हिमाचल प्रदेश

Term Path Alias

/regionsmachal-pradesh

वर्षा आधारित पर्वतीय कृषि और जल संकटः एक चुनौती
नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार लगभग 50 प्रतिशत झरने सूख चुके हैं, जो प्रत्यक्ष रूप से इस क्षेत्र में जल की आपूर्ति को प्रभावित करते हैं। पिछले कुछ समय से पर्यावरण में हो रहे प्राकृतिक व मानवजनित परिवर्तनों से प्राकृतिक जलस्रोत (नौले व धारे आदि) सूख रहे हैं। Posted on 13 Jun, 2024 08:11 AM

तेज ढलानों और पेचीदा भौगोलिक संरचना के कारण पर्वतीय क्षेत्रों में वर्षा के पानी को भूजल में संचय के साथ सतही वर्षा जल को रोकना चुनौतीपूर्ण कार्य है। प्राकृतिक संसाधनों का अनियंत्रित दोहन, संरक्षण का अभाव, अनियोजित शहरीकरण तथा बढ़ती जनसंख्या का दबाव पर्वतीय क्षेत्रों में जल संकट के प्रमुख कारण हैं। वनों में भीषण आग हिमालयी क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन का एक महत्वपूर्ण कारण है। प्राकृतिक झरने, नौल

पर्वतीय कृषि में प्लास्टिक पोंड
पर्वतों में जल समस्या
हिंदू-कुश क्षेत्र (यह चार देशों-भारत, नेपाल, पाकिस्तान और बांग्लादेश में विस्तारित है) में किये गए इस अध्ययन में पाया गया कि इस क्षेत्र के 8 शहरों में पानी की उपलब्धता आवश्यकता के मुकाबले 20-70% ही थी। रिपोर्ट के अनुसार, मसूरी, देवप्रयाग, सिंगतम, कलिमपॉन्ग और दार्जलिंग जैसे शहर जलसंकट से जूझ रहे हैं। Posted on 12 Jun, 2024 06:55 AM

हाल ही में एक शोध में पर्वतीय क्षेत्र में पानी की बढ़ती समस्या पर चिंता व्यक्त की गई है। हिंदू-कुश क्षेत्र (यह चार देशों-भारत, नेपाल, पाकिस्तान और बांग्लादेश में विस्तारित है) में किये गए इस अध्ययन में पाया गया कि इस क्षेत्र के 8 शहरों में पानी की उपलब्धता आवश्यकता के मुकाबले 20-70% ही थी। रिपोर्ट के अनुसार, मसूरी, देवप्रयाग, सिंगतम, कलिमपॉन्ग और दार्जलिंग जैसे शहर जलसंकट से जूझ रहे हैं। प्राकृ

पर्वतों में जल समस्या
प्रकृति का अनुपम उपहार हैं पहाड़ी नौले-धारे
प्राकृतिक उपहारों में से एक है पहाड़ी नौले-धारे (Springs) जो पहाड़ों में रहने वाले लोगों की कई सालों से जलापूर्ति करते आये हैं। वास्तव में देखा जाए तो नौले व धारे पर्वतीय क्षेत्र की संस्कृति और संस्कारों का दर्पण भी हैं। पहाड़ों में रहने वाले लोगों की मानें तो वे इन्हें जल मंदिर के रूप में पूजते हैं। Posted on 11 Jun, 2024 08:31 AM

पेयजल के भरोसेमंद स्रोत नौला मनुष्य द्वारा विशेष प्रकार के सूक्ष्म छिद्र युक्त पत्थर से निर्मित एक सीढ़ीदार जल भण्डार है, जिसके तल में एक चौकोर पत्थर के ऊपर सीढ़ियों की श्रृंखला जमीन की सतह तक लाई जाती है। सामान्यतः तल पर कुंड की लम्बाई- चौड़ाई 5 से 8 इंच तक होती है, और ऊपर तक लम्बाई-चौड़ाई बढ़ती हुई 4 से 8 फीट (लगभग वर्गाकार) हो जाती है। नौले की कुल गहराई स्रोत पर निर्भर करती है। आम तौर पर गहर

प्रतिकात्मक तस्वीर
जलवायु परिवर्तन से जल संसाधनों पर बढ़ता संकट - आंकलन एवं उपाय 
राज्य सरकार द्वारा विश्व बैंक प्रायोजित विभिन्न कार्यक्रमों के अन्तर्गत वर्ष 2009 से वर्ष 2016 तक कई प्रकार के कार्य जल संरक्षण हेतु किए गए। जिसके परिणामस्वरूप लगभग 77 एकीकृत लघु जलागम योजनाओं को प्रदेश के कुल 77 विकास खण्डों में पूरा कर लगभग 896.96 लाख लीटर जल को संरक्षित किया गया जिससे लगभग 2243 हैक्टेयर भूमि को कृषि योग्य बनाया गया। Posted on 20 Nov, 2023 04:52 PM

आईए मिलकर जल संसाधनों की रक्षा करें!

  • वनों का संरक्षण करें।
  • वर्षा के जल को एकत्रित करें।
  • एकीकृत जलागम प्रबन्धन को अपनाएं।
  • भू-जल पुनर्भरण करें।
  • हिमनदों / खण्डों को संरक्षित करें।
  • नदी के वास्तविक बहाव को न बदलें।
  • हिमनदों में बढ़ती मानवीय गतिविधियां कम करें।
  • प्राकृतिक झीलों एवं तलाबों का संर
जलवायु परिवर्तन से जल संसाधनों पर बढ़ता संकट
घटते जल संसाधनों में फसलोत्पादन में वृद्धि के लिए वाषोत्सर्जन आधारित जल प्रबंधन एक उचित प्रौद्योगिकी
पानी सबसे कीमती प्राकृतिक संसाधन है जो धीरे-धीरे दुनिया भर में सीमित संसाधन बनता जा रहा है। दुनिया की एक तिहाई से अधिक आबादी को वर्ष 2025 तक पूर्ण रूप से पानी की कमी का सामना करना पड़ेगा। दुनिया के वर्षावन क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित होते हैं जो पहले से ही जनसंख्या का भारी सकेंद्रण कर रहे हैं। Posted on 02 Jun, 2023 01:42 PM

पानी सबसे कीमती प्राकृतिक संसाधन है जो धीरे-धीरे दुनिया भर में सीमित संसाधन बनता जा रहा है। दुनिया की एक तिहाई से अधिक आबादी को वर्ष 2025 तक पूर्ण रूप से पानी की कमी का सामना करना पड़ेगा। दुनिया के वर्षावन क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित होते हैं जो पहले से ही जनसंख्या का भारी सकेंद्रण कर रहे हैं। भारत में भी स्थिति गंभीर है, जहां पानी की कमी पहले से ही अधिकांश आबादी को प्रभावित कर रही है। कृषि, भारत

घटते जल संसाधनों में फसलोत्पादन,PC-JAGARN
महसीर
Posted on 10 Feb, 2010 10:51 AM लगता है महसीर नाम की मछली भी अब मिटने को है। उत्तरभारत में उसे ‘राजा’ कहते हैं। यह बहुत पवित्र मानी जाती है। महसीर प्रायः हिमालय के नदियों और झरनों में पाई जाती है। इसकी सात किस्में हैं और ये 2.75 मीटर तक लंबी होती हैं। गंगा की ऊपरी धाराओं में उनका वजन 10 किलोग्राम तक होता है। 1858 में कुमाऊं के भीमताल, नकुचिया ताल, सत्ताल और नैनीताल की झीलों में छोड़ी गई थीं। भीमताल के सिवा बाकी सब जगह ये अच्छी त
तालाब सिंचाई
Posted on 10 Feb, 2010 10:16 AM डा. भूंबला का कहना है कि ऐसी परिस्थितियों में तालाब की सिंचाई सर्वोत्तम है। अनुसंधानों ने सिद्ध किया है कि फसलों को तालाबों से अगर अतिरिक्त पानी मिल जाता है तो प्रति हेक्टेयर एक टन से ज्यादा पैदावार बढ़ती है। बाढ़ो को रोकने में भी तालाब बड़े मददगार होते हैं। उनसे कुओं में पानी आ जाता है और ज्यादा बारिश के दिनों में अतिरिक्त पानी की निकासी की भी सुविधा हो जाती है।
हिमालय में चराई
Posted on 05 Feb, 2010 01:41 PM बारह राज्यों में फैले हुए हिमालय क्षेत्र के अंतर्गत 6 करोड़ 15 लाख हेक्टेयर भूमि आती है। इनमें से 1 करोड़ 78 लाख हेक्टेयर भूमि में घने जंगल हैं और 17 लाख हेक्टेयर में बुग्याल (ऊंचाई) पर हैं। बुग्यालों का दो तिहाई हिस्सा हिमालय प्रदेश में है। ये 2,500 से 3,000 मीटर ऊंचाई पर हैं जहां पर जलवायु बिलकुल समशीतोष्ण है और इसलिए वहां पेड़ पनप नहीं पाते हैं। इन पहाड़ी चरागाहों को अपवाद ही मानना चाहिए। वरना
×