पुस्तकें और पुस्तक समीक्षा

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तटबन्ध का अलाइनमेन्ट-तकनीक नहीं, जनमत संग्रह
Posted on 13 Aug, 2012 09:56 AM इस तरह से रंगमंच पर अब सारे पात्रा इकट्ठे थे। एक तरफ वह लोग थे जो चाहते थे कि पश्चिमी तटबन्ध को पूरब की ओर ठेल दिया जाय। दूसरी ओर वह थे जो पूरबी तटबन्ध को पश्चिम की ओर ठेलने की मांग कर रहे थे। अगर यह दोनों मांगें मान ली जाती हैं तो बीच में नदी के पानी के बहाव के लिए जगह बहुत कम बचती है और इसलिए तटबन्धों के बीच में रहने वाले लोगों की मांग थी कि अव्वल तो तटबन्ध बनें ही नहीं और अगर उसका निर्माण एकदम
सरकार द्वारा विरोध दबाने के लिये सशस्त्र पुलिस उतारने की धमकी
Posted on 13 Aug, 2012 09:46 AM

आन्दोलन के अन्य जगहों पर फैलने के अन्देशे से सरकार ने पुलिस बन्दोबस्त को पूरा मजबूत करके रखा थ

पूर्वी तटबन्ध पर भी लोग तटबन्ध के बाहर रहना चाहते हैं
Posted on 11 Aug, 2012 11:50 AM

जब पूरब और पश्चिम वाले दोनों तटबन्धों के बीच सामूहिक पंचलत्ती पड़ने के कारण फासले कम होने लगे

अब कोसी तटबन्धों और कोसी पीड़ितों के साथ धक्का-मुक्की
Posted on 11 Aug, 2012 11:35 AM

कोसी प्रोजेक्ट के इंजीनियरों के लिए तटबन्ध का अलाइनमेन्ट अब तक सिरदर्द बन चुका था। जो जहाँ फंस

उपेक्षित पीड़ित और उनका संघर्ष
Posted on 11 Aug, 2012 11:15 AM एक ओर कोसी के थपेड़ों से बचने वाले इलाकों के लोगों के मन में जहाँ खासा जोश-खरोश था वहीं दूसरी ओर वह किसान जिनकी जमीनों का निर्माण कार्यों के लिये अस्थाई अधिग्रहण हुआ था और वह लोग जिनकी जमीनों पर से होकर तटबन्धों को गुजरना था, थोड़े बहुत मुआवजे की उम्मीद में सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे थे। उनकी दौड़-धूप इस जुम्मे से उस जुम्मे तक और इस दरवाजे से उस चैखट तक निर्बाध गति से चल रही थी। सरकार ने अपनी
राजनैतिक तटबन्ध
Posted on 11 Aug, 2012 11:05 AM ऐसा लगता है कि कुनौली और निर्मली के बीच तटबन्ध का अलाइनमेन्ट कोसी परियोजना के अधिकारियों ने ज्यादा किसी हील-हुज्जत के बिना ही बदल दिया क्योंकि इस क्षेत्र में अलाइनमेन्ट बदलवाने के लिये किसी संघर्ष की कहानी सुनने को नहीं मिलती। कुनौली के उत्तर में नेपाली क्षेत्र में जरूर तटबन्ध का अलाइनमेन्ट बेतरह बदला गया था और यह परिवर्तन उस समय एक बहस का मुद्दा बना था जब
कोसी बांध-सबकी अपनी-अपनी समझ
Posted on 11 Aug, 2012 10:48 AM बांध एक ऐसा शब्द है जोकि बिहार में जन-साधारण के बीच कंक्रीट, ईंट या पत्थर अथवा मिट्टी के बने हुये किसी भी बांध के लिए बिना किसी भेद-भाव के प्रयोग में लाया जाता है। इसी शब्द के दायरे में तटबन्ध, वीयर और बराज जैसी संरचनाएं भी आ जाती हैं। हम समझते हैं कि बाकी जगहों पर भी एक खास वर्ग ही इन संरचनाओं के अन्तर को समझता होगा। जब कोसी पर तटबन्धों की बात चली तब भी आम
जिम्मेवारी से दामन झाड़ने की कला
Posted on 11 Aug, 2012 10:02 AM

क्या कभी बिहार सरकार यह भी बतायेगी कि बिहार की कुल 68.8 लाख हेक्टेयर जमीन में से 29 लाख हेक्टे

नाक की सीध में चलने का हुनर
Posted on 25 Jul, 2012 05:21 PM

1995 में गंडक, कमला, बागमती और अधवारा समूह की नदियों के तटबंध फिर टूटे और इस बार गंगा के दक्षि

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