Posted on 17 Mar, 2010 03:47 PM चैत के पछिवाँ भादौ जला। भादौ पछिवाँ माघ के पला।।
भावार्थ- यदि चैत के महीने में पछुवा हवा चले तो समझ लो कि भादों महीने में अच्छी वर्षा होगी और यदि भादों के महीने में पश्चिमी वायु बहे तो समझो कि माध में पाला पड़ने वाला है।
Posted on 17 Mar, 2010 03:21 PM करिया बादर जीउ डरवावै। भूरा बादर पानी लावै।।
भावार्था – आसमान में यदि घनघोर काले बादल छाये हैं तो तेज वर्षा का भय उत्पन्न होगा लेकिन पानी बरसने के आसार नहीं होंगे, परन्तु यदि बादल भूरे हैं तो समझो पानी निश्चित रूप से बरसेगा।
Posted on 17 Mar, 2010 03:11 PM एक मास ऋतु आगे धावै। आधा जेठ असाढ़ कहावै।।
भावार्थ – ऋतु या मौसम एक महीने पहले ही अपना प्रभाव व्यक्त करने लगता है। आधे जेठ को ही आषाढ़ कहा जाता है क्योंकि उस समय तक आसमान में बादल दिखाई पड़ने लगते हैं। अर्थात् वर्षा ऋतु आरम्भ हो जाएगी, इसका पता चल जाता है।
Posted on 17 Mar, 2010 03:00 PM एक पानी जो बरसै स्वाती। कुनबिन पहिरै सोने के पाती।।
भावार्थ – यदि स्वाती नक्षत्र में एक बार वर्षा हो जाये तो निःसंदेह किसान की स्त्री सोने का पत्तर अर्थात् हाथ में पहनने का जहाँगीरी नामक गहने पहनेगी क्योंकि फसल अच्छी होगी।