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पानी ही जीवन है, पानी औषधि भी है
प्यास लगने पर कभी इसकी अनदेखी न करें, ये दिल के लिए खतरनाक हो सकता है। पानी कोशिकाओं को नई ऊर्जा देता है और उनका विकास करता है, पानी का संबंध हमारी किडनियों से होता है। पानी के कारण ही हमारी किडनियां रक्त शुद्धिकरण और संतुलन के कार्य करने में सक्षम होती हैं। पानी शरीर की भीतरी मशीनरी की सफाई करता है और पाचन क्रिया को दुरुस्त करता है, योगासन की तकनीक में इसे कुंजल कहा जाता है। यदि पानी सही समय पर सही मात्रा में पिया जाए तो यह शरीर की अशुद्धियों को दूर करता है। शरीर में आंतों की कार्य प्रक्रिया पानी में सुचारू रूप से चलती है। पानी मांसपेशियों को लचीला बनाता है, पानी उच्च रक्तचाप घटाने में सहायक होता है, और यह रक्त में मिलकर रक्त प्रवाह प्रक्रिया को बेहतर बनाता है। किडनी रोगों से बचने के लिए प्रतिदिन 10-12 गिलास पानी पीना चाहिए।

Posted on 04 Aug, 2023 12:08 PM

अथर्ववेद में लिखा है, जल ही जीवन है, जल रोग दूर करता है, जल सब रोगों का संहार करता है इसलिए जल तुम्हें भी कठिन रोगों के पंजे से छुड़ावे" पानी ही जीवन है, इस बात को याद रखिये कितना भी काम हो, तनाव हो, परेशानी हो, व्यस्तता हो पानी पीना मत भूलिये। आप खुद को हाइड्रेट रखेंगे तो शरीर में ताजगी और ऊर्जा का स्तर बना रहेगा।

पानी ही जीवन है, PC-Bing-gpt
पानी की उम्र तथा उसका महत्व
पानी अथवा जल का स्थान जीवन के लिये वायु के बाद दूसरे स्थान पर आता है अतः इसके बारे में हमें अधिक से अधिक जानकारी होना हमारी जागरूक मानसिकता की निशानी है। Posted on 02 Aug, 2023 01:18 PM

प्रकृति द्वारा बनाये गये असंख्य पदार्थों में पानी एक अनमोल तथा अनोखा पदार्थ है जिसके बारे में वैज्ञानिक अभी तक सभी तथ्यों को नहीं खोज पाये हैं। आपको ज्ञात ही होगा कि पानी का घनत्व 4 डिग्री सेल्सियस ( सेन्टीग्रेड) पर अधिकतम होता है तथा इससे कम तथा अधिक तापमान पर इसका घनत्व घट जाता है। आपको यह भी ज्ञात होगा कि पदार्थों का आयतन गैस से तरल तथा तरल से ठोस अवस्था में आने पर घट जाता है लेकिन पानी एक ऐ

पानी एक अनमोल पदार्थ,PC-CHAT GPT
नदियां और हम (भाग-2)
पवित्रता की कोई ऐसी व्याख्या किसी भी हिन्दू के मन में संभव ही नहीं, जिसमें जीवन के शेष कर्म पवित्रता अपवित्रता से निरपेक्ष यानी 'सेकुलर' हों और कोई एक या कुछेक कर्म ही पवित्र हों। इसी प्रकार गंगा-गोदावरी की चाहे जितनी महिमा गाई जाए, वह महिमा उस विश्व- दृष्टि का ही सहज अंग है, जिसके अनुसार ईश्वर या परम सत्ता कण-कण में सर्वत्र व्याप्त है Posted on 21 Jul, 2023 05:40 PM

पवित्रता: एक सामाजिक आदर्श

अतः जो लोग इस भ्रम में पड़कर दुःखी रहते हैं कि किसी पुण्य पर्व में पवित्र स्नान मात्र को कोई परम्परानिष्ठ हिन्दू सचमुच मुक्ति का अंतिम आश्वासन मानता है, वे भारतीयता से अपरिचित ऐसे लोग हैं, जिन्हें या तो अज्ञानी कहा  जा सकता है या फिर फासिस्ट, क्योंकि वे जानबूझकर दूसरों के मत का अर्थक्षय करते हुए उन्हें इसी आड़ में दबाना- अनुशासित करना

नदियां और हम,फोटो क्रेडिट ; विकिपीडिया    
नदियां और हम (भाग-1)
प्राचीन काल में भारतीयों की मान्यता यह थी कि संपूर्ण सृष्टि में एक ही अखंड सत्ता सर्वत्र है। किंतु प्रत्येक प्राणी को इस अखंड बोध का अस्फुट आभास मात्र रहता है क्योंकि सामान्यतः प्राणी अपनी ही लालसाओं- 'योजनाओं की तात्कालिक पूर्ति में व्यस्त रहते हैं। Posted on 21 Jul, 2023 05:24 PM

नदियां और हम 

किसी समाज की विश्व-दृष्टि का एक लक्षण यह है कि वह अपने प्राकृतिक परिवेश को, उसके विभिन्न अवयवों को किस रूप में देखता-समझता है । यदि समाज और संस्कृति का अर्थ बोध और जीवन-व्यवहार है, तो मानना होगा कि विश्व दृष्टि के मूलतः बदल जाने का अर्थ है राष्ट्रीय संस्कृति का बदल जाना, उसका रूपांतरण ।

नदियां और हम, फोटो क्रेडिट:विकिपीडिया
खुला खत - राजधानी को प्रलय से बचाने के लिए यमुना को जल स्वराज्य चाहिए
राजधानी दिल्ली यूँ तो समय-समय पर सुखाड़-बाढ़ के प्रलय झेलती रही है। भारत की राजधानी सुखाड़ के प्रलय से सबसे पहले फतेहपुर सीकरी से उजड़कर आगरा आयी थी। आगरा में युमना के किनारे लम्बे समय तक हमारी राजधानी रही। फिर आगरा से उजड़कर दिल्ली आयी। Posted on 18 Jul, 2023 12:05 PM

प्रिय श्री अरविन्द केजरीवाल जी,
नमस्कार

 सुखाड़-बाढ़ के प्रलय,PC-विकिपीडिया
हिमालयी नदियों द्वारा बढ़ती तबाहीः कारण तथा निवारण (Increasing Devastation by Himalayan Rivers: Reasons and Remedy)
हिमालय पृथ्वी का सबसे युवा तथा कच्चा पर्वत है। इसलिए यह प्राकृतिक आपदाओं के लिहाज से बेहद संवेदनशील है। Posted on 17 Jul, 2023 01:14 PM

प्रस्तावना

हिमालय पृथ्वी का सबसे युवा तथा कच्चा पर्वत है। इसलिए यह प्राकृतिक आपदाओं के लिहाज से बेहद संवेदनशील है। हिमालय में जो नदियां बहती हैं वो अपने साथ गाद लेकर आती हैं। इस कारण यहां नालों तथा छोटी नदियों का निश्चित मार्ग नहीं है वो अक्सर अपना रास्ता बदलते हैं। भारी बारिश हिमालयी क्षेत्र में मौसम का सामान्य हिस्सा है। भूस्खलन और बाढ़ पहले भी पहाड़ों पर आते

हिमालयी नदियाँ,PC-विकिपीडिया
प्रकृति का बढ़ता प्रकोप : कारण एवं निवारण (Increasing Fury Of Nature:Causes & Remedies)
प्रकृति अथवा 'Nature' जिसमें ब्रह्मांड समाया हुआ है। हमारी पृथ्वी इस अनादि अनन्त ब्रह्माण्ड का एक ऐसा पिण्ड है जो खगोलीय अन्य पिण्डों की भाँति ही अपने पर लगाने वाले मूलभूत बलों के प्रभव से प्रभावित होती रहती है। Posted on 17 Jul, 2023 11:55 AM

प्रकृति का बढ़ता प्रकोप : कारण एवं निवारण 

प्रकृति अथवा 'Nature' जिसमें ब्रह्मांड समाया हुआ है। हमारी पृथ्वी इस अनादि अनन्त ब्रह्माण्ड का एक ऐसा पिण्ड है जो खगोलीय अन्य पिण्डों की भाँति ही अपने पर लगाने वाले मूलभूत बलों के प्रभव से प्रभावित होती रहती है। पृथ्वी पर इसके बाहरी पिण्डों एवं स्थितियों के प्रभाव के फलस्वरूप विद्युत चुम्बकीय एवं गुरुत्वीय बलों में परि

प्राकृतिक आपदा,PC-विकिपीडिया
पर्यावरणीय चेतना
आज का युग पर्यावरणीय चेतना का युग है। हर व्यक्ति अपने पर्यावरण के प्रति चिंतित है। Posted on 17 Jul, 2023 11:33 AM

आज का युग पर्यावरणीय चेतना का युग है। हर व्यक्ति अपने पर्यावरण के प्रति चिंतित है। ज्ञान और विज्ञान की हर शाखा के विद्वान, चिन्तक पर्यावरण की सुरक्षा और संचालन के प्रति जागरूक हैं। आज हर व्यक्ति स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त पर्यावरण में रहने के अपने अधिकारों के प्रति सजग होने लगा है और अपने दायित्वों को समझने लगा है। पर्यावरण का अर्थ है- परि + आवरण, परि अर्थात चारों ओर आवरण अर्थात ढका हुआ वे सारी स्

हमारा पर्यावरण,PC-विकिपीडिया
संस्थाएं, आर्द्राभूमियां और अन्य खुले जल मत्स्यपालन प्रबंधन में समुदाय की भागीदारी
हमारे देश में वर्तमान मत्स्य उत्पादन लगभग 8.0 मिलियन टन (एमटी) आंकलित किया गया है, जबकि इसकी तुलना में वर्ष 2015 तक इसकी अनुमानित मांग 12 मिलियन टन (एमटी) से भी अधिक होने की संभावना है। Posted on 14 Jul, 2023 03:02 PM

भारत में अंतर्देशीय खुले जल के विभिन्न स्वरूप हैं। इनमें शामिल हैं ( नदियां 2900 कि.मी.), जलाशय (31.5 लाख है.), जलप्लावन आर्द्रभूमि ( 3.54 लाख है.) कच्छ - वनस्पति ( 3.56 लाख है), नदीमुख ( 3.0 लाख है. ), नदीमुख आर्द्रभूमि (भेरी–39600 है.

मत्स्यपालन प्रबंधन में समुदाय की भागीदारी,फोटो क्रेडिट: - WIKIPEDIA
सरदार सरोवर जलाशय में गाद का प्रबंधन
नदी के प्रवाह में अवरोध से तथा जलाशय में जल के भराव से नदी के गाद प्रवाह में व्यवधान पड़ता है। बांध निर्माण द्वारा अवरूद्ध हुए प्रवाह से नदी में बह रही गाद जलाशय में जमा होने लगती है। गाद जमा होने से  बांध की भण्डारण क्षमता घट जाती है, जिसके कारण बांध की आयु कम हो जाती है। Posted on 12 Jul, 2023 03:39 PM

सारांश

नर्मदा नदी पर निर्माणाधीन सरदार सरोवर बांध भारत के बड़े बांधों में से एक है। इस बांध  का निर्माण, नर्मदा जल विवाद न्यायाधिकरण वर्ष 1979 के उस निर्णय के उपरान्त शुरू हुआ जिसके द्वारा नर्मदा जल का बटवारा  किया गया है। वर्ष 1980 में परियोजना की रूपांकन सम्बन्धी घटकों को अंतिम रूप दिया गया। अब उसके बाद की अवधि के निस्सारण / गाद (सिल्ट ) के आंकड़े भी उपलब्ध है

सरदार सरोवर जलाशय,फोटो क्रेडिट-विकिपीडिया
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