/topics/water-management
जल प्रबंधन
जल संसाधन के प्रबंधन में जनभागीदारी का महत्व
Posted on 26 Dec, 2011 10:29 AMप्रकृति में प्राणी मात्र का अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए जल की आवश्यकता होती है। जीव जन्तु तथा पेड़-पौधे सभी का जीवन जल पर निर्भर है। जल के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। मानव के अविरल विकास में इसकी आवश्यकता निरंतर बनी रहती है। अतः यह कहना उचित होगा कि जल ही हमारा जीवन है। जल का मुख्य स्रोत वर्षा है। भारत वर्ष में वर्षा वर्ष के कुछ महीनों में ही होती है, इस कारण वर्षा के रूप में प्र
सुदूर संवेदन एवं भौगोलिक सूचना तंत्र प्रणाली के प्रयोग द्वारा जल संसाधनों का अनुप्रयोग
Posted on 26 Dec, 2011 10:06 AMजल मानव जीवन के लिए प्रकृति द्वारा प्रदत्त एक अनमोल देन है। जल मनुष्य के जीवन, कृषि तथा जल विद्युत परियोजनाओं के लिए आवश्यक संसाधन है। वर्षा जल का सामयिक तथा स्थानिक रूप से असमान होना, बाढ़ एवं सूखा आदि समस्याओं का प्रमुख कारण है। बाढ़ एवं सूखा जैसी समस्याओं सहित अन्य विविध समस्याओं के समाधान तथा जल की निरंतर मांग में वृद्धि होने के कारण, जल संसाधनों का उचित उपयोग तथा प्रबंधन अति आवश्यक है।
जल गति अभियांत्रिकी संबंधी संरचनाओं/यंत्रों के प्रभावी परिकल्पना में प्रतिरूप अध्ययन की उपयोगिता
Posted on 24 Dec, 2011 04:50 PMकिसी भी देश अथवा क्षेत्र के विकास में जल संसाधन के विकास का महत्वपूर्ण योगदान रहता है। जल संसाधन के समुचित प्रबंधन एवं उपयोग से बाढ़ नियंत्रण, जलविद्युत उत्पादन, पेयजल, कल-कारखानों, ताप व आण्विक ऊर्जा उत्पादन हेतु जलापूर्ति, सिंचाई, आदि में मदद मिलती है। अंततः मानव समाज के आर्थिक व सामाजिक विकास में एक मजबूत कड़ी के रूप में सहायक साबित होती है। जल स्रोतों के विकास व प्रबंधन हेतु विभिन्न द्रव चालितहरियाणा राज्य में जल संसाधनों के प्रबन्धन की समस्याएं एवं जीओइनफोरमेटिक्स तकनीक द्वारा इनका निदान
Posted on 24 Dec, 2011 03:46 PMजल संसाधनों के सतत विकास व प्रबन्धन के लिए इन संसाधनों की सही मात्रा का पता चलना तथा प्रयोग के स्तर के बारे में जानकारी होना बेहद जरूरी है। बढ़ती आबादी, औद्योगिकीकरण व शहरीकरण के कारण जल संसाधनों की उपलब्धता पर लगातार विपरीत प्रभाव पड़ता जा रहा है। एक तरफ पानी की मांग बढ़ी है और दूसरी तरफ पानी की गुणवत्ता पर लगातार प्रदूषण का प्रकोप जारी है। नयी तकनीकों के प्रयोग से इन संसाधनों की मात्रा तथा प्रयोसिंगापुर: आदर्श देश का जल प्रबंधन
Posted on 10 Oct, 2011 01:53 PMजल प्रबंधन के क्षेत्र में सिंगापुर पूरे विश्व में एक उदाहरण है। इससे भारत भी सबक ले सकता है क्
खेत का पानी खेत में
Posted on 19 Jan, 2010 01:30 PMदेश में मध्यवर्ती भाग विशेष कर मध्यप्रदेश के मालवा, निमाड़, बुन्देलखण्ड, ग्वालियर, राजस्थान का कोटा, उदयपुर, गुजरात का सौराष्ट्र, कच्छ, व महाराष्ट्र के मराठवाड़ा, विदर्भ व खानदेश में वर्ष 2000-2001 से 2002-2003 में सामान्य से 40-60 प्रतिशत वर्षा हुई है। सामान्य से कम वर्षा व अगस्त सितंबर माह से अवर्षा के कारण, क्षेत्र की कई नदियों में सामान्य से कम जल प्रवाह देखने में आया तथा अधिकतर कुएं और ट्य
सम्पूर्ण जल प्रबंधन
Posted on 18 Jan, 2010 01:52 PMधरती पर गिरने वाले वर्षा जल की प्रत्येक बूंद को रोका जा सकता है। बशर्ते इसके लिए संरचनाओं की ऐसी श्रृंखला तैयार कर दी जायें कि पानी की एक भी बूँद 10 मीटर से अधिक दूरी पर न बहने पायें। इसे कोई जल संरचना रोक ले और धरती में अवशोषित कर ले यही संपूर्ण जल प्रबंधन है। जलग्रहण का सिद्धांत है कि ‘पानी दौड़े नहीं, चले’ है, जबकि संपूर्ण जल प्रबंधन का सिद्धान्त है कि ‘पानी न दौड़े न चले, बल्कि रेंगे और अंत
जल में बसा देवता
Posted on 21 Sep, 2008 08:47 PMवे पुरोगामी पुरुष हैं। कार्यकर्ता तो आपको बहुत मिलेंगे, परंतु कर्म व ज्ञान का सम्मिश्रण आपको अनुपम मिश्र में ही मिलेगा। ज्ञान, कोरी सूचना भर नहीं, अनुभव की आंच में तपा हुआ अर्जित ज्ञान। उनका समूचा जीवन जल के प्रति एक सच्ची प्रार्थना रहा है। तीन दशकों से भी अधिक समय से वे भारत के लुप्त होते जल संसाधनों को बचा रहे हैं। इसलिये उनका प्रत्येक शब्द एक दस्तावेज बनता है, जहाँ वे जल संकट के विभिन्न पहलु
इस्राइल के जल प्रबंधन पर केसस्टडीज
Posted on 14 Sep, 2008 03:28 PMपानी की स्थिति /मध्य पूर्व के देशों को पानी के मामले में दो भागों में बांटा जा सकता है। एक तरफ वे देश हैं, जिनके पास जरूरत से ज्यादा पानी है। मसलन तुर्की, इरान और लेबनान। दूसरी तरफ वे देश हैं, जिनके यहां पानी की कमी है। जैसे जॉर्डन और इस्राइल के साथ–साथ फिलीस्तीनी अथॉरिटी। चूंकि इज़राइल में तेजी से शहरीकरण हो रहा है, सो यहां के प्राकृतिक जल संसाधनों का जोरदार दोहन किया जा रहा हैं। शहरीकर
वर्षा आधारित पर्वतीय कृषि और जल संकटः एक चुनौती
Posted on 13 Jun, 2024 08:11 AMतेज ढलानों और पेचीदा भौगोलिक संरचना के कारण पर्वतीय क्षेत्रों में वर्षा के पानी को भूजल में संचय के साथ सतही वर्षा जल को रोकना चुनौतीपूर्ण कार्य है। प्राकृतिक संसाधनों का अनियंत्रित दोहन, संरक्षण का अभाव, अनियोजित शहरीकरण तथा बढ़ती जनसंख्या का दबाव पर्वतीय क्षेत्रों में जल संकट के प्रमुख कारण हैं। वनों में भीषण आग हिमालयी क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन का एक महत्वपूर्ण कारण है। प्राकृतिक झरने, नौल