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नदियां
बिहार को बहुत मंहगा पड़ेगा नदी जोड़
Posted on 17 Jul, 2012 05:36 PMबाढ़ में अतिरिक्त पानी को लेकर समझने की बात यह है कि उत्तर बिहार से होकर जितना पानी गुजरता है, उसमें मात्र 19 प्
नदियों को मारकर,गंदे नालों के साथ जीने की लत
Posted on 02 Jul, 2012 12:52 PMभारत नदियों का देश रहा है। इस देश में गंगा, यमुना, सरस्वती आदि प्रसिद्ध नदियां बहती हैं। इन नदियों को मां कहा जाता है। सुबह-शाम इनकी पूजा-अर्चना की जाती है। नदियों के किनारे ही हमारे संस्कृति का विकास हुआ है। लेकिन अब नदियां कचरा ढोने वाली मालगाड़ी बन गई हैं। अब नदियों में साफ पानी से ज्यादा सीवेज का कचरा मिलेगा। क्योंकि हम नदियों से पानी लेते तो हैं लेकिन उसके बदले नदियों को अपने शहर की गंदगीअपने उद्गम पर बेदम शिप्रा नदी
Posted on 28 Jun, 2012 08:44 AMमानव समाज विकास के अंधी दौड़ में इतना पागल हो गया है कि अपने जीवनदायिनी नदियों को खत्म करता जा रहा है। जो नदियां कभी मानव समाज तथा जंगलों को अपने जल से सिंचती थीं आज अपने अस्तित्व को बचाने में लगी हैं। इसी तरह हल्द्वानी में बरसाती नदी शिप्रा अपने उद्गम स्थल श्यामखेत में ही आबादी वाले इलाके के रूप में बदल चुकी है। इन छोटे-छोटे बरसाती नदियों के वजह से ही बड़ी नदियों में हमेशा पानी रहता है। लोगोंनदियों, वनों और भूजल के रिश्तों को समझें
Posted on 15 Jun, 2012 10:44 AMअनादिकाल से मनुष्य के जीवन में नदियों का महत्व रहा है। विश्व की प्रमुख संस्कृतियाँ नदियों के किनारे विकसित हुई हैं। भारत में सिन्धु घाटी की सभ्यता इसका प्रमाण है। इसके अलावा भारत का प्राचीन सांस्कृतिक इतिहास भी गंगा, यमुना, सरस्वती और नर्मदा तट का इतिहास है। ऐसा माना जाता है कि सरस्वती नदी के तट पर वेदों की ऋचायें रची गईं, तमसा नदी के तट पर क्रौंच-वध की घटना ने रामायण संस्कृति को जन्म दिया। उसीग्रीन ट्रिब्यूनल ने लौटाई हिंडन को सांस की आस
Posted on 01 May, 2012 09:15 AMहिंडन के इस मामले में भी ट्रिब्यूनल ने 16 अप्रैल, 2012 को फिलहाल मिट्टी भराव पर रोक लगा दी है।
नदी जोड़ परियोजना वरदान या अभिशाप
Posted on 26 Apr, 2012 03:42 PMनदी जोड़ परियोजना की वजह से ना तो मुजफ्फरपुर के लीची में कोई मिठास आ जाएगी और ना ही मधुबनी के आमों में वो रस जिसके लिए ये दोनों जाने जाते हैं। इनका रस और मिठास इनके अपने ही नदियों के पानी से आएगा जिसके किनारे ये अपना फल देते हैं। इस नदी जोड़ परियोजना से राजस्थान में धान की फसलें लहलहाने नहीं लगेंगी। इसी नदी जोड़ परियोजना के बारे में बताते संजय मिश्र।देवभूमि पर भूमाफिया का कसता शिकंजा
Posted on 24 Apr, 2012 10:59 AMसूचना के अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी के अनुसार आज दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में स्थित कुल चार सौ छिहत्तर तालाब
‘जोड़ने’ में न टूटें लक्ष्मण रेखाएं
Posted on 09 Apr, 2012 06:04 PMहिमालय का नक्शा ऊपर से देखें तो गंगा और यमुना का उद्गम बिल्कुल पास-पास दिखाई देगा लेकिन यह पर्वत का भूगोल ही है कि दोनों नदियों को प्रकृति ने अलग-अलग घाटियों में बहाया और फिर बहुत धीरज के साथ पर्वत को काट-काटकर प्रयाग तक पहुंच कर इनको मिलाया। न्याय देने वाला पक्ष-विपक्ष की लंबी-लंबी दलीलें सुनता है और तब वह नीर, क्षीर, विवेक के अनुसार फैसला सुनाता है। दूध का दूध और पानी का पानी। लेकिन नदी जोड़ो प्रसंग में अदालत ने दोनों बार दूध भुला दिया और पानी को पानी से जोड़ने का आदेश दे दिया है।
लगता है लक्ष्मण रेखाएं तोड़ने का यह स्वर्ण-युग आ गया है। जिसे देखो वह अपनी मर्यादाएं तोड़कर न जाने क्या-क्या जोड़ना चाहता है। देश की सबसे बड़ी अदालत ने नदी जोड़ने के लिए सरकार को आदेश दिया है। एक समिति बनाने को कहा है और उसकी संस्तुतियां भी एक निश्चित अवधि में सरकार के दरवाजे पर डालने के लिए कहा है और शायद यह भी कि सरकार संस्तुतियां पाते ही तुरंत सब काम छोड़कर देश की नदियां जोड़ने में लग जाए! यह दूसरी बार हुआ है। इससे पहले एनडीए के समय में बड़ी अदालत ने अटलजी की सरकार को कुछ ऐसा ही आदेश दिया था, तब विपक्ष में बैठी सोनिया जी और पूरी कांग्रेस उनके साथ थी। एनडीए के भीतरी ढांचे में आज की तरह किसी भी घटक ने इसका कोई विरोध नहीं किया था। सबसे ऊपर बैठे राष्ट्रपति भी इस योजना को कमाल का मानते थे।300 करोड़ रुपए खर्च, नदी जोड़ो योजना अब तक सिर्फ कागजों में
Posted on 05 Apr, 2012 10:22 AMइस योजना के तहत देश की प्रमुख नदियों को 2015 तक एक-दूसरे से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया था। नदियों को जोड़ने के संब
राजरोगियों की खतरनाक रजामंदी
Posted on 03 Apr, 2012 12:12 PMअच्छे लोग भी जब राज के नजदीक पहुंच जाते हैं तो उनको विकास का रोग लग जाता है।.. भूमंडलीकरण का रोग लग जाता है। उन्हें लगता है कि सारी नदियां जोड़ दें, सारे पहाड़ समतल कर दें..