दिल्ली

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जमीन की राजनीति और संघर्ष की मशाल
Posted on 10 Nov, 2012 11:50 AM आज देश में 3000 खदान परियोजनाएं हैं, 5000 से ज्यादा बांध हैं, शेरों को बचाने के नाम पर एक तरफ आदिवासि
गुटखा प्रतिबंध से मचा बवाल
Posted on 10 Nov, 2012 11:28 AM पिछले कुछ समय से सिगरेट उद्योग व गुटखा उद्योग में यह लड़ाई चल रही
पुतले हम माटी के
Posted on 08 Nov, 2012 04:38 PM विज्ञान और शोध की दुनिया में हमारे इन मित्र जीवाणुओं के प्रति प्रीति और रुचि हाल ही में बढ़ी है। वो भी इसलिए कि एंटीबायोटिक दवाओं का असर कम होने लगा है। रोगाणु इन्हें सहने की ताकत बना लेते हैं और मजबूत हो जाते हैं। फिर और नए और मंहगे एंटीबायोटिक पर शोध होता है। इस शोध के दौरान वैज्ञानिकों को समझ आया कि शरीर में कुछ और भी जीवाणु हैं और इनसे हमारा संबंध धरती पर जीवन के उद्गम के समय से है। यह कहना ज्यादा सही होगा कि ये हमारे पुरखे ही हैं। आज हम मंगल ग्रह के भूगोल के करीबी चित्र देखते हैं, चांद पर पानी खोजते हैं और जीवन की तलाश में वॉएजर यान को सौरमंडल के बाहर भेजने की कूवत रखते हैं। लेकिन हमारे शरीर पर और उसके भीतर रहने वाले अरबों जीव-जीवाणुओं के बारे में हम बहुत कम ही जानते हैं, जबकि इनसे हमारा लेन-देन हर रोज, हर पल होता रहता है। विज्ञान इस आदि-अनंत संबंध का एक सूक्ष्म हिस्सा अब समझने लगा है। इस संबंध का स्वभाव होड़, प्रतिस्पर्धा कम सहयोग ज्यादा है। इस नई खोज से हमारी एक नई परिभाषा भी उभरती है। ‘मैं कौन हूं’ जैसे शाश्वत और आध्यात्मिक प्रश्न का भी कुछ उत्तर मिल सकता है! जीव शब्द से हम सब परिचित हैं। अणु से भी हम सब नहीं तो हममें से ज्यादातर परिचित हैं ही। पर जब ये दोनों शब्द जुड़ कर जीवाणु बनते हैं तो उनके बारे में हममें से मुट्ठी-भर लोग भी कुछ ज्यादा जानते नहीं। इन सूक्ष्म जीवाणुओं को समझना हमारे लिए अभी भी टेढ़ी खीर है।
पोस्टर : यदि चाहते हो अपना कल तो बचाओ वर्षा जल...
Posted on 08 Nov, 2012 03:32 PM

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पोस्टर : यदि चाहते हो अपना कल तो बचाओ वर्षा जल...
आपका स्वास्थ्य आपके स्वच्छ हाथों में है
Posted on 08 Nov, 2012 03:25 PM बचपन से ही हम सब हाथ धोते आये हैं तो इसमें नया क्या है? जी हां, अक्सर जल्दबाजी में हाथ ठीक से नहीं धोते। लेकिन क्या आप जानते हैं कुछ क्षणों को बचाने की कीमत हमें बाद में लम्बी बीमारी से चुकानी पड़ सकती है। यदि आप अक्सर हाथ नहीं धोते तो आप, बहुत जगहों से कीटाणु ले सकते हैं, और फिर स्वयं को ही नहीं अपने आसपास के लोगों को भी हानि पहुंचा सकते हैं।
ये हाथ मुझे दे दे ठाकुर
Posted on 08 Nov, 2012 10:09 AM

हाथ में लक्ष्मी, सरस्वती और ब्रह्मा का निवास होता है इसलिए सुबह उठकर लोग सबसे पहले अपने हाथों को देखते हैं। हाथ की सफाई स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ी जरूरत है अगर हम अपने हाथ की साफ-सफाई पर ध्यान नहीं दे तो घातक बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। जैसे शौच के बाद हाथ धोना, खाना खाने से पहले हाथ धोना आदि सावधानियों को बरत कर अपने स्वास्थ्य को सुरक्षित रखा जा सकता है, बता रही हैं पूर्णिमा वर्मन।

ऊपर से देखने में अच्छा दिखता है..
Posted on 07 Nov, 2012 04:39 PM ‘वहां से अपना देश कैसा दिख रहा है?’ प्रधानमंत्री ने पूछा।
‘ठीक-ठाक ही दिख रहा है।’ अंतरिक्ष यात्री ने ठंडी प्रतिक्रिया दी।
प्रधानमंत्री निराश होकर बोले, ‘मैं जानना चाहता हूं कि अंतरिक्ष से हमारा देश कैसा लगता है।’
हाथ न धोने की कीमत रुपये 69 हजार करोड़
Posted on 07 Nov, 2012 04:19 PM

India loses Rs. 69,000 crore a year due to infections


इंफेक्शंस से बचने के लिए जरूरी है हाथों की सफाईइंफेक्शंस से बचने के लिए जरूरी है हाथों की सफाईलखनऊ, 3 नवम्बर, 2012। भारत को हर साल 69 हजार करोड़ रुपये का नुकसान सिर्फ छोटे इंफेक्शंस की वजह से होता है। यह बात सामने आयी है लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स की स्टडी ‘द लाइफब्वॉय कॉस्ट ऑफ इंफेक्शन स्टडी’ में। ये फिगर साल 2012 में भारत के 2012 के हेल्थ बजट 34,448 करोड़ रुपये से भी लगभग दो गुना है। ऐसे में हमारे देश में लोगों की हाइजीन पर एक बड़ा सवालिया निशान लगता है।

जागरुकता से ही संभव है पर्यावरण सुरक्षा
Posted on 06 Nov, 2012 03:25 PM पर्यावरण की देखभाल को केवल सरकारी क्षेत्र का कार्य मानने से हम अप
पर्यावरण मुद्दों पर अनेकों मत
Posted on 06 Nov, 2012 03:20 PM राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम के लागू होने से दो वर्तमान कानून स्व
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