उत्तरकाशी जिला

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सौंग बाँध के डीपीआर को स्वीकृति का इन्तजार
Posted on 04 May, 2019 12:12 PM

मुख्यमंत्री की सर्वोच्च प्राथमिकता वाली सौंग बांध परियोजना की संशोधित डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार हो गई है। डीपीआर में संशोधन होने के बाद परियोजना की लागत 978 करोड़ रुपए से बढ़कर 12 सौ करोड़ रुपए से अधिक हो गई है। परियोजना की इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण (ईपीसी) की प्रक्रिया शुरू करने के लिए सिंचाई विभाग ने प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा है। परियोजना की अधिकांश स्वीकृतियां प्राप्त हो च

Dream Project of Uttarakhand CM on Saung river
लखवाड़ प्रोजेक्ट के लिए लेनी होगी नई एनओसी
Posted on 30 Apr, 2019 10:57 AM

300 मेगावाट क्षमता की लखवाड़ विद्धुत परियोजना एक बार फिर पेंच में फंस गया है। 43 साल पहले इस परियोजना को वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की मंजूरी मिली थी जिस पर आपत्ति लग गयी है। इसके बाद राज्य को अब नए सिरे से इस प्रोजेक्ट हेतु वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की मंजूरी लेनी होगी। लखवाड़ प्रोजेक्ट को पहली बार 1976 में पहली बार योजना आयोग ने मंजूरी दी थी। 1987 में प्रोजेक्ट पर काम शुरू हुआ, लेकिन चार वर्ष बाद

a view of proposed Lakhwaad project
जल स्त्रोत भरे रहने के बावजूद उत्तरकाशी पानी के संकट से जूझ रहा है
Posted on 29 Apr, 2019 05:32 PM

उत्तरकाशी में पानी के प्राकृतिक स्थायी स्त्रोत के होने के बावजूद गर्मियों के दिनों में पूरे जिले में पानी की कमी की समस्या होने लगती है। कई विशेषज्ञों का कहना है उत्तरकाशी में पानी का संकट इसलिये आ रहा है क्योंकि प्रशासन पानी की व्यवस्था में लापरवाही बरत रही है। द्वारिका सेमवाल जो सोशल एक्टिविस्ट हैं उनका कहना है, ‘एक शहरी क्षेत्र को एक दिन में 135 लीटर की आवश्यकता होती है और ग्रामीण इलाकों में

जन सुनवाई में जनता से खतरा क्यों
Posted on 01 Mar, 2019 10:42 PM
27 फरवरी, 2019। जखोल साकरी बाँध, सुपिन नदी, जिला उत्तरकाशी, उत्तराखण्ड की 01 मार्च, 2019 को दूसरी पर्यावरणीय जनसुनवाई की घोषणा हुई है। इस बार जनसुनवाई का स्थल परियोजना स्थल क्षेत्र से 40 किलोमीटर दूर है। यह मोरी ब्लॉक में रखी गई है ताकि वह जनविरोध से बच जाए। सरकार ने प्रभावितों को उनकी भाषा में आज तक भी जानकारी नहीं दी जो कि वे आसानी से कर सकते थे।
जन सुनवाई में शामिल न किये जाने से आक्रोशित लोग
जखोल साकरी बाँध: बिना जानकारी पुलिस के साये में जनसुनवाई
Posted on 28 Feb, 2019 02:43 PM
प्रकृति तब सबसे अधिक सुन्दर दिखती है, जब फिजा में बसन्ती हवा की खुशबू फैलने लगती है और पेड़-पौधें यहाँ तक कि हर एक पत्ता अलमस्त धूप में खिलखिलाने लगता है। तभी तो चित्रकार की कूची सबसे अधिक बसन्त ऋतु में ही प्रकृति के चित्र उकेरती है…
सुपिन नदी
आखिर कब सुधरेगी गंगा की स्थिति
Posted on 30 Dec, 2018 05:16 PM

उत्तर भारत के मैदानी इलाके में बसने वाले करोड़ों लोगों को जीवनयापन का साधन उपलब्ध कराने वाली गंगा नदी की स्थिति में अरबों-खरबों रुपए का सरकारी कोष झोंकने के बावजूद भी शायद ही कोई सुधार हुआ है। मौजूदा केन्द्र सरकार द्वारा गंगा को स्वच्छ बनाने के उद्देश्य से शुरू किये गए नमामि गंगे प्रोजेक्ट के चार वर्ष पूरे हो जाने के बाद भी नदी की स्थिति ज्यों-की-त्यों बानी हुई है। वहीं सरकार द्वारा जारी रिपोर्ट

ऋषिकेश में गंगा नदी में गिरता नाला
तिलाड़ी कांड - प्राकृतिक संसाधनों पर जनता के हक की लड़ाई
Posted on 30 Dec, 2018 05:04 PM

तिलाड़ी शहीद स्मारक में श्रद्धांजलि देते विधायक यमुनोत्री (फोटो साभार - ग्राउंड जीरो)तिलाड़ी गोली कांड के 88 वर्ष पूरे हो चुके हैं लेकिन जनता द्वारा प्राकृतिक संसाधनों पर अधिकार के लिये की जा रही माँग को दबाने के उद्देश्य से अंजाम दिये गए इस कांड की याद आज भी उत्तराखण्ड के बाशिन्दों के जेहन में ताजा ह

तिलाड़ी शहीद स्मारक में श्रद्धांजलि देते विधायक यमुनोत्री
गाँवों में गहराता जा रहा है पेयजल संकट
Posted on 16 Dec, 2018 04:11 PM

विलुप्त होते पहाड़ों से परम्परागत स्रोत (फोटो साभार - डाउन टू अर्थ)उत्तराखण्ड को एशिया के सबसे बड़े जल भण्डार के रूप में जाना जाता है। इस राज्य के भूभाग में स्थित हिमालय की हिमाच्छादित चोटियों से गंगा, यमुना, अलकनन्दा, पिण्डर, मन्दाकिनी, काली, धौली, सरयू, कोसी, रामगंगा आदि जैसी जीवनदायिनी नदियों का उद

विलुप्त होते पहाड़ों से परम्परागत स्रोत
भागीरथी का बहाव बदला
Posted on 08 Dec, 2018 01:05 PM

उत्तरकाशी: राष्ट्रीय प्राधिकरण (एनजीटी) और सड़क परिवहन मंत्रालय के तमाम आदेशों के बाद भी गंगा की स्वच्छता व अविरलता पर ऑलवेदर की कार्यदायी संस्थाएँ पलीता लगा रही हैं। हाइवे के चौड़ीकरण का मलबा सीधे भागीरथी नदी में डाला जा रहा है, जिसने उत्तरकाशी में बडेथी के पास करीब 200 मीटर हिस्से में भागीरथी की जलधारा को भी एक किनारे डाल दिया है। इससे नदी के साथ-साथ जलीय जीवों को भी खासा नुकसान पहु
Bhagirathi river
यहाँ आज भी जिन्दा है जल संस्कृति
Posted on 22 Nov, 2018 07:45 AM नौला (फोटो साभार - डाउन टू अर्थ)प्रकृति प्रदत्त ‘पानी’ अमूल्य है। इसके बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। पृथ्वी पर जैविक विकास की वजह भी पानी ही है। परन्तु पानी के अतिदोहन ने भारत ही नहीं विश्व के कई देशों को भयावह जल संकट से रूबरू होने पर मजबूर कर दिया है।
नौला
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