विष्णु प्रसाद चतुर्वेदी

विष्णु प्रसाद चतुर्वेदी
क्या टाइटन पर जीवन है
Posted on 26 Nov, 2016 02:49 PM

पृथ्वी के बाहर किसी अन्य पिण्ड पर जीवन की उपस्थिति की संभावना हम पृथ्वीवासियों को सदा से रोमांचित करती रही है। इस विषय में कहीं से आई, कोई भी सूचना हमारा ध्यान आकर्षित करती है। पृथ्वी से भिन्न जीवन की उपस्थिति की संभावनों के कारण उपग्रह टाइटन आजकल चर्चा में है टाइटन के अपारदर्शी वायुमंडल को भेद कर उसकी सतह तक पहुँचे प्रोब हुयजेंस द्वारा जुटाई गई सूचनाओं के विश्लेषण के आधार पर व्यक्त इस संभाव
पौधों से सीखें जल का महत्त्व
Posted on 20 Nov, 2016 02:31 PM

सामान्यतः हम मानते हैं कि जल हमारी प्यास बुझाता है, मगर सच यह है कि खाने को भोजन और श्वसन के लिये ऑक्सीजन भी जल से ही मिलते हैं। प्यास बुझाने के लिये हम जल का सीधे प्रयोग कर लेते हैं, जब कि जल से भोजन व ऑक्सीजन प्राप्त करने हेतु हमें पादपों की मदद लेनी होती है। इस तथ्य से सभी परिचित हैं कि पौधे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा भोजन बनाते हैं। उसी भोजन से चींटी से लेकर हाथी तक का पेट भरता है।
विज्ञान प्रवाह
Posted on 04 Nov, 2016 12:51 PM

विश्व में विज्ञान में अनुसंधानों का प्रवाह निरन्तर होता रहता है। अनुसंधानों के निष्कर्ष सामने आते रहते हैं। उनमें से कुछ अनुसंधानों की संक्षिप्त चर्चा यहाँ प्रस्तुत है-

1. ऐसे होता है जानवरों को भूकम्प का पूर्वाभास

सावन की ऋतु आई
‘गर्मी पाकर पानी के अणु हवा पर सवार हो जाते हैं। इसे हम वाष्पन कहते हैं। गर्मी की उपलब्धता बढ़ने के साथ वाष्पन की गति बढ़ती जाती है। पानी के अणु एकल होते हैं तो उन्हें उठाए रखने में हवा को कोई परेशानी नहीं होती है। जलयुक्त हवा ऊपर उठ कर ठण्डी हो जाती है तो पानी के अणु आपस में चिपक कर सूक्ष्म बूंदों में बदलने लगते हैं। यहीं बादलों की उत्पत्ति होती है। बादलों की आपसी रगड़ से उनमें धन या ऋण आवेश पैदा हो जाता है। विपरीत आवेश के बादल पास में आने पर ऋण आवेश छलांग लगा कर एक बादल से दूसरे में जाता है तो मार्ग चमकता है, गर्जन पैदा होती है।’
Posted on 18 Aug, 2023 02:52 PM

सावन 

रहीम जी ने कहा कि ‘रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून’ भारत में पानी सावन में आता है। अतः यह कहें कि ‘ऋतुवर सावन राखिए, विन सावन सब सून।’ सावन सूखा होने की बात सुनकर भारत के वित्त मंत्री को बुरे सपने आने लगते हैं। बसंत को ऋतुओं का राजा कहते समय लोग यह भूल जाते हैं कि वर्षा बिना बसन्त बहार नहीं आ सकती। जब पानी ही नहीं होगा तो कैसे पौधे पनपेंगे और कैसे उन पर

 वर्षा के साथ मेंढक, मछली व केंचुए भी बरसते हैं
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