In our quest to spotlight dedicated entrepreneurs in the water sector, we bring you the inspiring story of Priyanshu Kamath, an IIT Bombay alumnus, who pivoted from a lucrative corporate career to tackle one of India's most intricate water quality challenges, that of pollution of its urban water bodies.
जानिए क्या कारण है कि चंपावत जिले की एकमात्र झील श्यामलाताल आज अपने अस्तित्व को तलाश रही है और तकरीबन 7 मीटर गहरी झील में अब सिर्फ एक से डेढ़ मीटर पानी रह गया है।
Posted on 12 Jan, 2014 11:17 PM12 जनवरी 2014 बुन्देलखण्ड / के महोबा जिले में सूपा गांव के किसान भूरा पुत्र नथुवा कहने को तो बृहद किसानों की श्रेणी में आते है। ये अच्छी किश्म की मिट्टी वाले खेत के भूस्वामी भी है। हां इनके खेत तक कभी कभार पचपहरा बांध से आने वाले माइनर से पानी भी मिल जाता है। इस पानी के मिलने से फसल उत्पादन का बढ़ना लाजिमी बात है। पर यह अवसर स्थाई नहीं मिलता । जिससे लाभ- हानि बराबर हो जाती है। बांध के इस पानी की ल
Posted on 12 Jan, 2014 10:37 PMबुन्देलखण्ड में महोबा जिले के सूपा गांव का किसान श्रीपत पुत्र धुपकइयां दिल्ली में रहकर मजदूरी से अपने परिवार का भरण पोषण करता है।
Posted on 12 Jan, 2014 09:17 AM12 जनवरी 2014, महोबा। अपने खेत में 30 फुट गहरा कुआं खोदकर छ: साल पहले पानी का जतन तो किया था। उसके निर्माण में खुद परिवार सहित मेहनत भी की, और 32 हजार मजदूरी पर खर्च किया। लेकिन उसे पक्का नहीं करवा सके। तो बरसात में जस का तस मिट्टी से पट गया। पक्का न कर पाने की वजह बना नातिन की शादी।
Posted on 12 Jan, 2014 09:06 AM12 जनवरी 2014, महोबा। जिले की तिन्दौली गांव की महिला किसान रामरती पुत्री नन्नुहा भी किसी से पीछे नहीं है। गांव-गली में रामरती के हौसले और हुनर भरे किस्से किसी से भी सुन सकते हैं। आम महिलाओं की तरह वह न तो बुझदिल है न ही कमजोर। फर्राटे से मोटरसायकिल चलाना, सर में पगड़ी बांध कर लाठियां भांजना, निशानेबाजी तो शौक है। हैण्डपम्प की नामी-गिरामी मिस्त्री भी, साथ ही घर पर परचून की दुकान चलाकर अच्छी खासी आम
Posted on 11 Jan, 2014 10:44 AM10 जनवरी 2014, महोबा। जिले के विकासखण्ड कबरई का गांव सलारपुर मप्र जनपद छतरपुर की सीमा से सटा है। गांव के एक बरसाती नाले से लगा, किसान रामकृपाल पुत्र मनुवा व उसके छोटे भाई बाबूलाल की 3 एकड़ ढालूदार, बालू कंकड़ युक्त जमीन है, जिसमें उपजाऊ मिट्टी और सिंचाई के पानी के अभाव में नाम मात्र की फसल हाथ लगती रही है। शायद ही कभी इस जमीन से फायदे की फसल काटने का सौभाग्य मिला हो।
Posted on 11 Jan, 2014 10:25 AM11 जनवरी 2014, महोबा। बदहाली के मुकाम में ठहरे बुंदेलखंड को खुशहाली को राह में लाना कोई आसान बात नही हैं जो किसी संस्था अथवा सरकार के संसाधनों मात्र से हो सके। इस तरह के बदलाव सिर्फ व सिर्फ समुदाय व समाज की अपनी समझ और चाहत से सम्भव है। ऐसा ही कुछ बदलाव बुंदेलखंड में किसानों के खेतों पर श्रृंखलाबद्ध बनते तालाबों से आसार नजर आ रहे हैं। जहां बदहाली का डेरा है।
Posted on 10 Jan, 2014 10:08 AM9 जनवरी 2014, महोबा। जिले में खेतों की प्यास बुझाने के लिए गांव-गांव से किसानों के तालाब की फेहरिस्त और सूचनाओं का ब्यौरा सुबह से शाम तक मिलना आम बात होती जा रही है, जो अपने खेत के पांचवें-दसवें हिस्से में अपना तालाब बनाने के इच्छुक हैं। पर इसी जिले के एक गांव की महिला किसान का हौसला देखते ही बनता है, जिसने अपने खेत को तालाब में तब्दील कर दिखा दिया।
Posted on 09 Jan, 2014 08:26 AM अमर उजाला ब्यूरो, 19 नवंबर 2013, बाँदा। बुंदेलखंड के सूखे खेतों को तालाबों के पानी से तर करने के लिए अब किसानों ने खुद बीड़ा उठाया है। मेहनती किसान अपने खेतों में निजी तालाब खोद रहे हैं। फिलहाल यह अभियान पानी के लिए डार्क जोन घोषित हो चुके महोबा में जोरशोर में चल रहा है। यहाँ छह माह में एक सैकड़ा से ज्यादा तालाब खोदे जा सके हैं। लक्ष्य इस वर्ष एक हजार तालाब खोदने का हैं महोबा के जिलाधिकारी भी
Posted on 07 Jan, 2014 11:30 PM 22 दिसम्बर 2013; महोबा जिले के बरबई गाँव में ‘अपना तालाब अभियान’ विस्तार कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला की चर्चा का केंद्र था कि प्रतिभागी किसान आपस में अपने-अपने तालाबों के अनभुव का विनिमय तथा खेतों की जरूरत के अनुरूप आवश्यक विस्तार कार्य योजना।