Kesar Singh

टिकाऊ कृषि हेतु जल संचयन एवं सिंचाई प्रबंधन में संरक्षित कृषि का योगदान
देश के 3290 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल का लगभग 63 प्रतिशत भाग अभी भी वर्षा द्वारा सिंचित किया जाता है। जल संबंधित इन विषम परिस्थितियों में आय-वर्धक, टिकाऊ, एवं समृद्ध कृषि तभी सम्भव होगी जब हम संरक्षित कृषि तकनीक को बढ़ावा दें अर्थात वर्तमान भारतीय परिस्थिति में संरक्षित कृषि ही एक मात्र ऐसी नूतन तकनीक युक्त कृषि है, जो किसानों के व्यवसाय एवं आय में वृद्धि करने के साथ-साथ जल-संरक्षण एवं सिंचाई क्षमता, दोनों को बढ़ावा देकर हमारे देश के किसानों के टिकाऊ एवं समृद्ध कृषि के सपने को साकार बना सकती है। Kesar Singh posted 11 months ago
भारत में खेत में काम करने वाली महिलाएँ (छवि: IWMI फ़्लिकर/हैमिश जॉन एप्पलबी; CC BY-NC-ND 2.0 DEED)
ब्रह्मपुत्र महानद ‌का जलविज्ञानीय विश्लेषण (भाग 1)
ब्रह्मपुत्र एवं बराक नदियाँ भारत के पूर्वोत्तर राज्यों की प्रमुख नदियाँ हैं। ब्रह्मपुत्र नदी को भारत की सबसे बड़ी नदी और विश्व की तीसरी सबसे बड़ी नदी माना जाता है। संस्कृत में, ब्रह्मपुत्र का तात्पर्य "ब्रह्मा के पुत्र" से है। यह नदी बांग्लादेश और चीन जैसे अपने पड़ोसी देशों के साथ भारत में भी बहती है। यह भारतीय उपमहाद्वीप में आदिवासी बस्तियों और घने जंगलों से होकर प्रवाहित होती है। भारत के सात पूर्वोत्तर राज्यों, अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड, एवं त्रिपुरा, जिन्हें संयुक्त रूप से सात बहनों के नाम से जाना जाता है, का कुल भू-भाग 2,70,230 वर्ग किलोमीटर है जो देश के कुल भू-भाग का 8.11% है। Kesar Singh posted 11 months ago
ब्रह्मपुत्र रिवर सिस्टम (साभार - विकिपीडिया)
स्मार्ट जल क्षेत्र (भाग 2)
स्मार्ट जल प्रबंधन का प्राथमिक उद्देश्य जल संसाधनों का उचित और सतत उपयोग और पुनर्चक्रण है। बढ़ती जनसंख्या, बढ़ते पर्यावरणीय तथ्य और खाद्य एवं कृषि क्षेत्र पर दबाव जल को और भी अधिक मूल्यवान संपत्ति बनाते हैं। Kesar Singh posted 11 months ago
प्रतिकात्मक तस्वीर
जल है एक अमूल्य प्राकृतिक वरदान
देश में उपलब्ध सीमित जल को वर्षा ऋतु में एकत्रित करके यथासमय मानव की जल आवश्यकताओं की पूर्ति करना, देश में उपलब्ध जल संसाधनों का एक महत्वपूर्ण कार्य है। वर्तमान में जल संसाधनों की उपलब्धता एवं देश की तीव्र गति से बढ़ती जनसंख्या के साथ-साथ भविष्य में आने वाली संभावित समस्याओं को ध्यान में रखते हुए जल की बढ़ती मांगों को पूर्ण करने के लिए देश में जल के इष्टतम उपयोग में जल प्रबंधन की भूमिका महत्वपूर्ण है। सामान्यतः नदी में उपलब्ध वार्षिक प्रवाह का अधिकांश भाग वर्षा ऋतु के कुछ महीनों में ही उपलब्ध होता है। परंतु क्षेत्र में जल की मांग पूरे वर्ष रहती है। अतः यह आवश्यक है कि वर्षा ऋतु में उपलब्ध अतिरिक्त जल के उपयुक्त प्रबंधन द्वारा उपलब्ध जल को एकत्रित करके इसका उपयोग उस अवस्था में किया जाए, जब नदी में उपलब्ध प्राकृतिक प्रवाह जनमानस की मांगों को पूर्ण करने में असमर्थ हो। Kesar Singh posted 11 months ago
प्रकृति-संरक्षण के लिए जल को बचाना है
स्मार्ट जल प्रबंधन (भाग 1)
स्मार्ट जल प्रबंधन (SWM) जल प्रणालियों की दक्षता, पर्याप्तता, विश्वसनीयता और स्थिरता में सुधार के लिए सेंसर, आँकड़ा विश्लेषण एवं स्वचालन जैसी प्रौद्योगिकी के उपयोग को संदर्भित करता है। स्मार्ट जल प्रबंधन के लिए, जल संसाधनों के उपयोग और गुणवत्ता की निगरानी, नियंत्रण और विनियमन के साथ-साथ सम्बंधित उपकरणों (पाइप, पंप, आदि) को बनाए रखने के लिए तंत्र के एकीकरण और जटिल उपायों की आवश्यकता होती है। यह हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर उपकरणों की एक विस्तृत श्रृंखला है, जिसमें सेंसर, स्मार्ट जल निगरानी, सूचना प्रणाली, आँकड़ा प्रकमण और दृश्यीकरण (Visualization) यंत्र, वेब और मोबाइल नियंत्रक शामिल हैं जो लोगों को जल प्रणालियों से जोड़ते हैं। Kesar Singh posted 11 months ago
स्मार्ट जल प्रबंघन की जरूरत है
भारत के पर्वतीय जल स्रोतों (स्प्रिंग्स) की स्थिति और इनके सतत प्रबंधन हेतु जल शक्ति मंत्रालय के प्रयास (भाग 2)
स्प्रिंग का स्थानीय लोग कई नामों से जानते हैं। हिकुर, सदांग, उह, निजारा, जूरी, पनिहार, नाडु, बावड़ी, चश्मा, नाग, बावली, जलधारा, ओट वेल्लम, नौला (कुमाऊं क्षेत्र में), और धारा, पनेरा (गढ़वाल क्षेत्र में) ये सब नाम स्प्रिंग के ही हैं।

Kesar Singh posted 11 months 1 week ago
शैलेन्द्र पटेल, बावधन नौले-धारे के पास, पुणे (फोटो स्रोत: तुषार सरोदे)
भारत के पर्वतीय जल स्रोतों (स्प्रिंग्स) की स्थिति और इनके सतत प्रबंधन हेतु जल शक्ति मंत्रालय के प्रयास (भाग 1)
विभिन्न संगठनों द्वारा मानचित्रित किये गए कुल स्प्रिंग्स की संख्या और नीति आयोग की रिपोर्ट में देश भर में संभावित स्प्रिंग्स की संख्या (लगभग 30 से 50 लाख) को संज्ञान में रखते हुए जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा स्प्रिंगशेड प्रबंधन हेतु गठित समिति द्वारा यह महसूस किया गया कि इनकी सम्पूर्ण देश में वास्तविक गणना अति आवश्यक है। इस क्रम में जल शक्ति मंत्रालय द्वारा देश के सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में प्रथम स्प्रिंग सेन्सस हेतु नोडल एजेंसियां चिन्हित कर अगस्त, 2023 में राष्ट्रीय स्तर का प्रशिक्षण कार्यक्रम नई दिल्ली में आयोजित किया गया। Kesar Singh posted 11 months 1 week ago
कश्मीर के अनंतनाग जिले में वेरीनाग चश्मा (छवि स्रोत: विकिमीडिया कॉमन्स)
भूजल से संवरेगा कल
जल संकट का स्थायी समाधान भूजल ही है। इसी से हमारा कल यानि भविष्य संवर सकता है। अन्यथा जल के लिए संघर्ष होता रहेगा। खासतौर पर दूरस्थ ग्रामीण अंचलों में पीने के जल का गंभीर संकट उत्पन्न हो जाता है। महिलाओं को कई किलोमीटर दूर जाकर जल लाना पड़ता है। क्योंकि उनके अपने गांव-कस्बे या क्षेत्र में भूमिगत जल स्रोत पूर्णतः सूख गए होते हैं। Kesar Singh posted 11 months 1 week ago
रंदुल्लाबाद, महाराष्ट्र में एक सिंचाई कुआँ। छवि स्रोत: इंडिया वाटर पोर्टल
जल संसाधन परियोजनाएं और पर्यावरण पर उनका प्रभाव
जल संसाधन परियोजनाओं में मुख्यतः मानव और प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र दोनों के लिए जल की पर्याप्त व सतत आपूर्ति और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए जल संसाधनों की विभिन्न योजनाएं, विकास और प्रबंधन सम्बन्धी गतिविधियां शामिल होती हैं। इन परियोजनाओं में गतिविधियों की एक विस्तृत श्रृंखला सम्मिलित होती है, जिसमें भविष्य में जल की मांग का अनुमान लगाना, जल के संभावित नए स्रोतों का मूल्यांकन करना, मौजूदा जल स्रोतों की रक्षा एवं संवर्धन करना और नवीनतम पर्यावरणीय नियमों का अनुपालन एवं उनको समायोजित करना शामिल है। Kesar Singh posted 11 months 1 week ago
बड़े बांध
संदर्भ दिल्ली बाढ़: जरूरी निर्णय लेने होंगे तभी रुकेंगे हादसे
सब कुछ बेहतर और बेहतरीन तभी होगा जब सरकार की कार्यशैली निष्पक्ष और निर्भीक होगी। हम दिल्ली की ही बात करें तो यहां कई इलाके ऐसे हैं‚ जहां झुग्गियों में बड़ी आबादी बसती है। कई इलाके तो ऐसे हैं जहां सरकारी जमीनों‚ नाले‚ तालाब आदि का बड़े पैमाने पर अतिक्रमण कर लिया गया है। नतीजतन‚ थोड़ी सी बरसात में शहर कितना परेशानहाल हो जाता है‚ यह जगजाहिर है। दूसरी अहम वजह‚ सिविक एजेंसियां–नई दिल्ली म्युनिसिपल कमेटी (एनडीएमसी) और दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में गहरे तक भ्रष्टाचार और काहिली है। Kesar Singh posted 11 months 1 week ago
शहरी बाढ़ (courtesy needpix.com)
संदर्भ शहरी बाढ़: काश! दिल्ली बारिश को जी भर के जी पाए
जब तक हम पुराने बुनियादी ढांचे की बढ़ते शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए उन्नत और आधुनिकीकरण की आवश्यकता पर बल नहीं देंगे तब तक प्रत्येक वर्ष इन समस्याओं से जूझते रहेंगे। यह समस्या अचानक से नहीं आती‚ हमें इसके आने की सूचना होती है। पूर्व की गलतियों से सीखने के मौके होते हैं। Kesar Singh posted 11 months 1 week ago
शहरों में बाढ़ अब हर साल की समस्या
तालाब या इंफिल्ट्रेशन टैंक पर कृत्रिम वर्षाजल रिचार्ज संरचनाओं की सहायता से नदियों का पुनरुद्धार ; एक केस स्टडी
तालाब, झील, पोखर, आहर, नाहर, खाव, चाल-खाल, गड्ढे ये सभी भूजल के पुनर्भरण का जरिया हैं। तालाब को पृथ्वी का रोम कूप भी कहते हैं। नदियों के किनारों के एक बड़े कैचमेंट के इन परम्परागत जलस्रोतों के पुनर्जीवन से कोई नदी भी जिंदा हो सकती है? एक केस स्टडी बहुत कुछ कहती है -  Kesar Singh posted 11 months 1 week ago
पहचानिए
धरती जलती भट्टी बनती जाए!
उत्तर भारत मध्य मई से ही भीषण गर्मी की चपेट में रहा। कई इलाकों में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला गया। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार, इस बार देश में अब तक की सबसे लंबी गर्मी रही। विशेषज्ञों ने भविष्य में और भी गंभीर स्थिति की चेतावनी दी है। अगर निवारक उपाय नहीं किए गए तो हीटवेव लंबे समय तक और ज्यादा भीषण रहेंगी Kesar Singh posted 11 months 2 weeks ago
ग्लोबल वार्मिंग (फोटो साभार : सुनंदो रॉय, फ़्लिकर कॉमन्स)
सरकार और समाज के समन्वय से सफल होगी अमृत सरोवर योजना
केंद्र सरकार ने 24 अप्रैल 2022 को अमृत सरोवर योजना को प्रारम्भ किया। स्वाधीनता के 75 वर्ष पूर्ण होने अर्थात अमृतकाल में प्रस्तुत इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक जनपद में 75 अमृत सरोवर का निर्माण होना था। प्रश्न यह है कि क्या वह लक्ष्य पूर्ण हुआ जिसके दृष्टिगत अमृत सरोवरों का निर्माण हुआ। जानिए उसके बारे में और अधिक -  Kesar Singh posted 11 months 2 weeks ago
प्रतिकात्मक तस्वीर
संदर्भ मुम्बई बाढ़: भ्रष्टाचार में जा रहा है नालों की सफाई का पैसा
यह जो सीमेंट की सड़कें बनाने और गलियों में भी सीमेंट से ही समतलीकरण की सोच है‚ यह जल संरक्षण में बाधक है। सीमेंट की सड़कों और सीमेंट की गलियों की वजह से बारिश का पानी जमीन में नहीं जा पाता। स्पष्ट शब्दों में कहें तो मुंबई बारिश का काफी पानी बर्बाद कर देता है। आज मुंबई में जल संकट पैदा हो गया है‚ निवासियों को पिलाने के लिए १५ दिन का भी पानी नहीं बचा है। बीएमसी को पानी की राशनिंग करनी पड़ती है। प्रस्तुत आलेख राष्ट्रीय सहारा के अजय तिवारी से बातचीत पर आधारित है। Kesar Singh posted 11 months 2 weeks ago
शहरी बाढ़ अब ऩए स्तर पर (courtesy - needpix.com)
जल संकट का कैसे निकले हल ! प्रेरक उदाहरण सिंगापुर का मॉडल
गंदे पानी के शुद्धिकरण, समुद्री जल का खारापन कम करने और वर्षा जल के अधिकतम संग्रह के साथ सिंगापुर ने पानी से जुड़ी अपनी जरूरतों को पूरा करने का एक ऐसा मॉडल तैयार किया, जो एडवांस्ड टेक्नोलॉजी के साथ सामाजिक बदलाव की एक बड़ी मिसाल है Kesar Singh posted 11 months 2 weeks ago
 सिंगापुर ने एडवांस्ड टेक्नोलॉजी के भरोसे कायम किया सफलता का मॉडल
नाला नहीं, अब सदानीरा बनेगी कुकरैल नदी
पिछले दिनों उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में चलाया गया एक अतिक्रमण विरोधी अभियान राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में रहा। वैसे तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार आने के बाद उनके बुलडोजर की बहुत चर्चा रही है। लेकिन इस बार लखनऊ में जब बुलडोजर चलाया गया तो इसके पीछे उद्देश्य सरकारी संपत्ति को कब्जा मुक्त कराना या किसी अपराधी को उसके किए का सबक सिखाना मात्र नहीं था। इसके पीछे जो कारण था वह बहुत ही पवित्र और पर्यावरण हितैषी था। Kesar Singh posted 11 months 2 weeks ago
कुकरैल नदी प्रदूषण
हल्की बारिश से ही पूरी दिल्ली पानी–पानी हो जाती है, जानलेवा भी
मानसून की पहली बारिश में दिल्ली डूब गई‚ झेल नहीं पाई तेज बारिश। जगह–जगह जलभराव हुआ। टनल‚ अंडरपास‚ पुल–पुलिया‚ सड़कें सभी पानी से लबालब भर गईं। पीडब्ल्यूडी‚ दिल्ली जल बोर्ड‚ नगर निगम‚ एनडीएमसी ऐसे महकमे हैं जिन पर जलभराव से निपटने की सामूहिक जिम्मेदारियां रहती हैं। लेकिन ये सभी आपस में ही भिड़े पड़े हैं। एक–दूसरे पर नाकामियों के दोष मढ़े जा रहे हैं। इनकी इन हरकतों की मार बेकसूर दिल्लीवासी झेल रहे हैं। यह समस्या आखिर‚ क्यों साल–दर–साल नासूर बनती रही है। चुनावों में तो सभी दल इन समस्याओं से निपटने का दम भरते हैं‚ लेकिन चुनाव बीतने के बाद निल बटे सन्नाटा। इस विकट समस्या पर प्रकाश डालने के लिए डॉ. रमेश ठाकुर ने एमसीडी के प्लानिंग पूर्व चीफ इंजीनियर सुरेश चंद्रा से जानना चाहा कि आखिर‚ इस समस्या के कारण और निवारण हैं क्याॽ पेश हैं बातचीत के मुख्य हिस्से. Kesar Singh posted 11 months 2 weeks ago
शहरी बाढ़ (courtesy - needpix.com)
पटना नगर निकाय के दावे बेमानी
पूर्व अनुभवों से सबक लेते हुए फील्ड में काम करने वाले अधिकारी समीक्षा बैठक‚  तैयारी बैठक‚ ‘गर्दन बचाव' बैठक करने से नहीं चूक रहे। Kesar Singh posted 11 months 2 weeks ago
शहरी बाढ़ (courtesy - needpix.com)
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