खूंटी जिले के तोरपा प्रखंड की हूसिर पंचायत का चटकपुर गांव ग्राम स्वच्छता का मॉडल बन गया है। इस गांव के सभी लोग शौचालय का उपयोग करते हैं। गांव में निर्मल भारत अभियान के तहत 97 घरों में शौचालय का निर्माण किया गया है। यहां के शौचालय की गुणवत्ता भी अन्य जगहों से बेहतर है। पूर्व में इस गांव के लोग शौच के लिए बाहर जाते थे, जिससे गंदगी फैल रही थी। गांव में शौचालय बन जाने के बाद शौचालय के उपयोग के लिए गांव के ग्राम प्रधान फिलिप बरला, पंचायत सेवक शोभा महतो तथा वार्ड सदस्य बहुरन प्रधान ने सभी लोगों को प्रेरित किया। फिलिप बरला की अध्यक्षता में गांव की बैठक हुई। बैठक में फिलिप ने लोगों को शौचालय के उपयोग से होने वाले फायदों के बारे में बताया। आज इस गांव की सूरत बदल गई है। शौचालय उपयोग से लोगों के जीवन स्तर भी सुधरा है।
गांव के प्रमुख लोगों ने ग्रामीणों को ग्रामसभा में बताया कि बाहर शौच करने से किस प्रकार गंदगी फैलती है तथा लोग बीमारी के शिकार होते हैं। उनकी बातों से प्रभावित होकर गांव वालों ने शौचालय का उपयोग शुरू किया। ग्राम प्रधान फिलिप बताते हैं कि आज हर घर के लोग शौचालय का उपयोग करते हैं। उन्होंने बताया कि गांव में पानी की कमी के कारण शौचालय का प्रयोग करने में परेशानी होती है। पानी के लिए गांव के लोग चापानल पर निर्भर हैं। उन्होंने गांव में जल मीनार बनाकर पाइपलाइन से पानी की आपूर्ति करने की मांग की है। फिलिप कहते हैं पानी की व्यवस्था हो जाने के बाद लोग शौचालय को लेकर और अधिक गंभीरता दिखायेंगे।
पेजयल एवं स्वच्छता प्रकल्प के प्रखंड समन्वयक अमित चौधरी बताते हैं : चटकपुर के अलावा प्रखंड के गेरेंडा, रिडुंम, रायकेरा, चुकरू, कोंहड़ाटोली, चकला, जोगीसोसो, गरगंजी, बुदु, गिड़ूंम, बासकी, उबका, ममरला, पतराटोली, केंदटोली, कालेट, तोरपा पश्चिमी, नावाटोली, जपुद आदि गांवों में भी सभी घरों में शौचालय का निर्माण हो चुका है। इस गांव के लोग भी शौचालय का उपयोग कर रहे हैं। उनके अनुसार, अब ये लोग शौचालय का महत्व समझने लगे हैं। शौचालय के उपयोग से अभी इन गांवों के आसपास गंदगी भी अपेक्षाकृत कम हुई है।
ग्राम प्रधान फिलिप बारला बताते हैं कि गांव के लोगों ने आपस में बैठक कर निर्णय लिया कि वे खुले मैदान में शौच के लिए नहीं जायेंगे और शत-प्रतिशत शौचालय का उपयोग करेंगे। आज भी इस गांव में स्वच्छता को लेकर हर सप्ताह बैठक होती है। गांव की महिला मंडल को कहा गया है कि वे शौचालय की स्वच्छता को लेकर गंभीर रहें। महिला मंडल की बैठक में शौचालय की स्वच्छता भी एक प्रमुख एजेंडा होता है। इसके पीछे तर्क यह है कि महिलाएं घरेलू काम को लेकर जिम्मेवार होती हैं और स्वच्छता को लेकर अधिक संवेदनशील होती हैं।
गांव के लोग मानते हैं कि शौचालय का उपयोग करने से एक ओर जहां गंदगी व बीमारी नहीं फैलती है, वहीं समय की भी बचत होती है। आमतौर पर झाड़-जंगल या खुले मैदान में आने-जाने में लोगों के अच्छे-खासे समय खर्च हो जाते हैं। अगर वे शौचालय का उपयोग करेंगे, तो समय की बचत होगी। जिसका उपयोग वे खेतीबारी, स्वरोजगार सहित दूसरे कार्यों में कर सकते हैं। शौचालय का उपयोग करने से बहू-बेटियों की इज्जत व प्रतिष्ठा भी सुरक्षित रहती है। इस गांव के लोगों की मांग है कि उनके यहां एक वाटर टैंक हो। झारखंड सरकार की भी नीति है कि जो गांव खुले में शौच मुक्त जायें वहां प्राथमिकता के आधार पर पाइप लाइन से जलापूर्ति की जाए।
खूंटी जिले के तोरपा प्रखंड की तोरपा पश्चिमी पंचायत खुले में शौच से मुक्त होने वाली राज्य की पहली पंचायत बन गई है। इसकी घोषणा इसी वर्ष 13 जनवरी को पंचायत के बड़काटोली में आयोजित स्वच्छता उत्सव में पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के अपर मुख्य सचिव सुधरी प्रसाद ने की। तोरपा पश्चिमी पंचायत के मुखिया जोन तोपनो, जल सहिया प्रिस्कीला सोय, वार्ड सदस्य सुनीता गुड़िया सहित विभिन्न पंचायत प्रतिनिधियों को इसके लिए सम्मानित भी किया गया।
मालूम हो कि जिप अध्यक्ष मायालिना तोपनो की पहल पर अगस्त 2012 में दुमका जाकर वहां ग्रामीणों द्वारा व्यवहार में लाए जा रहे शौचालय को मुआयना किया गया। लौटने के बाद यहां के ग्रामीणों के साथ बैठक कर कच्चा शौचालय के निर्माण की उन्होंने पहल की। शुरू में उन्हें इस काम में परेशानियों को सामना करना पड़ा। बाद में ग्रामीण समझे तथा कच्चा शौचालय बनाने तथा उसका व्यवहार करने को राजी हुए। पंचायत के बड़काटोली के 122 परिवार ने स्वयं गड्डा खोद कर, उसमें घड़ा लगा कर तथा प्लास्टिक की बोरियों से घेर कर कच्चा शौचालय का निर्माण व व्यवहार करना शुरू किया।
तोरपा प्रखंड के कई गांवों के खुले में शौच मुक्त होने का असर प्रखंड के वैसे गांवों पर भी पड़ रहा है, जहां अबतक शौचालय नहीं बन पाया है। ऐसे गांवों के लोग भी चाहते हैं कि उनके यहां शौचालय बन जाए। लोग इसके लिए अपने पंचायत प्रतिनिधियों पर भी दबाव बनाते हैं। पंचायत प्रतिनिधि यह कोशिश करते हैं कि उनके इलाके में शौचालय का निर्माण हो।
गांव के प्रमुख लोगों ने ग्रामीणों को ग्रामसभा में बताया कि बाहर शौच करने से किस प्रकार गंदगी फैलती है तथा लोग बीमारी के शिकार होते हैं। उनकी बातों से प्रभावित होकर गांव वालों ने शौचालय का उपयोग शुरू किया। ग्राम प्रधान फिलिप बताते हैं कि आज हर घर के लोग शौचालय का उपयोग करते हैं। उन्होंने बताया कि गांव में पानी की कमी के कारण शौचालय का प्रयोग करने में परेशानी होती है। पानी के लिए गांव के लोग चापानल पर निर्भर हैं। उन्होंने गांव में जल मीनार बनाकर पाइपलाइन से पानी की आपूर्ति करने की मांग की है। फिलिप कहते हैं पानी की व्यवस्था हो जाने के बाद लोग शौचालय को लेकर और अधिक गंभीरता दिखायेंगे।
पेजयल एवं स्वच्छता प्रकल्प के प्रखंड समन्वयक अमित चौधरी बताते हैं : चटकपुर के अलावा प्रखंड के गेरेंडा, रिडुंम, रायकेरा, चुकरू, कोंहड़ाटोली, चकला, जोगीसोसो, गरगंजी, बुदु, गिड़ूंम, बासकी, उबका, ममरला, पतराटोली, केंदटोली, कालेट, तोरपा पश्चिमी, नावाटोली, जपुद आदि गांवों में भी सभी घरों में शौचालय का निर्माण हो चुका है। इस गांव के लोग भी शौचालय का उपयोग कर रहे हैं। उनके अनुसार, अब ये लोग शौचालय का महत्व समझने लगे हैं। शौचालय के उपयोग से अभी इन गांवों के आसपास गंदगी भी अपेक्षाकृत कम हुई है।
हर सप्ताह करते हैं बैठक, महिला मंडल की भी है सहभागिता
ग्राम प्रधान फिलिप बारला बताते हैं कि गांव के लोगों ने आपस में बैठक कर निर्णय लिया कि वे खुले मैदान में शौच के लिए नहीं जायेंगे और शत-प्रतिशत शौचालय का उपयोग करेंगे। आज भी इस गांव में स्वच्छता को लेकर हर सप्ताह बैठक होती है। गांव की महिला मंडल को कहा गया है कि वे शौचालय की स्वच्छता को लेकर गंभीर रहें। महिला मंडल की बैठक में शौचालय की स्वच्छता भी एक प्रमुख एजेंडा होता है। इसके पीछे तर्क यह है कि महिलाएं घरेलू काम को लेकर जिम्मेवार होती हैं और स्वच्छता को लेकर अधिक संवेदनशील होती हैं।
समय व स्वास्थ्य दोनों के लिए बेहतर है शौचालय का उपयोग
गांव के लोग मानते हैं कि शौचालय का उपयोग करने से एक ओर जहां गंदगी व बीमारी नहीं फैलती है, वहीं समय की भी बचत होती है। आमतौर पर झाड़-जंगल या खुले मैदान में आने-जाने में लोगों के अच्छे-खासे समय खर्च हो जाते हैं। अगर वे शौचालय का उपयोग करेंगे, तो समय की बचत होगी। जिसका उपयोग वे खेतीबारी, स्वरोजगार सहित दूसरे कार्यों में कर सकते हैं। शौचालय का उपयोग करने से बहू-बेटियों की इज्जत व प्रतिष्ठा भी सुरक्षित रहती है। इस गांव के लोगों की मांग है कि उनके यहां एक वाटर टैंक हो। झारखंड सरकार की भी नीति है कि जो गांव खुले में शौच मुक्त जायें वहां प्राथमिकता के आधार पर पाइप लाइन से जलापूर्ति की जाए।
तोरपा पश्चिमी खुले में शौच मुक्त झारखंड की पहली पंचायत
खूंटी जिले के तोरपा प्रखंड की तोरपा पश्चिमी पंचायत खुले में शौच से मुक्त होने वाली राज्य की पहली पंचायत बन गई है। इसकी घोषणा इसी वर्ष 13 जनवरी को पंचायत के बड़काटोली में आयोजित स्वच्छता उत्सव में पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के अपर मुख्य सचिव सुधरी प्रसाद ने की। तोरपा पश्चिमी पंचायत के मुखिया जोन तोपनो, जल सहिया प्रिस्कीला सोय, वार्ड सदस्य सुनीता गुड़िया सहित विभिन्न पंचायत प्रतिनिधियों को इसके लिए सम्मानित भी किया गया।
मालूम हो कि जिप अध्यक्ष मायालिना तोपनो की पहल पर अगस्त 2012 में दुमका जाकर वहां ग्रामीणों द्वारा व्यवहार में लाए जा रहे शौचालय को मुआयना किया गया। लौटने के बाद यहां के ग्रामीणों के साथ बैठक कर कच्चा शौचालय के निर्माण की उन्होंने पहल की। शुरू में उन्हें इस काम में परेशानियों को सामना करना पड़ा। बाद में ग्रामीण समझे तथा कच्चा शौचालय बनाने तथा उसका व्यवहार करने को राजी हुए। पंचायत के बड़काटोली के 122 परिवार ने स्वयं गड्डा खोद कर, उसमें घड़ा लगा कर तथा प्लास्टिक की बोरियों से घेर कर कच्चा शौचालय का निर्माण व व्यवहार करना शुरू किया।
बदलाव का अच्छा असर अब दूसरे गांवों पर भी
तोरपा प्रखंड के कई गांवों के खुले में शौच मुक्त होने का असर प्रखंड के वैसे गांवों पर भी पड़ रहा है, जहां अबतक शौचालय नहीं बन पाया है। ऐसे गांवों के लोग भी चाहते हैं कि उनके यहां शौचालय बन जाए। लोग इसके लिए अपने पंचायत प्रतिनिधियों पर भी दबाव बनाते हैं। पंचायत प्रतिनिधि यह कोशिश करते हैं कि उनके इलाके में शौचालय का निर्माण हो।
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Post By: pankajbagwan