प्रयागराज जिला

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नई सोच, अनुसंधान और आविष्कार का विज्ञान : जैवप्रौद्योगिकी
Posted on 03 Dec, 2016 10:59 AM

पिछले कुछ दशक अनुसंधान संकेतों, प्रौद्योगिकीकरण, और उद्योग के क्षेत्र में जैवप्रौद्योगिकी

तंत्रिकातंत्र के असाध्य पार्किन्सन रोग के निदान में कारगर : केवाँच
Posted on 02 Dec, 2016 01:20 PM
भारतीय संस्कृति में पर्यावरण संरक्षण हमेशा ही संवेदनशील विषय रहा है। पारिस्थितिकीय संतुलन एवं पर्यावरण संरक्षण के उल्लेख महाभारत, रामायण, वेद, उपनिषद, भगवद गीता एवं पुराणों जैसे प्राचीन ग्रंथों में प्रचुरता से मिलते हैं। इन ग्रंथों के अनुसार सार रूप से कहा जाय तो प्रकृति की रचना पाँच तत्वों पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु एवं आकाश से हुई है। हमारी वसुंधरा अनेक खनिज संपदाओं से भरी पड़ी है।
ज्वालामुखी
Posted on 01 Dec, 2016 12:56 PM
ज्वालामुखी का तात्पर्य उस छिद्र अथवा दरार से होता है जिसका संबंध पृथ्वी के आंतरिक भाग से होता है एवं जिसके माध्यम से तप्त लावा, गैस तथा अन्य पदार्थ धरती के ऊपर आ जाते हैं। ज्वालामुखी क्रिया के अंतर्गत मैग्मा के निकलने से लेकर धरातल या इसके अंदर विभिन्न रूपों में इसके ठंडा होने की प्रक्रिया होती है।

ज्वालामुखी के प्रकार


ज्वालामुखी का वर्गीकरण के अनेक आधार हैं :
टिकाऊ खेती के लिये पर्यावरण हितैषी पोषक तत्व
Posted on 01 Dec, 2016 12:14 PM
भारत दुनिया के भौगोलिक क्षेत्र का मात्र 2.5 प्रतिशत है, परंतु विश्व की 17 प्रतिशत जनसंख्या यहाँ निवास करती है। भारत की जनसंख्या 1951 में 36 करोड़ थी, जो 2010 में बढ़कर 121 करोड़ हो गयी। लगभग 60 वर्षों में देश की जनसंख्या में करीब 300 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गयी है। भारत को 2020 तक लगभग 300 लाख टन खाद्यान्न की आवश्यकता है, जो वर्ष 2010-11 में महज 234 लाख टन थी।
जैव-विविधता परिरक्षण और पर्यावरण
Posted on 28 Nov, 2016 04:56 PM
आज के परिवेश में जैव-विविधता संरक्षण की बात सर्वत्र की जा रही है। जैव-विविधता से अभिप्राय स्थल विशेष या पारिस्थितिकीय जटिलताओं, जीव-जंतुओं, वनस्पतियों की विभिन्न प्रजातियों और परिप्रणाली की विभिन्नता से है।
जैव ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन
Posted on 28 Nov, 2016 04:00 PM
जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण हरितगृह गैसों की सांद्रता का वायुमंडल में बढ़ जाना है। इन हरित गृह गैसों में मुख्य भूमिका कार्बन डाइऑक्साइड की है जो 65 प्रतिशत तक भागीदारी करता है। जब हम ऊर्जा आपूर्ति के लिये जीवाश्म र्इंधन जलाते हैं तो करोड़ों वर्षों से अवरुद्ध कार्बन डाइऑक्साइड वायुमंडल में प्रवेश कर जाती है और जलवायु परिवर्तन का कारण बन जाती है। इस समस्या से बचने के लिये ऊर्जा फसलों से ऊर्जा
गंगा घाटी में बस्तियाँ - भौमिकीय समस्यायें एवं समाधान
Posted on 28 Nov, 2016 03:36 PM
उपरोक्त विषय पर प्रकाश डालने के पूर्व मनुष्य एवं प्रकृति के प्राचानी संबंधों की चर्चा भी की जानी चाहिए। ज्ञातव्य है कि, प्रकृति का आधार है भौमिकी एवं मानव जीवन प्रकृति का दास है, जिसका मूर्त रूप हमारी बस्तियाँ, ग्राम, नगर एवं महानगर की स्थित है। भौमिकी के आधार पर प्रकृति के अनुकूल अपने को परिवर्तित करते रहने की जीवों द्वारा अपनायी गयी प्रक्रिया ने ही कालांतर में मनुष्य को जन्म दिया और यही गु
क्या है बादल फटना (Cloud Burst)
Posted on 26 Nov, 2016 03:01 PM
उत्तराखण्ड में पिछले दिनों आयी भयानक प्राकृतिक आपदा में सैकड़ों लोगों को अपनी जान गँवानी पड़ी और हजारों लोग प्रभावित हुए। शुरुआत में इसका कारण बादल फटना बताया गया लेकिन बाद में भारतीय मौसम विभाग ने यह स्पष्ट किया कि यह आपदा बादल फटने से नहीं बल्कि सामान्य से अधिक वर्षा होने के कारण हुई। सामान्यतया बादल फटने की घटनायें पर्वतीय इलाकों में होती हैं। मौसम व
क्या टाइटन पर जीवन है
Posted on 26 Nov, 2016 02:49 PM
पृथ्वी के बाहर किसी अन्य पिण्ड पर जीवन की उपस्थिति की संभावना हम पृथ्वीवासियों को सदा से रोमांचित करती रही है। इस विषय में कहीं से आई, कोई भी सूचना हमारा ध्यान आकर्षित करती है। पृथ्वी से भिन्न जीवन की उपस्थिति की संभावनों के कारण उपग्रह टाइटन आजकल चर्चा में है टाइटन के अपारदर्शी वायुमंडल को भेद कर उसकी सतह तक पहुँचे प्रोब हुयजेंस द्वारा जुटाई गई सूचनाओं के विश्लेषण के आधार पर व्यक्त इस संभाव
केंचुआ पालन और वर्मी कम्पोस्ट (Earthworm Manure and VermiCompost System)
Posted on 26 Nov, 2016 02:42 PM

मिट्टी की उर्वरता में जिस एक जीव की सर्वाधिक भूमिका होती है, वह केंचुआ है। इसकी खूबियों के कारण ही इसे प्रकृति का हलवाहा कहा जाता है। ये केंचुए पौधों के जड़, पत्ती, तने एवं खेत के अन्य कार्बनिक पदार्थों को विघटित करके उसे कीमती खाद में परिवर्तित कर देते हैं। केंचुओं द्वारा तैयार यह खाद ‘वर्मी कम्पोस्ट’ कहलाती है।

केंचुए गोबर को खाद के रूप में परिवर्तित करते
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