मणिपुर

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जलवायु परिवर्तन से लड़ रही 8 साल की भारतीय योद्धा
Posted on 13 Dec, 2019 10:46 AM

जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में सबसे कम उम्र की भारतीय योद्ध ने वैश्विक नेताओं से धरती को बचाने की अपील की है। अपने जुनून के कारण भारतीय ग्रेटा के नाम से मशहूर आठ वर्षीय लिसीप्रिया कंगुजम ने पृथ्वी को बचाने और बच्चों के भव्ष्यि को बचाने के लिए फौरन कार्रवाई करने का अनुरोध किया है। 

जलवायु परिवर्तन से लड़ रही 8 साल की भारतीय योद्धा
गाँवों में खुलेंगे साइंस सेंटर तो मिलेगी विकास को गति
Posted on 19 Mar, 2018 06:35 PM
इम्फाल : वैज्ञानिक खोजों एवं प्रौद्योगिकी से लोगों की दूरी कम हो तो लोगों की जिन्दगी बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है। पर, ग्रामीण एवं दूर-दराज के इलाकों के लोगों की दूरी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से सबसे अधिक है। शहरों के साथ-साथ गाँवों में भी बड़ी संख्या में साइंस सेंटर खुलने चाहिए, जो गाँवों के विकास में महत्वपूर्ण हो सकते हैं। इस तरह के सेंटर गाँवों से अन्धविश्वास दूर करने और वैज्ञा
105वीं राष्ट्रीय विज्ञान कांग्रेस सम्मेलन 2018
कैसी होगी भविष्य की दुनिया, भावी वैज्ञानिकों पर निर्भर
Posted on 17 Mar, 2018 06:13 PM
नई दिल्ली : ज्ञान सिर्फ अपने लिये है तो इसका कोई उपयोग नहीं है, बल्कि इसका उपयोग समाज के विकास के लिये होना चाहिए। यदि आप शिक्षित हैं तो आपकी शिक्षा का लाभ समाज के उन लोगों को भी जरूर मिलना चाहिए जिन लोगों को अभी तक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का भरपूर लाभ नहीं मिल सका है।
मणिपुर विश्वविद्यालय में आयोजित राष्ट्रीय किशोर विज्ञान कांग्रेस में पुरस्कार प्राप्त करते हुए यशी गुप्ता
प्रयोगशाला से जमीनी स्तर तक पहुँचे शोध कार्यों का दायरा - प्रधानमंत्री
Posted on 16 Mar, 2018 05:20 PM


इम्फाल : भारतीय विज्ञान कांग्रेस का 105वां सत्र मणिपुर की राजधानी में शुरू हुआ, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैज्ञानिकों को सामाजिक समस्याओं को हल करने के लिये काम करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, 'विकास के लिये शोध' के रूप में अनुसंधान और विकास को फिर से परिभाषित करने के लिये समय आ गया है।

Narendra Modi
एकमात्र तैरती झील लोकटक
Posted on 07 Apr, 2017 04:32 PM

लोकटक झील, भारत में ताजे पानी की सबसे बड़ी झील है। यह झील मणिपुर की राजधानी इम्फाल से 53 किलोमीटर दूर और दीमापुर रेलवे स्टेशन के निकट स्थित है। 34.4 डिग्री सेल्सियस का तापमान, 49 से 81 प्रतिशत तक की नमी, 1,183 मिलीमीटर का वार्षिक वर्षा औसत तथा पबोट, तोया और चिंगजाओ पहाड़ मिलकर इसका फैलाव तय करते हैं। इस पर तैरते विशाल हरित घेरों की वजह से इसे तैरती हुई झील कहा जाता है।

एक से चार फीट तक मोटे ये विशाल हरित घेरे वनस्पति मिट्टी और जैविक पदार्थों के मेल से निर्मित मोटी परतें हैं। परतों की मोटाई का 20 प्रतिशत हिस्सा पानी में डूबा रहता है; शेष 80 प्रतिशत सतह पर तैरता दिखाई देता है। ये परतें इतनी मजबूत होती हैं कि स्तनपायी जानवरों को वजन आराम से झेल लेती हैं। स्थानीय बोली में इन्हें फुुमदी कहते हैं।

लोकटक झील
पूर्वोत्तर पहाड़ी क्षेत्र
Posted on 30 Mar, 2017 04:02 PM
पूर्वोत्तर पहाड़ियों का विस्तार छह राज्यों में है। ये राज्य हैं- असम, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, मेघालय। ये पहाड़ियाँ बांग्लादेश और उत्तरी म्यांमार तक चली जाती हैं और ब्रह्मपुत्र घाटी की दक्षिणी ढलान और बराक घाटी की उत्तरी-पूर्वी और दक्षिणी ढलान को छूती हैं। मेघालय पठार पूरे मेघालय और असम के कार्बी पहाड़ों तक फैला है।1
संकट में लोकटक
Posted on 08 Jul, 2013 02:41 PM मणिपुर की लोकटक झील अपनी कुदरती सुंदरता, विशालता और जैव विविधता के लिए मशहूर है। लेकिन कुछ सालों से यह झील संकट में है। इसकी वजहों की पड़ताल कर रहे हैं पंकज चतुर्वेदी।
Loktak lake
मौत के मुंह से बचे फौजी अफसर ने बदली एक गांव की तकदीर
Posted on 17 Apr, 2012 11:25 AM कर्नल डीके पिल्लई (दाएं से दूसरे) लांगदाईपबरम मेंमणिपुर के दूरदराज और दुर्गम गांव लांगदाईपबरम में पिछले हफ्ते जब जनता को आत्मावलंबी बनाने वाली एक परियोजना का उद्घाटन किया गया तो इसमें सेना के एक अधिकारी और गांव के बीच एक नए बंधन की नजीर पेश की। यह गांव राज्य के सबसे समस्याग्रस्त गांवों में है। अठारह साल पहले भारतीय सेना के युवा कैप्टन डीपीके पिल्लई लांगदाईपबरम में बागियों के खिलाफ एक फौजी दबिश के दौरान बुरी तरह घायल हो गए थे। यह 1994 की बात है।
कर्नल डीके पिल्लई (दाएं से दूसरे) लांगदाईपबरम में
विवाद के केंद्र में तिपाईमुख
Posted on 15 Jul, 2010 12:04 PM
मणिपुर में छह हजार करोड़ रुपए की लागत से प्रस्तावित तिपाईमुख पनबिजली परियोजना का विरोध पड़ोसी देश बंगलादेश करता रहा है। साथ ही मणिपुर के गैर सरकारी संगठन भी इसके खिलाफ आंदोलन चलाते रहे हैं। विरोध और आलोचना को नजरअंदाज करते हुए हाल ही में इस परियोजना की आधारशिला रखी गई।
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