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उत्तराखंड
दार्चुलाःअतीत के आईने में
Posted on 15 Mar, 2019 11:46 AMबचपन तो बचपन ही होता है चाहे वह किसी भी परिवेश में बीता हो। बचपन की यादों की बारात भी लम्बी होती है। सरयू और रामगंगा के मध्य में बसे गंगावली क्षेत्र यानी परगना गंगोलीहाट में पट्टी बेल के 105 और भेरंग के 95 गाँव शामिल हुआ करते थे। वर्तमान गंगोलीहाट बाजार को तब जान्धवी (अपभ्रंश में जान्धबि) कहा जाता था। जान्धवी नौले का जल गंगा के समान पवित्र और निर्मल माना जाता था। कहते हैं कि श्वीलधुरा के शीर्ष
मन्दिर और मूर्तियाँ
Posted on 14 Mar, 2019 12:22 PMउत्तराखण्ड के पूर्वी सीमान्त जिलों- पिथौरागढ़ एवं चम्पावत, जो संयुक्त रूप से काली नदी के जलागम क्षेत्र के अन्तर्गत आते हैं, का विविध संस्कृतियों एवं पुरा मानव समूहों की विचरण व निवास स्थलों के रूप में विशिष्ट स्थान रहा है। इन जनपदों मेें पुराकालीन मानव-संस्कृति के अस्तित्व को पुरातात्विक स्रोत प्रमाणित कर चुके हैं, यथा-देवीधुरा (चम्पावत) व विशाड़ (पिथौराग
पिथौरागढ़ एवं चम्पावत का सूर्य स्थापत्य
Posted on 13 Mar, 2019 09:11 PMजिला पिथौरागढ़ एवं चम्पावत के अन्तर्गत जहाँ कहीं भी सूर्य मन्दिर एवं प्रतिमाएँ प्रकाश में आई हैं, उनका सार संक्षेप इस लेख के माध्यम से प्रस्तुत किया जा रहा है। कुमाऊँ में मोस्टी बकौड़ा सूर्य प्रतिमा अभिलेख युक्त है। अभिलेख प्रतिमा के प्रभामण्डल में लिखा गया है। राम सिंह इस प्रतिमा अभिलेख को 7वीं सदी का मानते हैं । परन्तु भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग 8वींमेरे बचपन की गंगावली
Posted on 09 Mar, 2019 08:25 PMबचपन तो बचपन ही होता है चाहे वह किसी भी परिवेश में बीता हो। बचपन की यादों की बारात भी लम्बी होती है। सरयू और रामगंगा के मध्य में बसे गंगावली क्षेत्र यानी परगना गंगोलीहाट में पट्टी बेल के 105 और भेरंग के 95 गाँव शामिल हुआ करते थे। वर्तमान गंगोलीहाट बाजार को तब जान्धवी (अपभ्रंश में जान्धबि) कहा जाता था। जान्धवी नौले का जल गंगा के समान पवित्र और निर्मल माना
मेरी यादों का दार्चुला
Posted on 06 Mar, 2019 11:34 AMमेरा जन्म 24 दिसम्बर, 1941 में नेपाल के छोटे से गाँव दार्चुला में हुआ। मेरी माँ का नाम स्व. श्रीमती पदी देवी ऐतवाल और पिता का स्व.जन सुनवाई में जनता से खतरा क्यों
Posted on 01 Mar, 2019 10:42 PM27 फरवरी, 2019। जखोल साकरी बाँध, सुपिन नदी, जिला उत्तरकाशी, उत्तराखण्ड की 01 मार्च, 2019 को दूसरी पर्यावरणीय जनसुनवाई की घोषणा हुई है। इस बार जनसुनवाई का स्थल परियोजना स्थल क्षेत्र से 40 किलोमीटर दूर है। यह मोरी ब्लॉक में रखी गई है ताकि वह जनविरोध से बच जाए। सरकार ने प्रभावितों को उनकी भाषा में आज तक भी जानकारी नहीं दी जो कि वे आसानी से कर सकते थे।मेरा पिथौरागढ़
Posted on 01 Mar, 2019 01:28 PMउस समय मैंने जवानी की दहलीज में कदम रखा ही था। पिता का स्थानान्तरण चमोली के जनजातीय सीमान्त से कुमाऊँ के सीमान्त मुनस्यारी हो गया था। यह पिथौरागढ़ को छूने का मेरा पहला मौका था। बागेश्वर से कपकोट पैदल सामाधूरा से होकर परिवार चला जा रहा था। सारे रास्ते मुझे नीती घाटी वाले ही लग रहे थे। यहाँ बस नाम बदले थे –सामाधुरा, तेजम, गिरगाँव। बड़े-बड़े कुत्तों से बच रहा थ128 दिन के लम्बे उपवास पर सरकार गम्भीर नहीं
Posted on 28 Feb, 2019 05:44 PM15 दिन की जाँच समिति अस्वीकार