Posted on 29 Nov, 2012 12:14 PMभारतीय संस्कृति की आधार स्तंभ गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के बजाय राजनीति हो रही है। गंगा नदी भारतीय संस्कृति की वाहक है इस पर देश के कई प्रदेशों की आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था निर्भर है। ऐसी स्थिति में गंगा में बढ़ रही गंदगी नदी को ही नहीं बल्कि गंगा द्वारा उपजे संस्कृति को भी नष्ट कर देगा। गंगा को अविरल निर्मल बनाने के अभियान में पिछले 25 सालों में अरबों रुपए पानी की तरह बह गए लेकिन गंगा साफ नह
Posted on 20 Nov, 2012 09:41 AMगांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता अनुपम मिश्र तालाबों के संरक्षण के काम के लिए पूरी दुनिया में जाने जाते हैं। सहज-सरल व्यक्तित्व वाले अनुपम जी पानी के संरक्षण के लिए आधुनिक तकनीक की बजाय देशज तकनीक व परंपरागत तरीकों के प्रवक्ता रहे हैं। उनकी पुस्तकें ‘आज भी खरे हैं तालाब’ व ‘राजस्थान की रजत बूंदे’ काफी चर्चित रही हैं। ‘आज भी खरे हैं तालाब’ ने पुस्तकों के छपने और बंटने के कई रिकार्ड तोड़ डाले। अनुपम जी से पंचायतनामा संवाददाता संतोष कुमार सिंह ने विस्तृत बातचीत की।
उत्तर भारत में प्रसिद्ध पर्व छठ हो रहा है। इस दिन नदियों या तालाबों पर जाकर मनाये जाने वाले इस त्योहार की परंपरा को कैसे देखते हैं आप?
Posted on 16 Nov, 2012 11:00 AMरामेश्वर मिश्र पंकज द्वारा लिखी ‘नदियां और हम’ पुस्तिका की मूल प्रति यहां पीडीएफ के रूप में संलग्न है। पूरी किताब पढ़ने के लिए इसे डाउनलोड कर सकते हैं।