बिहार

Term Path Alias

/regions/bihar

पुनर्वास का तीसरा दौर-रुन्नी सैदपुर से हायाघाट
Posted on 24 Dec, 2011 12:12 PM

सरकार की इस तरह की बातें लोग बहुधा मान लेते हैं क्योंकि सरकार के प्रचार तंत्र ने यह झूठ परोस द

एक नजर जीविका के मुख्य स्रोत खेती पर
Posted on 24 Dec, 2011 10:09 AM

‘‘...हमारे गाँव में जिसकी 5 एकड़, 10 एकड़ या 25 एकड़ जमीन है वह ज्यादातर बांध के अंदर है जहाँ

उजड़ा दयार-रामपुर कंठ
Posted on 23 Dec, 2011 04:43 PM

बहरहाल, अगर इंजीनियरों की गलती या लापरवाही से तटबंध टूट गया और इतने लोग बेघर हो गए और प्रशासन

इब्राहिमपुर-यहाँ शिव मन्दिर को हर साल बालू हटा कर निकालना पड़ता है
Posted on 23 Dec, 2011 11:56 AM इब्राहिमपुर गाँव का पुनर्वास पूर्वी तटबंध के बाहर रैन संकर में दिया गया था। पुनर्वास की जमीन बहुत कम थी जिसमें परिवार के बैठने और माल-जाल रखने की कोई गुंजाइश है ही नहीं। खेत-खलिहान, टट्टी-पेशाब आने-जाने, बकरी-मुर्गी या जानवर चराने की भी कोई जगह नहीं है। जो अत्यंत गरीब हैं और किसी अन्य की जमीन में बसे हैं उसके लिए तो पुनर्वास ठीक है पर अगर जिसके पास कुछ जम
बाकी जगह भी कोई फर्क नहीं है
Posted on 21 Dec, 2011 04:17 PM मसहा आलम में तो तीन चौथाई परिवारों को पुनर्वास मिला ही नहीं। सारे संपर्कों के बावजूद अखता में भी लोग छूट ही गए और वह सचमुच सड़क पर हैं। एक दूसरे गाँव बरवा टोला में पुनर्वास मिला मगर वहाँ कोई गया ही नहीं। इस गाँव के मुहम्मद शकील बताते हैं, ‘‘...हमारा साठ सदस्यों का संयुक्त परिवार था जब पुनर्वास की बात उठी थी। हम लोग चार भाई थे और चारों जवान थे। हम लोगों को
पुनर्वासितों के साथ वायदा खिलाफी
Posted on 21 Dec, 2011 01:16 PM बागमती परियोजना के विस्थापितों ने धोखा कैसे खाया वह तो अब धीरे-धीरे साफ हो रहा है मगर कितना धोखा खाया और इसके बाद भी बेहतरी की उम्मीद नहीं छोड़ी यह जानने के लिए कुछ इस तरह के गाँवों की ओर चलते हैं जिनकी उम्मीदें अभी भी कायम हैं। शुरुआत करते हैं ढेंग और बैरगनियाँ के बीच बागमती के दाहिने किनारे बसे (या अब उजड़े) मसहा आलम के विस्थापितों से-
पुनर्वास की बहस जनता के बीच
Posted on 20 Dec, 2011 11:17 AM

कोसी क्षेत्र के लोग शायद ज्यादा जागरूक थे इसलिए उन्होंने सरकार से घरों के निर्माण के लिए पैसा

पुनर्वास की बदहाली पर प्रशासन की नींद टूटी
Posted on 18 Dec, 2011 01:41 PM जहाँ तक पुनर्वास पैकेज का सवाल था वहाँ तो सिर्फ ढुलाई शुल्क और रिहाइशी प्लॉट के अलावा किसी परिवार को तो कुछ मिलना नहीं था। इसलिए जब आंशिक पुनर्वास की बात की जाती है तब या तो इन परिवारों को ढुलाई शुल्क नहीं मिला होगा या फिर प्लॉट का आवंटन नहीं किया गया होगा। वैसे भी पुनर्वास के प्लॉट का आवंटन किये बिना ढुलाई शुल्क के भुगतान का कोई मतलब नहीं होता। पुनर्वास बस्तियों का विकास तो सरकार को करना था जिससे
पुनर्वास, भूमि अधिग्रहण और भ्रष्टाचार
Posted on 18 Dec, 2011 09:45 AM

‘‘...बागमती नदी के बीच में जितने भी गाँव पड़ते हैं उनमें से बहुतों के पुनर्वास की व्यवस्था नही

बागमती की 1966 की बाढ़
Posted on 17 Dec, 2011 10:37 AM

1966 तो जैसे तैसे बीता मगर बाढ़ों ने सीतामढ़ी का पीछा नहीं छोड़ा। 1968 में देश के प्रायः समूचे

×