दिल्ली

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समस्त पर्यावरण प्रदूषण की जड़ मानसिक प्रदूषण
Posted on 14 Apr, 2014 10:58 AM विनाश से बचने के सभी उपाय हमारे पास हैं, यदि हम पश्चिमी देशों से आय
सांस्कृतिक प्रदूषण और लोकसंस्कृति
Posted on 14 Apr, 2014 10:31 AM भारतीय रंगमंच के शानदार पाक्षिक या नौ-दिवसीय रामलीला, रासलीला और धा
वृहद् मार्ग परियोजनाओं से पर्यावरण क्षति
Posted on 14 Apr, 2014 10:11 AM मार्ग निर्माण अथवा विस्तार वृहद् परियोजनाओं को तैयार करने एवं उनके क्रियान्वयन काल में, क्षेत्र के पर्यावरण एवं प्राकृतिक संपदा पर होने वाले विपरीत प्रभाव तथा उसके बचाव एवं समाधान पर अब योजनाकारों तथा निर्माण एजेंसियों का ध्यान गया है। विशेष रूप से विश्व बैंक सहायता प्राप्त एवं अन्य बाह्य वित्त-पोषित परियोजनाओं में इसके लिए कड़े मानदंड एवं विस्तृत विशिष्टियां निर्धारित की गई हैं, जिनका अनुपालन योज
आर्थिक लाभ और पर्यावरण संरक्षण
Posted on 14 Apr, 2014 09:24 AM आर्थिक विकास के इस दौर में सभी मान रहे हैं कि अमीरी एवं गरीबी के ब
लायन सफारी में शेरोंं का आगमन
Posted on 13 Apr, 2014 11:27 AM लायन सफारीहाल में ही शेरों के लिए मुलायम और मोदी में जमकर जुबानी जंग हुई उसके बाद शुक्रवार तड़के सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के ड्रीम प्राजेक्ट लायन सफारी में दो शेरों को कड़ी
चण्डीप्रसाद भट्ट को अंतरराष्ट्रीय गांधी शांति पुरस्कार
Posted on 12 Apr, 2014 01:26 PM प्रख्यात समाजसेवी और पर्यावरण्विद् श्री चण्डीप्रसाद भट्ट (81 वर्षीय) को वर्ष 2013 के अंतरराष्ट्रीय गांधी शान्ति पुरस्कार के लिए चुना गया है। श्री भट्ट चिपको आंदोलन के प्रणेता तथा सामाजिक सुधार के विभिन्न आंदोलन के अगुआ रहे हैं तथा पिछले पांच दशकों से उत्तरांचल के चमोली जिले में वनों के संरक्षण एवं संवर्द्धन के कार्यों में अविरल रूप से जुटे हुए हैं।
मौत ही है अंतिम रास्ता
Posted on 12 Apr, 2014 01:17 PM महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में कपास किसानों द्वारा आत्महत्या का
जी एम बीज: भूमि और खेती की बर्बादी
Posted on 12 Apr, 2014 01:14 PM

केंद्र सरकार द्वारा चुनाव की घोषणा हो जाने के पश्चात खुले वातावरण में जीएम फसलों के परीक्षण की

चण्डीप्रसाद भट्ट: रचनात्मकता का सम्मान
Posted on 12 Apr, 2014 01:09 PM 1964 में उन्होंने अपने कुछ साथियों के साथ दशोली ग्राम स्वराज्य संघ
कुछ नहीं बस कूड़ा-कचरा
Posted on 12 Apr, 2014 12:59 PM मेरी उमर रही होगी कोई दस बरस। हमारा घर औसत मध्यम वर्ग में भी मध्यम दर्जे का रहा होगा। इतना ऊंचा दर्जा नहीं था कि आज की तरह चमचमाते आधुनिक रसोई घर जैसा चौका होता हमारा और न इतना नीचा दर्जा था कि हम शुद्ध घी में पराठे भी न बना पाते। कुल मिलाकर उस चौके में दिन भर में जो कुछ भी बनता, रात तक कचरा लायक कुछ जमा होता नहीं था। मुझमें कुछ द्वेष-सा भरा होगा। तभी तो ऐसा हुआ कि गणतंत्र दिवस के अवसर पर मुझसे पिछले छह दशक में हुई उन्नति के बारे में कुछ विचार मांगे गए थे और मैं लिख बैठा कचरा। मुझे लिखना तो चाहिए था कि हमने इस अवधि में क्या और कैसी उन्नति की है, हमारा लोकतंत्र कितना खुला है, हमारे खेतों में जो हरित क्रांति हुई है, मछलियों से भरे हमारे समुद्र में, नदियों में जो नीली क्रांति हुई है, दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में जो श्वेत-क्रांति हुई और इन सबके ऊपर फिर सूचना और संचार की तकनीक के क्षेत्र में जो अदभुत क्रांति हुई है।

लेकिन नहीं। जब मैं इस बारे में कुछ सोचने बैठा तो मेरे मन में ये विषय आए ही नहीं। सामने आया कचरा। बस शुद्ध कचरा। इस बारे में आगे बढ़ने से पहले थोड़ा विषयांतर हो जाने दें।

जब हम मोहम्मद अली जिन्ना के बारे में सोचते हैं तो हमें यही तो याद आता है और ठीक ही याद आता है कि वे दो देश सिद्धांत के प्रवर्त्तक थे, पाकिस्तान के जनक थे और पाकिस्तान के पहले गवर्नर जनरल थे। लेकिन इससे पहले अविभाजित भारत के आकाश में वे एक तारे की तरह चमकते थे और बंबई में वे एक अजेय, दुर्जेय सफल वकील की तरह प्रसिद्ध हुआ करते थे।
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