झीलें, तालाब और आर्द्रभूमि

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May 6, 2024 In our quest to spotlight dedicated entrepreneurs in the water sector, we bring you the inspiring story of Priyanshu Kamath, an IIT Bombay alumnus, who pivoted from a lucrative corporate career to tackle one of India's most intricate water quality challenges, that of pollution of its urban water bodies.
Innovative solutions to clean urban water bodies, Floating islands (Photo Credit: Priyanshu Kamath)
April 28, 2024 जानिए क्या कारण है कि चंपावत जिले की एकमात्र झील श्यामलाताल आज अपने अस्तित्व को तलाश रही है और तकरीबन 7 मीटर गहरी झील में अब सिर्फ एक से डेढ़ मीटर पानी रह गया है।
चंपावत की श्यामलाताल झील, प्रतीकात्मक
October 28, 2023 While Delhi NCR is undergoing rapid urbanisation, what is the state of the wetlands in the region? A study finds out.
Okhla Bird Sanctuary, Noida (Image Source: Awankanch via Wikimedia Commons)
September 21, 2023 PESA Act unleashed: The Mahila Sangh's ongoing governance transformation
Women from the Mahila Gram Sangh (Image: FES)
May 17, 2023 Given Hamirsar's significance, the Jal Shakti Ministry had designated it as one of India's 75 water heritage monuments
Need to resuscitate the traditional water system and expand its catchment (Image: Raman Patel, Wikimedia Commons, CC BY 3.0)
बांध के पानी की लगाम किसान भूरा के हाथ होती तो शायद ..........
Posted on 12 Jan, 2014 11:17 PM 12 जनवरी 2014 बुन्देलखण्ड / के महोबा जिले में सूपा गांव के किसान भूरा पुत्र नथुवा कहने को तो बृहद किसानों की श्रेणी में आते है। ये अच्छी किश्म की मिट्टी वाले खेत के भूस्वामी भी है। हां इनके खेत तक कभी कभार पचपहरा बांध से आने वाले माइनर से पानी भी मिल जाता है। इस पानी के मिलने से फसल उत्पादन का बढ़ना लाजिमी बात है। पर यह अवसर स्थाई नहीं मिलता । जिससे लाभ- हानि बराबर हो जाती है। बांध के इस पानी की ल
बुन्देलखंड का भूस्वामी बना दिल्ली का मजदूर
Posted on 12 Jan, 2014 10:37 PM बुन्देलखण्ड में महोबा जिले के सूपा गांव का किसान श्रीपत पुत्र धुपकइयां दिल्ली में रहकर मजदूरी से अपने परिवार का भरण पोषण करता है।
गिरधारी का अधूरा कुआं नहीं हुआ पूरा
Posted on 12 Jan, 2014 09:17 AM 12 जनवरी 2014, महोबा। अपने खेत में 30 फुट गहरा कुआं खोदकर छ: साल पहले पानी का जतन तो किया था। उसके निर्माण में खुद परिवार सहित मेहनत भी की, और 32 हजार मजदूरी पर खर्च किया। लेकिन उसे पक्का नहीं करवा सके। तो बरसात में जस का तस मिट्टी से पट गया। पक्का न कर पाने की वजह बना नातिन की शादी।
ऊसर में असरकारी अपना तालाब
Posted on 12 Jan, 2014 09:06 AM 12 जनवरी 2014, महोबा। जिले की तिन्दौली गांव की महिला किसान रामरती पुत्री नन्नुहा भी किसी से पीछे नहीं है। गांव-गली में रामरती के हौसले और हुनर भरे किस्से किसी से भी सुन सकते हैं। आम महिलाओं की तरह वह न तो बुझदिल है न ही कमजोर। फर्राटे से मोटरसायकिल चलाना, सर में पगड़ी बांध कर लाठियां भांजना, निशानेबाजी तो शौक है। हैण्डपम्प की नामी-गिरामी मिस्त्री भी, साथ ही घर पर परचून की दुकान चलाकर अच्छी खासी आम
अपना तालाब के भरोसे कंकरीली जमीन में फसल
Posted on 11 Jan, 2014 10:44 AM 10 जनवरी 2014, महोबा। जिले के विकासखण्ड कबरई का गांव सलारपुर मप्र जनपद छतरपुर की सीमा से सटा है। गांव के एक बरसाती नाले से लगा, किसान रामकृपाल पुत्र मनुवा व उसके छोटे भाई बाबूलाल की 3 एकड़ ढालूदार, बालू कंकड़ युक्त जमीन है, जिसमें उपजाऊ मिट्टी और सिंचाई के पानी के अभाव में नाम मात्र की फसल हाथ लगती रही है। शायद ही कभी इस जमीन से फायदे की फसल काटने का सौभाग्य मिला हो।
बदलाव के आधार बनते तालाब
Posted on 11 Jan, 2014 10:25 AM 11 जनवरी 2014, महोबा। बदहाली के मुकाम में ठहरे बुंदेलखंड को खुशहाली को राह में लाना कोई आसान बात नही हैं जो किसी संस्था अथवा सरकार के संसाधनों मात्र से हो सके। इस तरह के बदलाव सिर्फ व सिर्फ समुदाय व समाज की अपनी समझ और चाहत से सम्भव है। ऐसा ही कुछ बदलाव बुंदेलखंड में किसानों के खेतों पर श्रृंखलाबद्ध बनते तालाबों से आसार नजर आ रहे हैं। जहां बदहाली का डेरा है।
पूरे खेत में बना डाला तालाब
Posted on 10 Jan, 2014 10:08 AM 9 जनवरी 2014, महोबा। जिले में खेतों की प्यास बुझाने के लिए गांव-गांव से किसानों के तालाब की फेहरिस्त और सूचनाओं का ब्यौरा सुबह से शाम तक मिलना आम बात होती जा रही है, जो अपने खेत के पांचवें-दसवें हिस्से में अपना तालाब बनाने के इच्छुक हैं। पर इसी जिले के एक गांव की महिला किसान का हौसला देखते ही बनता है, जिसने अपने खेत को तालाब में तब्दील कर दिखा दिया।
परिन्दों के पहले वाशिन्दों की वापसी का जरिया ‘अपना तालाब’
Posted on 10 Jan, 2014 10:05 AM 9 जनवरी 2014, महोबा। जिला मुख्यालय से महज 12 किमी. पर बसे विकासखण्ड चरखारी के गांव ‘सूपा’ पलायन के लिए चर्चित है।
सूखे खेतों को तर करने को ‘अपना तालाब अभियान’
Posted on 09 Jan, 2014 08:26 AM
अमर उजाला ब्यूरो, 19 नवंबर 2013, बाँदा। बुंदेलखंड के सूखे खेतों को तालाबों के पानी से तर करने के लिए अब किसानों ने खुद बीड़ा उठाया है। मेहनती किसान अपने खेतों में निजी तालाब खोद रहे हैं। फिलहाल यह अभियान पानी के लिए डार्क जोन घोषित हो चुके महोबा में जोरशोर में चल रहा है। यहाँ छह माह में एक सैकड़ा से ज्यादा तालाब खोदे जा सके हैं। लक्ष्य इस वर्ष एक हजार तालाब खोदने का हैं महोबा के जिलाधिकारी भी
‘अपना तालाब’ विस्तार कार्यशाला का आयोजन
Posted on 07 Jan, 2014 11:30 PM
22 दिसम्बर 2013; महोबा जिले के बरबई गाँव में ‘अपना तालाब अभियान’ विस्तार कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला की चर्चा का केंद्र था कि प्रतिभागी किसान आपस में अपने-अपने तालाबों के अनभुव का विनिमय तथा खेतों की जरूरत के अनुरूप आवश्यक विस्तार कार्य योजना।
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