प्रयागराज जिला

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गंगा में गिरने वाले जहरीले पानी से खतरा
Posted on 06 Jan, 2011 11:07 AM

अब तक 1500 करोड़ रुपया गंगा एक्शन प्लान पर खर्च होने के बाद भी गंगा में प्रदूषण कम नहीं हो रहा, बल्कि बढ़ा ही है। आज हालात यहां तक पहुंच चुके हैं कि 100 करोड़ लीटर गंदापानी रोजाना गंगा में बह रहा है, जिसमें हरिद्वार व बनारस जैसे धार्मिक स्थानों के कचरे के अलावा अकेले गाजियाबाद जिले की सिंभावली शराब मिल का मिथेन मिला हुआ पानी व कानपुर के चमड़े की 15,000 (टेनेरी) इकाइयां गंगा में प्रदूषण का प्रमु

श्रृंगवेरपुरम का क ख ग
Posted on 28 Jul, 2010 12:45 PM

इलाहाबाद के पास हाल में हुई खुदाई से ई.पू. प्रथम शताब्दी में ही भारतीय जल प्रौद्योगिकी का असाधारण प्रमाण मिला है। यहां 250 मीटर लंबा तालाब मिला है। अपने आप में यह अब तक पता लगे तालाबों में सबसे बड़ा तो है ही, इसमें गंगा के पानी को भी जमा किया जाता था। उस समय के दूसरे तालाबों में वर्षा का जल जमा किया जाता था।

गोमुख से गंगासागर तक पदयात्रा पर एक संन्यासी
Posted on 19 Jul, 2010 02:00 PM
यदि यह पदयात्रा किसी नेता या अभिनेता की होती अथवा कोई रथयात्रा हो रही होती तो मीडिया इसकी पल-पल की जानकारी दे रहा होता, किंतु यह यात्रा एक संन्यासी कर रहा है, लिहाजा इसकी कहीं चर्चा नहीं हो रही, गोमुख से गंगासागर तक किनारे-किनारे पूरे ढाई हज़ार किलोमीटर लंबे मार्ग पर सर्दी, लू के थपेड़ों और बरसात के बीच इस संन्यासी की पदयात्रा गंगा की निर्मलता के लिए हो रही है। वह भी ऐसे मार्ग पर, जो कभी पार
मलिन बस्ती में शिक्षा
Posted on 18 Jul, 2010 01:53 PM
इन बस्तियों के बच्चे आज भी शिक्षा से काफी हद तक वंचित हैं और वहां की तस्वीर बहुत भयावह है। इस बात की पुष्टि इलाहाबाद मंडल की मलिन बस्तियों के पांच सौ परिवारों के अभिभावकों की शैक्षिक, आर्थिक और व्यावसायिक स्थिति का अध्ययन करने के बाद हो गई।
बर्फ रोकेगी यूरिनल की तीखी दुर्गन्ध?
Posted on 02 Mar, 2010 07:08 AM इलाहाबाद । बर्फ की सिल्ली अब रेलवे स्टेशनों पर यूरिनल से उठने वाली तीखी दुर्गन्ध को रोकने का काम करेगी। इलाहाबाद जंक्शन पर प्रायोगिक तौर पर इसकी शुरूआत की गई है। सफलता मिली तो इस प्रयोग को मंडल और जोन के अन्य स्टेशनों पर भी अमल में लाया जा सकता है।
धरती बचाने की हर पहल उपयोगी है
Posted on 09 Jan, 2010 11:07 AM

एक बात मैं शुरू में ही साफ कर दूं कि जब मैं दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन और गरम हो रही धरती पर चिंता जता रहा हूं, तो मैं इस विषय के किसी एक्सपर्ट की हैसियत से नहीं बोल रहा हूं, बल्कि मेरी चिंता बिलकुल उस किसान की तरह है, जो अपने खाली और सूखे खेत देखकर माथा पीटता है। मेरी चिंता ठीक उस पुरुष की तरह है, जिसका वीर्य जांचने के बाद उसका चिकित्सक घोषणा करता है कि अब वह कभी पिता नहीं बन सकता। मेरी चिं

हमारा पानी किसने चुरा लिया?
Posted on 10 Oct, 2008 05:50 PM

नवभारत टाइम्स / मधु और भारत डोगरा

आज देश में क्या वजह है कि अब भी करोड़ों देशवासी जिंदगी की इस मूलभूत जरूरत के लिए तरस रहे हैं? हर साल गर्मियां शुरू होते ही शहरों और गांवों में पानी के लिए हाहाकार क्यों मचने लगता है?

पिछले दिनों हमने इस समस्या को समझने के लिए कुछ बस्तियों का

सरस्वती नदी
Posted on 23 Sep, 2008 07:51 AM कई भू-विज्ञानी मानते हैं, और ऋग्वेद में भी उल्लेखित है, कि हज़ारों साल पहले सतलुज (जो सिन्धु नदी की सहायक नदी है) और यमुना (जो गंगा की सहायक नदी है) के बीच एक विशाल नदी बहती थी जो हिमालय से लेकर अरब सागर तक जाती थी। आज ये भूगर्भी बदलाव की वजह से सूख गयी है। ऋग्वेद में वर्णित प्राचीन वैदिक काल में इस नदी सरस्वती को नदीतमा की उपाधि दी गयी है। उनकी सभ्यता में सरस्वती ही सबसे बड़ी और मुख्य नदी थी,गंगा
जलमार्गों के विकास के लिए 800 करोड़ रुपए
Posted on 20 Sep, 2008 07:09 AM

नई दिल्ली: देश के भीतर स्थित जलमार्गों से होकर यातायात संचालन (नदियों, नहरों आदि से गुजरने वाली यातायात) अब तक सड़कों और रेलमार्गों की तुलना में उपेक्षित ही रहा, लेकिन अब इसमें एक नई लहर आने वाली है। सरकार माल की ढुलाई के लिए सड़कों और रेलमार्गों के अलावा अब जलमार्गों को वैकल्पिक रास्ता बनाने की तैयारी कर रही है। तेल की ऊंची कीमतों की वजह से सड़क परिवहन की लागत बढ़ती जा रही है, इसलिए सरकार अब द

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