अनुपम मिश्र
गंगा की सफाई का अर्थ है अपना पुनरुद्धार
Posted on 15 Jan, 2017 01:09 PM
अनुपम अब अनुपस्थिति में उपस्थित हैं अपने अमर शब्दों में, अनुभव, कर्म की इबारतों में, पर्यावरण के सकारात्मक सन्देशों में, लोक के अनुभव आलोक में सृष्टि को बचाते प्रतिबद्ध-प्रतिश्रुत। -भारतीय ज्ञानपीठ की विनम्र श्रद्धांजलि!
सबसे पहले तो आप सबसे माफी माँगता हूँ कि मैं इतने सरस और तरल आयोजन में उपस्थित नहीं हो पा रहा हूँ। देश भर की छोटी-बड़ी नदियों की चिन्ता में आप सब यहाँ है- इसलिये मेरी कोई कमी नहीं खलेगी।
नदियों पर सरकारों का ध्यान गए अब कोई चालीस बरस पूरे हो रहे हैं। इन चालीस वर्षों में इस काम पर खर्च होने वाली राशि भी लगातार बढ़ती गई है और तरह-तरह के कानून भी बनते गए हैं। और अब यह भी कहा जा सकता है कि राशि के साथ-साथ सरकार का उत्साह भी बढ़ा है। पहले के एक दौर में शोध ज्यादा था, अब शोध भी है और श्रद्धा भी।
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