सुशील कुमार

सुशील कुमार
वनाग्नि - मानव और पर्यावरण के लिये गम्भीर खतरा
Posted on 13 Apr, 2017 12:36 PM

पिछले कुछ वर्षों से जंगलों में लगातार आग लगने की घटनाओं ने सरकार, पर्यावरणविद तथा समाज को एक बार फिर सोचने पर मजबूर किया है। जंगलों में अचानक लगने वाली इस आग से बड़े पैमाने पर जन-धन हानि के साथ-ही पेड़-पौधों और वन्य जीवों को नुकसान होता है। इस बारे में व्यापक अध्ययन तथा आग की रोकथाम के लिये सरकार की ओर से विभागीय जाँच भी कराई जाती है।

कई बार कमेटियों का गठन कर दोषी लोगों को दंडित करने तथा भविष्य में इस तरह की व्यापक वनाग्नि को रोकने के लिये संस्तुतियाँ भी प्रस्तुत की जाती हैं। इसके बावजूद आग लगने की घटनाओं में कमी की बजाय ये बढ़ती ही जा रही हैं।
लापरवाही के कारण उत्तराखण्ड के जंगलों में लगती आग
उत्तराखण्ड वनाग्नि संकट से जूझता हिमालय
Posted on 31 Mar, 2017 11:50 AM

नई दिल्ली स्थित इण्डियन वुमन प्रेस कार्प में उत्तराखण्ड वनाग्नि वर्ष 2016 एक नागरिक रिपोर्ट का विमोचन किया गया। हिमालय सेवा संघ तथा एक्शन एड इण्डिया संस्था द्वारा आयोजित इस वार्ता में उत्तराखण्ड के जंगलों में लगने वाली आग के कारण तथा निदान पर चर्चा की गई।
हिमालय सेवा संघ और एक्शन एड द्वारा नागरिक रिपोर्ट का विमोचन
विश्व के प्रमुख शहरों की जल प्रबन्धन व्यवस्था
Posted on 26 Mar, 2017 12:10 PM

पानी की कमी शहरों के लिये चुनौती तथा अवसर दोनों है। नए स्रोतो
एक नदी के ‘इंसान’ होने के मायने
Posted on 26 Mar, 2017 10:28 AM

विश्व जल दिवस 2017 से दो दिन पूर्व उत्तराखण्ड हाईकोर्ट का नदियों के सम्बन्ध में आया फैसला काफी महत्त्वपूर्ण है। हाईकोर्ट ने अपने इस फैसले में गंगा, यमुना तथा उसकी सहायक नदियों को जीवित व्यक्ति का दर्जा दिया है। न्यायालय का ऐसा करने का अर्थ बिलकुल स्पष्ट है, वह नदियों को जीवित के समान अधिकार देकर लोगों से इन नदियों के प्रति मनुष्यों के समान व्यवहार करने की अपेक्षा रखती है।

आधुनिक पूँजीवादी युग ने नदी, पानी, तथा अनाज जैसी दैनिक उपभोग की वस्तुओं पर अपना नियंत्रण कर लिया है। ये वर्ग अपने निजी लाभ के लिये बड़े पैमाने पर प्रकृति को नुकसान पहुँचा रहे हैं। पहाड़ से लेकर रेगिस्तान तक का प्राकृतिक असन्तुलन बिगाड़ने में पूँजीवादी वर्ग जिम्मेदार हैं। नदियों में बढ़ता प्रदूषण का स्तर, जंगलों का विनाश, पहाड़ों पर तोड़-फोड़ इनमें प्रमुख हैं।
यमुना नदी
जल क्रान्ति के लिये जन भागीदारी जरूरी - उमा भारती
Posted on 09 Mar, 2017 11:56 AM

केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने जल क्रान्ति योजना के तहत जल की कमी की समस्या से जूझ रहे हर जिले के दो गाँवों में जल संरक्षण का मॉडल विकसित करने के लिये जन भागीदारी पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण की दिशा में जल क्रान्ति एक महत्त्वपूर्ण अभियान है, लेकिन यह अभियान आम लोगों की भागीदारी के बिना सम्भव नहीं है।
केन्द्रीय जल संसाधन एवं गंगा पुनरुद्धार मंत्री उमा भारती
निमंत्रण - जल क्रान्ति अभियान
Posted on 06 Mar, 2017 11:39 AM

जल संसाधन नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय, भारत सरकार
तिथि- 07 मार्च 2017
समय- सायं 3.00 से 5.00 बजे तक
स्थान- मावलंकर हाल, कांस्टीट्यूशन क्लब, रफी मार्ग, नई दिल्ली


जल क्रान्ति अभियानजल क्रान्ति अभियानजल संसाधन नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से जल क्रान्ति अभियान से जुड़े सभी गैर सरकारी संगठनों एवं जल के मुद्दे पर काम करने वाले समुदायों का सम्मेलन आयोजित किया गया है। इस सम्मेलन में देश में जल जागरूकता बढ़ाने, नदियों में बहाव की निगरानी करने और पानी को प्रदूषण से बचाने जैसी कई मुख्य मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।

विशेष सूचना


सभी गैर सरकारी संगठनों एंव समुदायों से निवेदन है कि कार्यक्रम में शामिल होने से पूर्व इसके लिये आवेदन करें। तथा इसमें सम्मिलित होने का प्रबन्ध वे स्वयं करें।
कार्यक्रम - भारत की जल संस्कृति
Posted on 04 Mar, 2017 11:30 AM

तारीख - 18 और 19 मई 2017
स्थान - गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज, सजौली, शिमला- 171006


भारत की जल संस्कृतिभारत की जल संस्कृतिजल हमारे जीवन का सबसे अनिवार्य तत्व है। पृथ्वी के सन्तुलन को बनाए रखने में भी इसका सर्वाधिक योगदान है। जीवन का उद्भव और विकास जल में ही हुआ है। हमारी सभ्यताएँ और संस्कृतियाँ नदियों के किनारे ही जन्मी और विकसित हुई हैं। भारत में सभी जल संसाधनों को पवित्र माना जाता है। जल की गुणवत्ता के कारण ही धार्मिक ग्रन्थों जैसे- वेद, पुराण और उपनिषद में इसके संरक्षण के लिये ‘जल नीति’ वर्णन मिलता है। योजनाबद्ध तरीके से जल के उपयोग और प्रबन्धन का तरीका बताया जाता है जिससे इसे संरक्षित किया जा सके और सही उपयोग हो। नदियाँ हमारी संस्कृति, सभ्यता, संगीत, कला, साहित्य, और वास्तुकला की केन्द्रीय भूमिका में शामिल रही हैं।

पंजीकरण शुल्क (प्रति व्यक्ति)
1. भारतीय नागरिक- 2500 रुपए
2. विद्यार्थी- 1000 रुपए
3. विदेशी नागिरक- 150 अमेरिकी डॉलर
4. स्थानीय शिमलावासी- 1500 रुपए
इन्डोनेशिया के सुमात्रा द्वीप के भूकम्प एवं भारत
Posted on 10 Oct, 2016 11:35 AM

11 अप्रैल, 2012 को इन्डोनेशिया के सुमात्रा द्वीप में आये दो तीव्र भूकम्पों (M > 8.0) से दक्षिण भारत, श्रीलंका, मलेशिया, थाईलैंड, सिंगापुर तथा आस्ट्रेलिया तक भूकम्प के कम्पन महसूस किये गये। इन भूकम्पों का आकार 8.6 तथा 8.2 था। यह भूकम्प वाडिया भूविज्ञान संस्थान की सभी भूकम्प वेधशालाओं में अंकित किये गये। सुमात्रा में तीव्र भूकम्प 1833 से इतिहास में अंकित है। इसके बाद 2004, 2005, 2007, 2009
जापान के तोहोकू क्षेत्र में आया ग्रेट भूकम्प
Posted on 08 Oct, 2016 12:41 PM

11 मार्च, 2011, दिन शुक्रवार, समय 11 बजकर 16 मिनट (भारतीय समय) पर पूर्वी जापान के तोहोकू शहर के पास एक बहुत ही विनाशकारी भूकम्प आया जिसका परिमाण 9.0 (Mw) था और यह भूकम्प तोहोकू भूकम्प के नाम से जाना गया। हालाँकि सरकार तौर पर इसका नाम ‘ग्रेट ईस्ट जापान भूकम्प रखा गया। अभिकेंद्र तोहोकू के ओहीका पेन्निसुला से लगभग 70 किमी दूर पूर्व में था। उद्गम स्थान लगभग 32 किमी गहराई में पानी के न
क्या भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी मुहाने पर ऊर्जा धीमे भूकम्पों के रूप में विसर्जित हो रही है
Posted on 08 Oct, 2016 12:20 PM

भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी मुहाने में 2400 किमी क्षेत्र में फैली हिमालय पर्वत श्रृंखला क्षेत्र संसार की एक सक्रिय भूकम्पीय पट्टी के रूप में जाना जाता है। इस क्षेत्र में भारतीय प्लेट के एशियन प्लेट के टकराने से बनी पर्वत श्रृंखला में लगातार तनाव उत्पन्न हो रहा है जो अनेक आकार के भूकम्पों के रूप में विसर्जित हो रहा है। हिमालय पर्वत श्रृंखला में 1897 से 1950 तक यानि 53 सालों में चार बड़े आकार (
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