पश्चिम बंगाल

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जमीनी हकीकत के सामने दम तोड़ता सरकारी दावा
Posted on 19 Mar, 2016 02:49 PM


प्रख्यात कवि अदम गोंडवी की एक मशहूर कविता की दो पंक्तियाँ कुछ यूँ हैं-
तुम्हारी फाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी है,
मगर ये आँकड़े झूठे हैं, ये दावा किताबी है।


.पश्चिम बंगाल में आर्सेनिक को लेकर राज्य सरकार के दावे और उन दावों की जमीनी हकीकत को देखें तो ये पंक्तियाँ काफी मौजूँ लगती हैं।

पश्चिम बंगाल सरकार बड़े गर्व से यह दावा कर रही है कि आर्सेनिक प्रभावित 91 प्रतिशत लोगों तक आर्सेनिक मुक्त पेयजल मुहैया करवाया जा रहा है लेकिन राज्य सचिवालय से महज 70 किलोमीटर दूर उत्तर 24 परगना जिले के सुटिया ग्राम पंचायत के गाँवों में इस दावे की हकीकत दम तोड़ती दिखी।

यहाँ के मधुसूदन काठी, तेघरिया व अन्य गाँवों में रहने वाले सैकड़ों लोग अब भी आर्सेनिक मिश्रित पानी पीने को विवश हैं। तेघरिया में तो आर्सेनिक युक्त पानी के सेवन के कारण कई लोग कैंसर की चपेट में आ गए और उन्होंने दम तोड़ दिया।

সহস্র নাম
Posted on 03 Dec, 2015 08:54 AM

যে সময়টায় পুকুরের যত্ন যথেষ্ট ভালোভাবেই করা হতো সেই সময়ও কোন না কোন কারণে এক-আধটা পুকুর স

সাফ মাথার সমাজ
Posted on 26 Nov, 2015 09:18 AM

পুরোনো পুকুর পরিষ্কার করানো হলো না, নূতন তো খোঁড়ার কথাই নেই l পাঁক পুকুরে নয়, পাঁক ভরে গ

প্রস্তাবনা
Posted on 22 Nov, 2015 11:05 AM
ছয় দশক আগে বিদেশ থেকে এসে এক বিশ্ব বিখ্যাত ভৌগোলিক রেল গাড়িতে দেশ ভ্রমনে ভারতের ভূমি প্রকৃতি ও তার ব্যবহার স্বচক্ষে দেখে অবাক হয়ে বলেছিলেন, এ দেশের মানুষ জল সংরক্ষণ ও তার পূর্ণ সদ্ব্যবহার নিজেদের অভিজ্ঞতার ভিত্তিতে কত বৈচিত্রময় করে তুলেছে l মৌসুমী বৃষ্টির জল সযত্নে ধরে রেখে সারা বছর ব্যবহারে কত সযত্ন প্রয়াস l প্রশ্ন করেছিলেন, এই অভিজ্ঞতাকে কি কাজে লাগানো য়ায না l ষাট বছর পর এখন কথা উঠেছ
সংসার সাগরের নায়ক
Posted on 22 Nov, 2015 10:54 AM
কারা ছিলেন এই খ্যাতিহীন লোকেরা ?
একটি পুকুরের কাহিনী
Posted on 22 Nov, 2015 10:39 AM

অদ্ভুত ঘটনা l পাশাপশি গ্রাম বিজয়ডি l সেখানে কিন্তু দুর্দশা এতদূর গড়ায়নি l কারণ সেখানে রয়

ভিত থেকে শিখর পর্যন্ত
Posted on 22 Nov, 2015 10:00 AM
পশ্চিমবঙ্গে পুকুরের জায়গা নির্বাচন ও আগৌরের যথেষ্ট গুরুত্ব রয়েছে l এখানে পুকুরের জায়গা নির্বাচন হয় আগৌর, আগাড় বা গড়ানে বয়ে আসা জল জমা হতে পারে এমন জায়গায় l কখনও কখনও যার একদিক বা দুদিক বেঁধেই হয়ে ওঠে বড়সড় বাঁধ(এই অঞ্চলে পুকুরের তুলনায় বাঁধেরই প্রচলন বেশী) অবশ্য বর্তমানে বড় বড় ভালো বাঁধগুলির আর আগৌর অবশিষ্ট নেই l ফলে বাঁধগুলি ধীরে ধীরে গুটিয়ে ছোট হয়ে আসছে l
পাড়ের ধারে রাখা ইতিহাস
Posted on 22 Nov, 2015 09:46 AM

এই গল্প সত্য, ঐতিহাসিক- জানি না l কিন্তু কার্যত ইতিহাসকে বুড়ো আঙ্গুল দেখিয়ে এই গল্প দেশে

बंगाल की महाविपत्ति (Arsenic: Bengal 's disaster)
Posted on 05 Sep, 2015 04:44 PM
यदि आर्सेनिक (संखिया) के प्रदूषण पर बलिया ने अंकुश नहीं लगाया तो उसका भी वही हाल होगा जो पश्चिम बंगाल का हुआ है। ‘डाउन टू अर्थ’ ने अपने 15 अप्रैल 2003 के अंक में बंगाल में आर्सेनिक के फैलते प्रकोप का वर्णन किया है, जिसके कुछ अंश यहाँ दिये गए हैं…
कामयाब रहा पोखरों का सामुदायिक प्रबन्धन
Posted on 31 Aug, 2015 04:16 PM कोलकाता के अलाभकारी वसुन्धरा फ़ाउंडेशन के संयोजक मोहित कुमार राय का कहना है कि पिछले दो दशकों में शहर 200 पोखर सालाना खो रहा है। उन्होंने कहा कि बंगाली भाषा में पुकुर कहे जाने वाले यह पोखर शहर का पारिस्थितिकी के लिये अहम हैं। मोहित कुमार राय से सुष्मिता सेनगुप्ता की बातचीत पर आधारित साक्षात्कार
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