नैनीताल जिला

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कुमायूँ की झीलें (Lakes of Kumaun in Hindi)
Posted on 27 Jun, 2017 10:18 AM
कुमायूँ परिक्षेत्र उत्तर-पश्चिमी मध्य हिमालय में स्थित है। इस परिक्षेत्र में उत्तर प्रदेश के 4 पर्वतीय जिले सम्मिलित हैं। इस क्षेत्र की जलवायु उपोष्ण कटिबन्धीय हैं तथा यहाँ अनेक मीठे जलस्रोत उपलब्ध हैं। कुमायूँ परिक्षेत्र में अनेक मीठे जल की झीलें/जलाशय हैं जो अपनी जैवविविधता तथा आर्थिक महत्ता के लिये जानी जाती है। पिछले 2-3 दशकों से विभिन्न प्रकार की गतिविधियों, विदेशी मछलियों के प्रत्यारोप
उत्तराखण्ड में वनाग्नि के कारण
Posted on 16 Jun, 2017 11:43 AM
गत वर्ष के उत्तराखण्ड के वन फरवरी माह से जुलाई प्रथम सप्ताह तक जलते रहे हैं, और बढ़ा वन क्षेत्र खतरे की जद में आया है। तेजी से फैली जंगल की आग ने आपदा का रूप धारण करके 9 लोगों के जीवन को लील लिया जो अक्सर मानवीय हस्तक्षेप से अधिक फैलती और आग का पैमाना कम नहीं हो पाता है। इस वर्ष उत्तराखण्ड में वनाग्नि की भयावहता ने खतरनाक स्तर छुआ और वनस्पति, जीवों को नुकसान पहुँचाया व मानव जीवन भी खतरे में प
समस्त जीवों के अस्तित्व के लिये प्रकृति का स्वस्थ होना आवश्यक
Posted on 23 May, 2017 05:06 PM
मनुष्य तो प्रकृति के सम्मुख स्वयं ही क्षुद्र है, वह प्रकृति को क्या न्याय देगा! पर प्रतीक रूप में ऐसा करके यह प्रयास उत्तराखंड उच्च न्यायालय और मध्यप्रदेश सरकार ने अवश्य किया है। संदेश यह है कि यदि प्रकृति और नदियों के अधिकारों का उल्लंघन किया आया तब उल्लंघन करने वालों के साथ न्याय-प्रणाली निपटेगी।उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने गत 20 और 30 मार्च को दो ऐतिहासिक निर्णय सुनाए। ये दोनों निर्णय भारत के विधि इतिहास में मील के पत्थर हैं। ऐसे विधिक निर्णय विश्व के विभिन्न राष्ट्रों में पहले से हैं पर भारत में ऐसे निर्णय पहली बार किसी न्यायालय ने दिए हैं। ये निर्णय हैं – गंगा-यमुना और उनकी सहायक नदियों तथा पारिस्थितिक तंत्र को विधिक अधिकार प्रदान किया जाना और साथ ही वे समस्त न्यायालयी अधिकार जो मनुष्य को प्राप्त हैं। न्यायालय के इन निर्णयों के अनुसार अब यदि इन नदियों अथवा पारिस्थितिक तंत्र को किसी ने हानि पहुँचाई तो उसके विरुद्ध नदियों, पारिस्थितिकतंत्र अर्थात प्रकृति की ओर से न्यायालय में केस किया जा सकेगा। दूसरे शब्दों में, इन निर्णयों में प्रकृति को अस्तित्ववान माना गया है जिसे मनुष्य की भाँति पूरे वैधानिक अधिकार दिए गए हैं।

तीन मई को मध्य प्रदेश सरकार ने भी वही अधिकार नर्मदा नदी को दिए जो मार्च माह में उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने गंगा और यमुना इत्यादि नदियों तथा पारिस्थितिक तंत्र को लेकर दिए थे। केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह इस आशय का सुझाव मध्य प्रदेश सरकार को देकर आये थे। संभव है कि उत्तराखंड उच्च न्यायालय के निर्णयों के पश्चात उनके मन में यह विचार आया हो!

खेती में पहाड़ (Farming in Uttarakhand)
Posted on 15 May, 2017 03:18 PM


पहाड़ों की उपजाऊ जमीन पर पहाड़ के किसान अपनी फसलें केवल वर्षा के भरोसे करते आ रहे हैं, समय पर वर्षा हो गयी तो उपज से घर-भंडार भर गए, नहीं हुई तो फसल चौपट। फिर तो बाजार से खरीदकर गुजारा करने की नौबत।

खेती में पहाड़
गंगा और उसकी सहायक नदियों को एक नागरिक का दर्जा: व्यवस्था या अव्यवस्था
Posted on 15 May, 2017 10:40 AM

अदालत के आदेश की व्याख्या करती विशेषज्ञों की राय

क्या अब बच पाएगी नदियों की जान
Posted on 14 May, 2017 01:48 PM
प्राकृतिक संसाधनों को मानवाधिकार तो दे दिए गए हैं, लेकिन उनके अधिकारों की रक्षा को लेकर संशय बरकरार है
पत्र : नैनी झील के गिरते जलस्तर एवं झील संरक्षण के सम्बन्ध में
Posted on 29 Apr, 2017 04:21 PM
सेवा में,
श्रद्धेय नरेन्द्र मोदी जी,
मा. प्रधानमंत्री, भारत सरकार।


विषयः- नैनी झील के गिरते जलस्तर एवं झील संरक्षण के सम्बन्ध में।

महोदय,
असमय बूढ़ी होती नैनी झील
Posted on 29 Apr, 2017 03:59 PM

नैनी झील पर मँडराता आसन्न संकट

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