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स्वच्छता की डगर पर अगर-मगर
Posted on 14 Aug, 2017 04:27 PM
हर घर में शौचालय होना चाहिए। यह 21वीं सदी में दुनिया की सबसे बड़ी चुनौती है। दरअसल विश्व में करीब 100 करोड़ लोग खुले में शौच करते हैं। दुनिया को 2030 तक इससे मुक्त करने का लक्ष्य है। यह तभी सम्भव है जब भारत 2019 तक खुले में शौच मुक्त करने के लक्ष्य को हासिल करता है क्योंकि भारत की करीब 60 करोड़ की आबादी इसमें शामिल है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने में बिहार, झारखंड, ओडिशा और उत्तर प्रदेश
जल संकट (Water Crisis)
Posted on 14 Aug, 2017 12:47 PM
आजादी के बाद के छः दशकों में निःसंदेह हमने बहुत विकास की गाथाएँ लिखी हैं, इसके विपरीत उसकी कीमत पर खोया भी बहुत कुछ है। यह किस तरह का विकास है कि हमारा जीवनदाता जल स्वयं संकट में पड़ गया है। जल ही नहीं हमारा राष्ट्रीय पशु ‘बाघ’ संकट में पड़ गया है।, हमारे पेड़, जंगल और पर्यावरण संकट में पड़ गए हैं और-तो-और हमारे जीवनमूल्य खतरे में पड़ गए हैं। कहीं-न-क
आवश्यक है कृषि में जलसंरक्षण तकनीक (Water conservation techniques in agriculture are essential)
Posted on 14 Aug, 2017 11:32 AM


इस धरा पर जैविक विकास की शुरुआत जल से हुई और इस सुन्दर सृष्टि का अन्त भी जल की कमी के कारण होगा।

सिंचाई
ग्लोबल वार्मिंग : खतरे में धरती (Global Warming : Earth In Danger)
Posted on 13 Aug, 2017 01:10 PM
मानव की विवेकहीनता के कारण तीन से पाँच अरब वर्ष पुरानी पृथ्वी को अब खतरा पैदा हो गया है। लोगों को आगाह करने के लिये हर वर्ष 22 अप्रैल को संपूर्ण विश्व में पृथ्वी दिवस मनाया जाता है। पिछले कई वर्षों से यह रस्म पूरी की जा रही है किन्तु पृथ्वी पर मँडराता यह खतरा जस का तस बना हुआ है। कारण बिल्कुल स्पष्ट है कि हमारा समाज एवं आम आदमी ही नहीं विभिन्न देशों क
बादल बिन बरसात नहीं
Posted on 13 Aug, 2017 11:39 AM
सावन भादों में जबर्दस्त बरसात होती है। बादलों के घुमड़-घुमड़ कर आने और पानी की बूँदों के झूम-झूम कर गिरने का मौसम। इंद्रधनुष देखने और रेनकोट पहन बारिश के बीच सड़कों पर निकलने का मजा हम इसी मौसम में ले सकते हैं। जैसे ही आसमान में बादल घुमड़-घुमड़ कर छाते हैं, मन झूमने लगता है। मौसमों का राजा भले ही बसंत को माना जाता है, लेकिन रेनी सीजन न हो तो धरती की रौनक खत्म हो जाए। जिस साल पर्याप्त
भेंट : अकाल का भोजन
Posted on 13 Aug, 2017 11:24 AM
धार्मिक महत्त्व होने के साथ ही भेंट के पौधे के सभी हिस्से स्वास्थ्य के रक्षक हैं। मेघालय में हो रहा है इसे विलुप्ति से बचाने का उपाय
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