सुभाष चंद्र कुशवाहा

सुभाष चंद्र कुशवाहा
सड़ता अन्न, भूखे जरूरतमंद
Posted on 27 Jun, 2012 11:51 AM
सर्वोच्च न्यायालय की तीखी टिपण्णी के बावजूद भी हमारे कर्णधार अनाज को सड़ते देखकर चुप हैं। उनको 12 रुपये प्रति किलो के दर से खरीदा गया गेहूं सड़ाकर 6.20 रुपये किलो की दर से शराब कंपनियों को बेचना अच्छा लगता है। कहीं ऐसा तो नहीं समर्थन मूल्य और खाद्य सबसिडी का फायदा शराब माफियों को पहुंचाया जा रहा है। दुनिया में एक तरफ करोड़ों की संख्या में लोगों को अन्न नसीब नहीं है, तो वहीं अन्न सड़ा-गला देने ज
सिर से ऊपर बह रहा पानी
Posted on 30 Jul, 2010 07:51 AM
धरती से पानी खत्म होता जा रहा है। नदियां, नाले और झीलें सूख रही हैं। ग्लेशियर पिघल रहे हैं। जमीनी पानी दिनोंदिन नीचे खिसकता जा रहा है। पीने के पानी की विकराल होती समस्या के कारण मारपीट, धरना-प्रदर्शन, तोड़फोड़ की नौबत आने लगी है। दूसरी ओर हर वर्ष काफी बरसाती पानी यों ही बेकार चला जाता है, उसके प्रबंधन की समुचित व्यवस्था नहीं है। पानी के कुप्रबंधन के कारण प्रकृति की पूरी संरचना ही बिगड़ती लग रही है
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