ओमप्रकाश रावल
ओमप्रकाश रावल
बाई चारा मत डरो, ‘बंजारी ढाल’ को याद करो
Posted on 07 Jul, 2014 04:48 PMजब तवा परियोजना आई, तब फिर सैकड़ों लोगों को विस्थापित किया गया। राबनेगी रणस्थली, खूबसूरत मणिबेली
Posted on 07 Jul, 2014 03:22 PMधन और समय के कारण जन-आंदोलनों की अपनी सीमाएं होती है। लेकिन फिर भीअहिंसक आंदोलन की आवाज और कान पर रखे हाथ
Posted on 07 Jul, 2014 03:05 PMराजघाट से आरंभ हुई यह जन विकास यात्रा अद्भुत रही है। यात्रा में कमसिंहभूमि से बड़े बांधों के विरोध की गर्जना
Posted on 30 Jun, 2014 03:32 PMस्वर्णरेखा एवं खड़कई नदी पर बन रहे बांध, बिजलीघर आदि को स्वर्णरेखाभुखमरी के आलम में प्रेरणा का एक शिविर
Posted on 30 Jun, 2014 03:19 PMखोरा, ठीकरिया, भंडारिया आदि गांवों की तथा पंप लगा देने पर भूरी घाटगंगा और नर्मदा : मां-बेटी दोनों ही संकट में है
Posted on 28 Jun, 2014 11:59 AMदुनिया के पहाड़ों में हिमालय की उम्र सबसे कम है। दक्षिण की तरह ये पक्के पहाड़ नहीं है। जिस मैदान में मित्र-मिलन की बैठक चल रही थी उसी के सामने खड़े पहाड़ इस बात की साक्षी दे रहे थे। 839 फीट ऊंचे टिहरी बांध के फलस्वरूप बनने वाली झील में जब ये पहाड़ समा जाएंगे तो इतनी गाद पैदा होगी कि झीलें भर जाएंगी। साधारण आदमी भी इन पहाड़ों को देखकर यह बात समझ सकता है। भूकंपीय खतरे बांध तक ही सीमित नहीं होते वे आस-पास भी कहर बरसाते हैं। गंगा की मुख्य स्रोत भागीरथी करीब 200 किलोमीटर की यात्रा करके पौराणिक शहर त्रिहरी ‘टिहरी’ पहुंचती है। इस शहर से 15 किलोमीटर की दूरी पर एक छोटा-सा गांव है-सिराई। जो पहाड़ पर बसा हुआ है और उसकी तराई में जहां भागीरथी बहती है एक समतल मैदान है जिसे दोनों छोर के पहाड़ों, कलकल करती बहती भगीरथी तथा उसकी चमकीली रेत ने रमणीय और मनमोहक बना दिया है। हिमालय पर्वत की गोद में जाने कितने ऐसे रमणीय स्थल होंगे।यह रमणीयता यहां के बाशिंदों के लिए केवल आत्मिक ही नहीं है, भौतिक भी है। हवा, पानी, मिट्टी, पेड़ जो प्राकृतिक छटा के अंग है, उनके जीवनाधार भी है। गंगोत्री से नीचे जाते हुए लोगों से पूछिए “कहां जा रहे हो?” वे कहते हैं - “गंगाघर” जा रहे हैं। गंगा उनकी मां है और उसके किनारे बने घर दूर गए बेटों की मां के घर है।