बिपिन चन्द्र चतुर्वेदी
पानी के निजीकरण की दस्तक
Posted on 31 Jan, 2011 04:53 PMनिजीकरण का जिन्न एक बार फिर से सिर उठा रहा है। जी हां, खबर है कि दिल्ली में पेयजल आपूर्ति के निजीकरण के प्रयास चल रहे हैं। इस बात का प्रमाण यह है कि दक्षिणी दिल्ली के वसंत कुंज इलाके में दिल्ली जल बोर्ड द्वारा एक निजी कंपनी को जल आपूर्ति एवं रख-रखाव का जिम्मा सौंपा जा रहा है। हालांकि यह पायलट प्रोजेक्ट है, लेकिन इसके दूरगामी निहितार्थ हैं।
दिल्ली सहित कई अन्य शहरों में जल आपूर्ति का एक बड़ा हिस्सा वितरण एवं पारेषण क्षति के रुप में नष्ट हो जाता है। दूसरे अर्थो में कहा जाए तो पानी की चोरी, अवैध कनेक्शनों एवं पाइपों में लीकेज के माध्यम से पानी की क्षति हो जाती है। इसी बात को आधार बनाकर दिल्ली जल बोर्ड द्वारा एक पायलट परियोजना के तौर पर एक निजी कंपनी को यह जिम्मा सौंपा जा रहा है। एक मोटे अनुमान के अनुसार वसंत कुज में 14,500 फ्लैटों को करीब 31 लाख गैलन पानी की आपूर्ति प्रतिदिन होती है। प्रस्तावित परियोजना 3 चरणों में 36 माह में पूरी की जाएगी। दिल्ली सरकार चाहती है कि निजी कंपनी प्रस्तावित क्षेत्र में जल आपूर्ति के दौरान होने वाले तमाम क्षति को समाप्त करे और राजस्व वसूली
रेणुका बांध परियोजना पर पर्यावरण मंत्रालय की रोक
Posted on 14 Oct, 2010 05:57 PMआखिर जो होना था, वह हो गया। केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने हिमाचल प्रदेश की रेणुका बांध परियोजना पर रोक लगा दी है। केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने 31 अगस्त 2010 की तिथि वाले अपने पत्र में हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में प्रस्तावित रेणुका बांध परियोजना के लिए हिमाचल प्रदेश पॉवर कॉरपोरेशन लिमिटेड के आवेदन पर परियोजना को अनुमति देने से इनकार कर दिया। मंत्रालय को यह अहम निर्णय ल
टिहरी बांध के मामले में सर्वोच्च अदालत के आदेश का उल्लंघन
Posted on 02 Oct, 2010 05:43 PMटिहरी बांध के संबंध में एन. डी. जयाल बनाम भारत सरकार एवं अन्य के मुकदमे में उच्चतम न्यायालय के माननीय न्यायाधीश आर. वी. रविन्द्रन एवं माननीय न्यायाधीश एच. एल. गोखले की पीठ ने उत्तराखंड राज्य सरकार एवं टीएचडीसी को 17 सितंबर 2010 को आदेश दिया कि वे एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप बंद करें और प्रभावित लोगों का पुनर्वास कार्य करें। उन्हें छः सप्ताह के अंदर स्थिति एवं कार्यवाही रिपोर्ट दाखिल करना है। हालांकि उच्चतम न्यायालय का फैसला काबिले तारीफ है लेकिन इसमें टीएचडीसी एवं राज्य सरकार को अपनी जिम्मेदारी पूरा करने की जरूरी गंभीरता का अभाव है।
याचिकाकर्ता एड्वोकेट कोलिन गोंसाल्विस एवं एड्वोकेट संजय पारिख द्वारा उजागर किये गये समस्याओं पर अदालत ने राज्य सरकार एवं टीएचडीसी को कई अहम मुद्दों पर ध्यान देने की जरूरत पर जोर दिया है। सर्वोच्च अदालत का कहना है कि बांध में पानी का स्तर बढ़ने के कारण भागीरथी नदीघाटी में तीन गांवों रौलाकोट, नाकोट, स्यांसु के डूबने की आशंका है। वास्तव में,
जोबट बांध परियोजना का सच
Posted on 03 Jul, 2010 11:37 PMमध्य प्रदेश के झाबुआ जिलें में स्थित जोबट बांध (चन्द्रशेखर परियोजना) नर्मदा घाटी मे बनने वाले 30 प्रमुख बांधों में से एक है। नर्मदा की सहायक नदी ‘हथनी’ पर स्थित इस विवादास्पद बांध की अधिकतम ऊंचाई 34.6 मीटर है। इस बांध के बांयी छोर से निकलने वाले 29.73 किमी लम्बे नहर से 9848 हेक्टेअर क्षेत्र की सिंचाई प्रस्तावित है। परियोजना के डीपीआर के अनुसार परियोजना से सालाना 12,507 हेक्टेअर सकल क्षेत्र स
रेणुका बांध से दिल्ली द्वारा पानी की मांग कितनी जायज?
Posted on 02 Jul, 2010 08:04 PMदिल्ली सरकार हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में 148 मीटर ऊंचे विवादास्पद बांध को बढ़ावा दे रही है एवं वित्तपोषण कर रही है। यमुना नदी की सहायक गिरी नदी पर यह बांध मूलतः दिल्ली में जल आपूर्ति के लिए बनने वाला है। रुपये 3900 करोड़ (सन 2006 के कीमत स्तर पर) की लागत से बनने वाले इस बांध के लिए 90 फीसदी वित्तपोषण केन्द्र सरकार द्वारा मिलने वाले रकम से किया जाना है। वास्तव में, दिल्ली सरकार रेणुका बा
जम्मू के लुप्त होते ताल
Posted on 07 Feb, 2010 11:52 PMजम्मू एवं कश्मीर राज्य का जम्मू क्षेत्र आज पानी के संकट से जूझ रहा है। समुद्र तल से करीब 300 से 1000 मीटर की ऊंचाई पर बसे इस क्षेत्र में किसी समय सैकड़ो तालाब व जलाशय मौजूद थे। इस क्षेत्र के अंतर्गत जम्मू, सांबा, कठुआ एवं उधमपुर जिले शामिल हैं, जो कि कण्डी बेल्ट के नाम से जाना जाता है। कभी भरे पूरे ताल तलैयों के क्षेत्र के तौर पर मशहूर
ब्रह्मपुत्र नदी के कटाव से असम में जबरदस्त भूक्षरण
Posted on 05 Feb, 2010 04:07 PM
असम में ब्रह्मपुत्र नदी के तट के इलाके जबरदस्त कटाव से प्रभावित हो रहे हैं। लगातार हो रहे कटाव से राज्य की करीब चार हजार वर्ग किलो मीटर भूमि का क्षरण हो चुका है और इससे करीब 2,500 गांवो में बसे 50 लाख से ज्यादा लोग प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हुए हैं। एक अनुमान के मुताबिक राज्य में होने वाला यह भूक्षरण करीब 80 वर्ग किलो मीटर प्रतिवर्ष के हिसाब से बढ़ रहा है। इस मामले में राज्य के जल संसाधन विभाग ने 25 संवेदनशील और अति क्षरणीय स्थलों की पहचान की है।
हिमाचल की तीन नदियों में खनन पर रोक
Posted on 03 Feb, 2010 12:27 AMहिमाचल प्रदेश सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय के तहत राज्य से होकर बहने वाली तीन नदियों में खनन पर रोक लगा दी है। इन नदियों में कांगड़ा जिले की चक्की एवं न्यूगल नदियां एवं बिलासपुर जिले की सीयर नदी शामिल हैं। इस निर्णय के बाद इन नदियों पर रेत एवं पत्थरों का खनन पूरी तरह प्रतिबंधित हो गया है। राज्य के सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य मंत्री श्री रविन्द्र रवि का कहना है कि, इन नदियों में खनन पर इसलिए रो
क्या आप जानते हैं, सिंचाई योजनाओं की भी गणना होती है?
Posted on 05 Jan, 2010 04:48 PM
हमारे देश में जिस तरह आबादी की गणना होती है उसी तरह जल संसाधनों की क्षमता की भी गणना होती है? जब भी मध्यम व बड़ी सिंचाई परियोजनाएं तैयार होती हैं तब उनकी क्षमता को उपलब्ध सिंचाई क्षमता में जोड़कर रिकार्ड को अद्यतन कर लिया जाता है। इस तरह ये आंकड़े केन्द्रीय जल संसाधन मंत्रालय के सालाना रिपोर्ट में जारी होते रहते हैं। लेकिन लघु एवं सूक्ष्म परियोजनाओं की सिंचाई क्षमता का नियमित रिकार्ड रख पाना संभव नहीं हो पाता है क्योंकि कुएं, नलकूप तलाब आदि स्रोत संस्थागत या निजी तौर पर नियमित बनते रहते हैं। ऐसे में एक नियमित अंतराल के बाद लघु सिंचाई योजनाओं (Minor Irrigation Schemes)