा का कहना है कि छत्तीसगढ़ में महानदी पर 13 छोटी-बड़ी परियोजनाएँ निर्माणाधीन हैं। इससे उनके राज्य को यथोचित मात्रा में पानी नहीं मिल सकेगा।
महानदी के जल-बँटवारे पर विवाद
Posted on 19 Sep, 2016 03:57 PM
अभी कावेरी नदी का जल-विवाद थमने भी नहीं पाया है कि महानदी के जल-बँटवारे पर विवाद खड़ा हो गया। छत्तीसगढ़ और ओड़िशा राज्यों के बीच चल रहा यह विवाद भी 33 साल पुराना है। महानदी के जल-बँटवारे को लेकर पहला समझौता अविभाजित मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह और ओड़िशा के तत्कालीन मुख्यमंत्री जेबी पटनायक के बीच 28 अप्रैल 1983 को हुआ था।
महानदी के पानी में फैला राजनीति का रोग
Posted on 19 Sep, 2016 03:37 PM
महानदी के पानी को राजनीति का रोग लग गया है। कावेरी के जल को लेकर कर्नाटक और तमिलनाडु का विवाद अभी शान्त नहीं हुआ था कि महानदी के पानी को लेकर छत्तीसगढ़ और ओड़िशा आमने-सामने आ गए। इस तरह देश में जल विवाद का मुद्दा गरमा गया। कावेरी की तरह ही महानदी जल विवाद भी अचानक सामने नहीं आया है। बल्कि यह विवाद भी काफी पुराना और अविभाजित मध्य प्रदेश के जमाने से ही
नौले-धारों के हैं बहुआयामी फायदे
Posted on 19 Sep, 2016 10:13 AM


पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिये नौले-धारे (वाटर-स्प्रिंग) ही पीने के पानी का बड़ा स्रोत हैं। पेयजल का मुख्य स्रोत माने जाने वाले नौले-धारों में से आधे से ज्यादा में पानी की कमी आ चुकी है। जलस्तर घटने की यही गति रही तो आने वाले 20-25 सालों में करीब शत-प्रतिशत नौले-धारे विलुप्त हो जाएँगे। कल तक जिन नौलों और धारों का शीतल जल लोगों की प्यास बुझाते थे। वे नौले-धारे किस्सा बनते जा रहे हैं, इतिहास बनते जा रहे हैं।

जलविज्ञान में नौले-धारे (वाटर-स्प्रिंग) धरती की सतह के उस स्थल को कहा जाता है जहाँ से भूजल भण्डार से पहली बार पानी का सतही बहाव होता है। नौले-धारों से तात्पर्य है एक ऐसा स्थान जहाँ किसी जलवाही चट्टान के नीचे से जलधारा सतह पर बह निकले। भूजल का प्राकृतिक सतही बहाव बिन्दु है स्प्रिंग।

कावेरी के पानी में फिर उबाल
Posted on 18 Sep, 2016 03:10 PM
कावेरी नदी के पानी पर कर्नाटक और तमिलनाडु में फिर आग भड़की हुई है, पानी के नाम पर दोनों राज्य पिछले दो हफ्ते से सुलग रहे हैं, तमिलनाडु को दस दिन तक 15 हजार क्यूसेक पानी देने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से ही कर्नाटक में खासतौर से मंड्या, मैसूर और बंगलुरु में उग्र प्रदर्शन होने लगे, यहाँ से तमिलनाडु और केरल जाने वाली सड़क पर यातायात बाधित कर दिया ग
परम्परागत सिंचाई के साधनों से क्यों विमुख हैं हम
Posted on 18 Sep, 2016 12:27 PM


आजकल कावेरी के जल के बँटवारे से जुड़ा विवाद चर्चा का विषय बना हुआ है। वैसे तो देश में इस विवाद के अलावा भी दूसरे राज्यों में जल के बँटवारे को लेकर बहुतेरे विवाद चर्चा में हैं। इनमें कृष्णा नदी जल विवाद, नर्मदा नदी जल विवाद, गोदावरी नदी जल विवाद, सतलुज-यमुना लिंक नहर विवाद और मुल्ला पेरियार बाँध से जुड़े विवाद प्रमुख रूप से चर्चित हैं। इनको लेकर राज्यों में आज भी टकराव कायम है।

पानी पर जरूरी है समाज की निगरानी
Posted on 17 Sep, 2016 04:16 PM

विश्व जल निगरानी दिवस, 18 सितम्बर 2016 पर विशेष


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