A recent study finds that climate change induced extreme weather events such as droughts can increase the vulnerability of women to Intimate Partner Violence (IPV).
Posted on 02 Aug, 2010 08:06 AM यह उन लाखों कोसी वासियों के दुख की कहानी नहीं है जिन्होंने 2008 में कुछ महीनें कोसी की बलखाती लहरों के थपेड़ों के बीच गुजारे बल्कि यह उन दूसरे लाखों लोगों की दास्तान है जो चालीस साल से इस नदी के थपेड़ों से जूझ रहे हैं. बाढ़ से मुक्ति के नाम पर हुए प्रयोग में सरकार ने इस नदी को जब तटबंधों के बीच कैद किया तो उस पिंजरे से वह इन लाखों लोगों को बाहर निकालना भूल गई.
Posted on 13 Jul, 2010 12:18 PM हरियाणा व पंजाब में गत् दिनों मॉनसून की शुरुआत में ही आई भारी बारिश तथा इसके बाद उत्पन्न हुई बाढ़ जैसी स्थिति के लिए एक बार फिर यही बताया गया कि घग्गर व टांगरी जैसी पहाड़ी नदियों तथा एस वाई एल नहर पर बने बांध में पड़ी दरार ने बारिश के पानी के साथ मिलकर बाढ़ जैसी स्थिति बना दी। जिसके कारण अंबाला, कुरुक्षेत्र तथा पटियाला जिलों का काफी बड़ा भाग जल प्रलय जैसे माहौल का सामना करने के लिए मजबूर हो
Posted on 23 Sep, 2009 01:08 PMकोसी नदी बेसिन मानव अधिवास के लिये प्राचीन काल से ही उपयुक्त जगह है। 12-13वीं शताब्दी में पश्चिम भारत की कई नदियों के सूख जाने के कारण वहां के पशुचारक समाज के लोग कोसी नदीबेसिन में आकर बस गये। कोसी नदी घाटी में बढ़ती जनसंख्या और कोसी नदी के बदलते प्रवाह मार्ग के बीच टकराहट होने लगी। नदी की अनियंत्रित धारा को लोग बाढ़ समझने लगे। बाढ़ नियंत्रण के लिये तात्कालीन शासकों ने कदम उठाये।1 सबसे पहले 12वीं
Posted on 23 Sep, 2009 09:40 AMजब देश में पहली बाढ़ नीति को 1954 में स्वीकार गया था उस समय ज़मीन्दारी और महाराजी तटबंधों के अलावा बिहार में तटबंधों की लम्बाई 160 किलोमीटर थी और यहाँ बाढ़ से प्रभावित हो सकने वाला क्षेत्र 25 लाख हेक्टेयर था। सरकार ज़मीन्दारी और महाराजी तटबन्धों को अवैज्ञानिक और अक्षम मानती थी इसीलिये केवल सरकार द्वारा बनाये गये तटबन्धों को ही मान्यता देती थी। तटबन्धों की लम्बाई 1990 में बढ़ कर 3454 किलोमीटर हो गई
Posted on 05 Feb, 2009 09:34 AM भारत में बाढ को आम खतरों में गिना जाता है। बाढ़ निम्नलिखित परिस्थितियों में खतरनाक हो सकती हैः
पानी अगर बहुत तेजी से बह रहा है पानी अगर बहुत गहरा है अगर बाढ़ का पानी तेजी से चढ़ गया है अगर बाढ़ के पानी में पेड़ तथा कोरोगेटिड आयरन (नालीदार चादर) जैसा कचरा शामिल है
कोसी क्षेत्र में फिर से प्रलयंकारी बाढ़ नहीं आए इसके लिए केन्द्र सरकार ने तिजोरी खोल दी है। इसके लिए 482.81 करोड़ की दो परियोजनाओं को जल संसाधन मंत्रालय ने स्वीकृति प्रदान की है। इस परियोजना में कुसहा के टूटे तटबंध की मरम्मत तो शामिल ही है, कोसी तटबंध और सपंर्क सड़कों की मरम्मत भी की जाएगी।