/topics/lakes-ponds-and-wetlands
झीलें, तालाब और आर्द्रभूमि
ऑल वेदर रोड की चपेट में प्राकृतिक जल श्रोत
Posted on 18 May, 2019 02:09 PMअगस्त्यमुनि। ऑल वेदर रोड का कार्य कर रही एजेंसी की कार्यप्रणाली से स्थानीय नागरिक दुःखी होने लगे हैं। एक ओर तो विस्तारीकरण से उड़ रही धूल से व्यापारी, यात्री और रहवासी परेशानी झेल रहे हैं। वहीं विस्तारीकरण के कार्य से प्राकृतिक जल श्रोत या तो बंद हो गए हैं या बंदी के कगार पर हैं। सड़क किनारे बने आबादीनुमा केंद्र और अन्य सरकारी भवन विस्तारीकरण की भेंट चढ़ चुके हैं।
झील में डूबा अतीत, भविष्य अधर में
Posted on 02 May, 2019 11:33 AMयूं तो नदियों के किनारे मानव सभ्यता जन्मी है, लेकिन टिहरी झील एक पूरी मानव सभ्यता को डुबो कर अस्तित्व में आई है। पानी के किनारे बसे लोगों को जीने के लिए, आजीविका के लिए, कहीं और जाने की जरूरत नहीं होती। लेकिन टिहरी झील के किनारे बसे सैकड़ों गांव के लोग कहते हैं कि हमें तो काला पानी की सजा हो गई है। उनके आजीविका के साधन नष्ट हो गए, खेत डूब गए, जंगल उजड़ गए। पशुओं को चारा तक उपलब्ध कराना मुश्किल है
उम्मीदों के दीये
Posted on 09 Jun, 2018 05:37 PM
कर्नाटक के लगभग 75 प्रतिशत हिस्सों में अक्सर अकाल आते हैं। इसलिये वहाँ सिंचाई के संसाधनों की महत्ता दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। कर्नाटक के इतिहास में तालाबों के निर्माण से सम्बन्धित अनेक प्रमाण मिलते हैं। इनमें से आज भी काम आने वाले कुछ तालाब तो 15-16 शताब्दी पुराने हैं।
तालाब - समझने से ही बात बनेगी
Posted on 19 Feb, 2017 12:00 PM
भारत के लगभग हर गाँव हर बसाहट के आसपास तालाब मौजूद हैं। यहाँ तक कि अनेक विलुप्त तालाब भी समाज की स्मृति में जिन्दा हैं। उनके नाम गाँव, मोहल्लों के नामों तथा उपनामों में रचे-बसे हैं। आज भी भारत में सैकड़ों साल पुराने अनेक तालाब मौजूद हैं। अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’ तथा सेंटर फॉर साईंस एंड एनवायरनमेंट, नई दिल्ली की किताब ‘बूँदों की संस्कृति’ में देश के विभिन्न भागों में मौजूद परम्परागत तालाबों का विवरण उपलब्ध है।
हमारे आसपास दो प्रकार के तालाब अस्तित्व में हैं। परम्परागत और आधुनिक तालाब। उन दोंनों प्रकार के तालाबों के अन्तर को समझने का मतलब है समस्याओं को बेहतर तरीके से स्थायी तौर पर सुलझाना।
भीमकुण्ड की आत्मकथा
Posted on 06 Aug, 2015 09:57 AM
मैं, भीमकुण्ड अर्थात पानी का विशालकाय कुण्ड हूँ। लोेक कथाएँ बताती हैं कि मेरे जन्म का कारण, धार के महाप्रतापी परमार राजा भोज की जानलेवा बीमारी थी। इस बीमारी से निजात पाने के लिये किसी ऋषि ने उन्हें 365 नदी-नालों की मदद से बनवाए जलाशय में स्नान करने की सलाह दी थी। इसी कारण, राजा भोज (1010 से 1055) ने भोजपुर ग्राम में मेरा निर्माण कराया।