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पंजाब
सिर से ऊपर बह रहा पानी
Posted on 30 Jul, 2010 07:51 AMधरती से पानी खत्म होता जा रहा है। नदियां, नाले और झीलें सूख रही हैं। ग्लेशियर पिघल रहे हैं। जमीनी पानी दिनोंदिन नीचे खिसकता जा रहा है। पीने के पानी की विकराल होती समस्या के कारण मारपीट, धरना-प्रदर्शन, तोड़फोड़ की नौबत आने लगी है। दूसरी ओर हर वर्ष काफी बरसाती पानी यों ही बेकार चला जाता है, उसके प्रबंधन की समुचित व्यवस्था नहीं है। पानी के कुप्रबंधन के कारण प्रकृति की पूरी संरचना ही बिगड़ती लग रही हैनदी जिस राज्य से बहती है, उसी का हकः बादल
Posted on 22 Jun, 2010 03:45 PMरतवाड़ा साहिब (पंजाब), 17 जून (भाषा)। हरियाणा के साथ नदी के जल के बंटवारे पर रॉयल्टी को लेकर चल रही बहस के बीच पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने गुरुवार को कहा कि दुनियाभर में रिपेरियन सिद्धांत के मुताबिक नदियों के जल पर उस राज्य या क्षेत्र का अधिकार होता है, जिसमें वह वास्तव में बहती हैं।बादल ने कहा कि पंजाब के लिए पानी एक प्राकृतिक संसाधन है, जिस तरह कि मध्य प्रदेश और झारखंड में कोयले की खानें हैं। राजस्थान के पास संगमरमर का प्रचुर भंडार है और अन्य कई राज्यों में लौह अयस्क हैं। ये राज्य इन प्राकृतिक संसाधनों के लिए रॉयल्टी ले रहे हैं। बादल ने कहा कि कि जब इन राज्यों को इन प्राकृतिक संसाधनों के
मालवा क्षेत्र में महामारी बन रहा कैंसर
Posted on 30 Apr, 2010 08:47 AMहाल में पंजाब के मालवा क्षेत्र में महामारी बन रहे कैंसर रोग की चर्चा पंजाब विधानसभा चुनावों में हुई। अकाली दल और कांग्रेस दोनों ही मालवा क्षेत्र में कैंसर हस्पताल बनवाने का वायदा किया था। यह एक अच्छा कदम होगा,परंतु होगा अधूरा। अधूरा इसलिए कि कैंसर हस्पताल कैंसर रोगियों और उनके परिजनों को राहत और इलाज की सुविधा तो देगा परंतु कैंसर जिन कारणों से मालवा में मारक बना है, उन कारक तत्त्वों का समाधान नहीं देगा। वास्तव में कैंसर का यह प्रकोप पंजाब के समूचे पर्यावरण तंत्र के ध्वस्त होने का एक संकेत भर है। पंजाब जिस विकराल पर्यावरणीय स्वास्थ्य संकट में फंसा हुआ है कैंसर तो उसका एक पक्ष मात्र है। पर्यावरण में हुई उथल पुथल वातावरण में घुले रसायनों और लगातार प्रदूषित होते जल ने पंजाब की कमोबेश समूची भोजन श्रृंखला को ही विषाक्त बना दिया है। आज कैंसर के साथ-साथ आयुपूर्व बुढ़ापे के लक्ष्ण उभरना, हिड्डियों के रोग और प्रजनन स्वास्थ्य सम्बन्धी रोग अपनी जकड़ में ले रहे हैं। इसलिए मुद्दा एक मात्र कैंसर नहीं वरण समूचा पर्यायवरणीय स्वास्थ्य का विषय है।कैंसर को एक मात्र रोग मानकर उसके उपचार के वायदों को चुनावों में भुनाना पेचीदा समस्याओं के सरलीकरण करने की राजनीतिक आदत का प्रतीक है। हम समस्याओं की सतही समझ रखते हैं तो समाधान भी उथले होते हैं।
भटिंडा सहित पंजाब के कई जिलों के पानी में नाईट्रेट का जहर
Posted on 29 Apr, 2010 10:21 AMपांच दरिया वाली धरती पंजाब में तो भू-जल की स्थिति बेहद चिंताजनक है। सूबे के तीन जिलों मुक्तसर, बठिंडा और लुधियाना में धरती के नीचे पानी में नाईट्रेट की मात्रा बेइंतहा बढ़ चुकी है। नाईट्रेट से जहरीले हुए पानी के इस्तेमाल से लोग कैंसर और अन्य घातक बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। यह खुलासा बेंगलुरु के एक गैर-सरकारी संगठन 'ग्रीन पीस इंडिया' ने किया है। ग्रीन पीस इंडिया की नवम्बर 2009 में प्रकाशित रिपोर्ट की प्रति भी संलग्न है। (यह रपट द संडे पोस्ट से ली गयी है।)
पंजाब के तीनों जिलों के विभिन्न गांवों से पानी के नमूनों की जांच के आधार पर ग्रीन पीस द्वारा तैयार रिपोर्ट के मुताबिक यह बात भी सामने आई कि इन जिलों में धरती के पानी में नाईट्रेट की खतरनाक मात्रा किसी कुदरती प्रकोप से नहीं बढ़ी है, बल्कि इसके लिए धरती-पुत्र (किसान) सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं। जिन्होंने अपनी जमीनों में फसल की पैदावार बढ़ाने के लालच में रासायनिक खादों का अंधाधुंध इस्तेमाल किया। नतीजतन नाईट्रेट ने मिट्टी को अपना निशाना बनाने के साथ धरती के पानी को भी अपनी चपेट में
कैंसर से तड़पता मालवा
Posted on 13 Apr, 2010 08:46 AMपंजाब का मालवा क्षेत्र राजनीतिक और भौगोलिक तौर पर सबसे महत्वपूर्ण है। राज्य के 117 विधानसभा क्षेत्रों में से 65 मालवा में हैं। सिर्फ एक मुख्यमंत्री दरबारा सिंह को छोड़कर पंजाब के सभी मुख्यमंत्री मालवा से रहे। पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह भी इसी क्षेत्र के थे। इतने महत्वपूर्ण नेताओं को मान सम्मान देने वाला यह क्षेत्र इन दिनों कैंसर की गिरफ्त में है, और इस बीमारी की रोकथाम के लिए कोई गंभीर प्रयास नहीं हो रहा है।दरअसल, वर्ष 1993 के बाद ही वहां के कई गांवों से अजीब किस्म के रोगों के संकेत मिलने शुरू हो चुके थे। इलाके के दो गांव, झजर और ज्ञाना में तो प्रत्येक घर में एक रोगी था। वहां लोगों को कैंसर होने की आशंका थी। बहुत ज्यादा हो हल्ला मचने के बाद अंतत: पंजाब सरकार ने पीजीआई के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के नेतृत्व में एक सर्वेक्षण करवाने का फैसला किया। पीजीआई की टीम ने दो ब्लॉकों, तलवंडी साबो और चमकौर साहिब, का अध्ययन किया। इस टीम ने 1993 से 2003 तक
पंजाब में जल प्रदूषक यूरेनियम, आर्सेनिक, फ़्लोराइड, नाइट्रेट आदि के खतरे पर कार्यशाला
Posted on 23 Mar, 2010 11:34 AMपंजाब के दक्षिण-पश्चिम मालवा इलाके में मानव स्वास्थ्य सम्बन्धी खतरों के मूल्यांकन सम्बन्धी सेमिनार (30-31 मार्च 2010, सर्किट हाउस, भटिण्डा)पृष्ठभूमि
दिल्ली, राजस्थान, पंजाब और हरियाणा में तेजी से गिर रहा है भूजल स्तर
Posted on 27 Nov, 2009 10:10 AMनई दिल्ली. जल संसाधन राज्य मंत्री वींसेंट एच.पाला ने कहा है कि वैज्ञानिक पत्रिका 'नेचर' के अंक में प्रकाशित राष्ट्रीय विमान-विज्ञान एवं अंतरिक्ष प्रशासन (एनएएसए) और कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, संयुक्त राज्य अमेरिका के वैज्ञानिकों के निष्कर्ष दर्शाते हैं कि भारत में राजस्थान, पंजाब और हरियाणा (दिल्ली सहित) में भूजल स्तर तेजी से गिर रहा है।पंजाब के गिरते भूजल को लगी ब्रेक
Posted on 26 Nov, 2009 07:36 AMकरीब दो दशक से लगातार गिर रहे पंजाब के भूजल स्तर में अब के वर्ष ब्रेक लग गई है। केंद्रीय पंजाब के कई क्षेत्रों में भूजल का स्तर तीन से दस फीट तक ऊपर आया है। इसका श्रेय प्री मानसून के तहत करीब 15 दिन पहले आरंभ हुई बरसात के साथसाथ पंजाब सरकार द्वारा धान की रोपाई के लिए तय की गई 10 जून की समय सीमा को जाता है।मालवा के संगरूर,सुनाम, लहरागागा, दिड़बा, धनौला, बुढलाडा, बरनाला आदि क्षेत्रों से मिली जानक
हम पी रहे है मीठा जहर
Posted on 08 Oct, 2009 10:26 AMगंगा के मैदानी इलाकों में बसा गंगाजल को अमृत मानने बाला समाज जल मेंव्याप्त इन हानिकारक तत्वों को लेकर बेहद हताश और चिंतित है। गंगा बेसिनके भूगर्भ में 60 से 200 मीटर तक आर्सेनिक की मात्रा थोडी कम है और 220मीटर के बाद आर्सेनिक की मात्रा सबसे कम पायी जा रही है। विशेषज्ञों केअनुसार गंगा के किनारे बसे पटना के हल्दीछपरा गांव में आर्सेनिक की मात्रा1.8 एमजी/एल है। वैशाली के बिदुपूर में विशेषज्ञों ने पानी की जांच की तोनदी से पांच किमी के दायरे के गांवों में पेयजल में आर्सेनिक की मात्रादेखकर वे दंग रह गये। हैंडपंप से प्राप्त जल में आर्सेनिक की मात्रा 7.5एमजी/एल थी ।
तटवर्तीय मैदानी इलाकों में बसे लोगों के लिए गंगा जीवनरेखा रही है। गंगा ने इलाकों की मिट्टी को सींचकर उपजाऊ बनाया। इन इलाकों में कृषक बस्तियां बसीं। धान की खेती आरंभ हुई। गंगा घाटी और छोटानागपुर पठार के पूर्वी किनारे पर धान उत्पादक गांव बसे। बिहार के 85 प्रतिशत हिस्सों को गंगा दो (1.उत्तरी एवं 2. दक्षिणी) हिस्सों में बांटती है। बिहार के चौसा,(बक्सर) में प्रवेश करने वाली गंगा 12 जिलों के 52 प्रखंडों के गांवो से होकर चार सौ किमी की दूरी तय करती है। गंगा के दोनों किनारों पर बसे गांवों के लोग पेयजल एवं कृषि कार्यों में भूमिगत जल का उपयोग करते है।
गंगा बेसिन में 60 मीटर गहराई तक जल आर्सेनिक से पूरी तरह प्रदूषित हो चुका है। गांव के लोग इसी जल को खेती के काम में भी लाते है जिससे उनके शरीर में भोजन के द्वारा आर्सेनिक की मात्रा शरीर में प्रवेश कर जाती है।
सतलुज बचाने को उतरे बाबा सीचेवाल
Posted on 31 Aug, 2009 09:34 AMलुधियाना. जहां डाइंग यूनिटों से जुड़े उद्यमी बुड्ढा नाले में जीरो डिस्चार्ज छोड़े जाने संबंधी पीराम कमेटी के फैसले का विरोध कर रहे हैं। वहीं, संत बाबा बलबीर सिंह सीचेवाल ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से मांग की है कि पंजाब की नदियों विशेषत: सतलुज नदी के पानी को विषैला होने से बचाया जाए।