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सिंचाई
दुमका: खेत प्यासे, किसान-मजदूर पलायन को मजबूर
Posted on 15 May, 2019 05:47 PMलोकसभा चुनाव प्रचार में नारे, दावे, वादे के बीच दुमका का दर्द भी उभर रहा है। खेत प्यासे हैं। खेतिहर मजदूरों को काम नहीं मिल रहा। ऐन चुनाव के समय मजदूर प.बंगाल जा रहे हैं। वहां गरमा धान की फसल कट रही है, इसलिए जीविका की जद्दोजहद चल रही है।
सिंचाई विभाग से काम छीनने का किया विरोध
Posted on 11 May, 2019 11:40 AMसिंचाई विभाग को आवंटित त्यूनी-प्लासू तथा आराकोट-त्यूनी जल विद्युत परियोजना का काम छीनने का सिंचाई विभाग कर्मचारी महासंघ ने विरोध किया है। महासंघ ने बैठक कर कहा कि यदि आवंटित परियोजनाएं साजिश के तहत यूजेवीएनएल को दी गई तो प्रदेश भर में आंदोलन किया जाएगा। इसके लिए महासंघ ने जल्द आंदोलन की रणनीति बनाने की बात कही है।
जल : प्रथम और अन्तिम सार्वजनिक सम्पदा
Posted on 11 Jun, 2015 09:28 PMजल संकट व्यापारिक कारणों से उत्पन्न एक पारिस्थितिकीय संकट है जिसका कोई बाजारनिष्ठ समाधान नहीं है। बाजारनिष्ठ समाधान धरती को बर्बाद करते हैं और असमानता को बढ़ावा देते हैं। जल संकट को खत्म करने के लिए पारिस्थितिकीय लोकतन्त्र को नई जिन्दगी का आवश्यकता है।जल के दो आयाम बेहद विवादित हैं- जल की सार्वजनिकता का आयाम और जल के वस्तु होने का आयाम।
किसानों के लिए मददगार साबित हो सकता है ये सायनोबैक्टेरिया
Posted on 17 Sep, 2010 01:54 PMविज्ञान के क्षेत्र में रोज नई-नई खोज हो रही है। हमें यह जानकर खुशी होती है कि वैज्ञानिक खोज हमारे जीवन को ज्यादा सुगम, सहज बनाने के साथ-साथ प्रगति में भी सहयोगी होते हैं। वैज्ञानिक के रूप में बहुत ही कम महिलाओं को हम जानते हैं, पर कुछ ऐसी महिला वैज्ञानिक हैं जिनके काम की बदौलत अलग-अलग क्षेत्रों में नए रहोस्याद्घाटन हो रहे हैं। विज्ञान की दुनिया में सायनोबैक्टेरियोलॉजिस्ट के नाम से अपनी पहचान कायमएक बाली में छिपी क्रांति
Posted on 26 Aug, 2010 11:09 AMकोई 250 बरस पहले अंग्रेजी लेखक जॉनाथन स्विफ्ट ने एक कहानी लिखी थी ‘गुलिवर्स ट्रेवल्स’। तब से अब तक इसके अनगिनत अनुवाद हुए हैं। इस सुंदर कथा के एक प्रसंग में एक ऐसे साधारण आदमी को बड़े से बड़े राजा, महाराजा से भी बड़ा बताया गया है जो फसल की एक बाली को, घास के एक तिनके को दो बालियों, दो तिनकों में बदल दे। लगता है बाद में कृषि वैज्ञानिकों ने इसी कहानी को पढ़कर सभी तरह की फसलें दुगुनी करने के
जल फैलाव (Water Spreaders)
Posted on 06 Sep, 2008 12:28 PMकई प्रकार की यांत्रिक एंव वानस्पतिक विधियों का प्रयोग करके वर्षाजल अपवाह को ढ़लान से समतल क्षेत्रों में मोड़ा जाता है। जहां अपवाह जल ज्यादा भूमि क्षेत्र में फैलकर भूमि में वर्षा जल रिसाव को बढ़ावा देता है। उपरोक्त उद्देश्यों से बनाई गई संरचनाओं को जल फैलाव (Water spreaders) कहते है।विपथक बंध (Diversion bunds) / नालियां
Posted on 06 Sep, 2008 12:18 PMइनका निर्माण वर्षाजल अपवाह को सुरक्षित जल संग्राहक तालाबों / बांधो में पहुंचाना होता है। ये एक प्रकार की नालियां होती है जिन्हें ढलान के निचले हिस्से में 0.5 प्रतिशत से 1.0 प्रतिशत तक का ढाल देकर बनाया जाता है। यह जल संग्रहण तालाबों (Water harvesting ponds) का अभिन्न हिस्सा है। विपथक बंधों को स्थायित्व प्रदान करने के लिये सिमेन्ट लाईनिंग, ईंट की दीवार अथवा घटांके
Posted on 06 Sep, 2008 12:13 PMसतही अपवाह को भंडारित करने वाली एक ढंकी हुई भूमिगत सरंचना जिसे स्थानीय भाषा मं टंका कहते है। इस प्रकार के टंके भारत के शुष्क प्रदेशों में अधिकांश रूप से प्रयोग में लाये जाते है। टंका 3 से 4 मी. व्यास का एक गोल गङ्ढा खोदकर उसके आधार एंव किनारे की दीवारों को 6 मी.मी. मोटे लाईम मोर्टार या 3 मी.मी.खोदकर तालाबों का निर्माण एंव भंडारण टंकियां
Posted on 06 Sep, 2008 11:58 AMखोदकर बनाए गये तालाबों का निर्माण सामान्यतया समतल क्षेत्रों में किया जाता है। तालाब के निर्माण के लिये क्षेत्र के सबसे नीचले हिस्से का चुनाव किया जाता है जहां वर्षा जल अपवाह को आसानी से ले जाया जा सके। सर्वप्रथम आवश्यकतानुसार तालाब की सीमारेखा निर्धारित कर खुदाई शुरू की जाती है और खुदाई की गई मिट्टी को तालाब के चारों तरफ एक मजबूत मेंड के रूप में जमाकर रोल