हाल में ही शेरों के लिए मुलायम और मोदी में जमकर जुबानी जंग हुई उसके बाद शुक्रवार तड़के सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के ड्रीम प्राजेक्ट लायन सफारी में दो शेरों को कड़ी सुरक्षा के बीच लाया गया। दोनों शेरों को रात के अंधेरे में ब्रीडिंग सेंटर में रख दिया गया है। सेंट्रल जू अथॉरिटी से हरी झंडी मिलते ही लखनऊ जू में रखे गए मनन और कुंवरी को लाकर रखा गया है।
शेरों के जोड़े के इटावा लायन सफारी में पहुचंने के बाद तड़के ही खुद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने टेलीफोन पर लायन सफारी के अफसरों के बजाए शेरों के सकुशल आ जाने के बारे में जानकारी अपने करीबियों के जरिए ली।
एशियाई बब्बर शेरोंं की दहाड़ इटावा की लॉयन सफारी में गूंजेगी। शेरोंं की रवानगी बेहद गोपनीय रखी गई। गुजरात से आए शेरोंं को लेकर भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव में खूब ‘लॉयन वॉर’ चल रहा है।
मनन और कुंवरी को सफारी के ब्रीडिंग सेंटर में उतारा जाएगा। जहां शुरुआती दिन उन्हें माहौल में ढालने के लिए अलग-अलग रखा जाएगा। आनन-फानन में शेरोंं की रवानगी के पीछे सियासी वजहें भी मानी जा रही हैं। तर्क दिया जा रहा है कि मैनपुरी में लोकसभा चुनाव के मतदान 24 अप्रैल को होने हैं। वहां से खुद सपा सुप्रीमों चुनाव लड़ रहे हैं। लॉयन सफारी सपा सुप्रीमों का ड्रीम प्रोजेक्ट रहा है। शेरोंं को उतारे जाने में देरी को लेकर सवाल उठ रहे थे।
वहीं सूत्रों का कहना है कि शेरोंं को लेकर जिस तरह से कई महीनों से मोदी और सीएम अखिलेश यादव में जुबानी जंग चल रही थी, गुपचुप रवानगी के पीछे प्रमुख वजह है। जू प्रशासन और विभाग के आला अफसर देर रात तक चुप्पी साधे रहे।
वर्ष 2006 में मुलायम सिंह यादव ने इटावा लॉयन सफारी प्रोजेक्ट को तैयार कराया था। लेकिन सरकार बदल जाने से प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया। 2012 में सपा सरकार आई तो फिर से इसमें तेजी आई और इटावा में 350 एकड़ से अधिक क्षेत्रफल में सफारी आकार लेने लगी। इसके लिए पहले चरण में 5 अप्रैल 2013 को हैदराबाद जू से दो एशियाई बब्बर शेर लक्ष्मी-विष्णु लाए गए जिन्हें कानपुर जू में रखा गया। उसके दो दिन बाद 7 अप्रैल को राजकोट जू से एक्सचेंज के तहत दो और बब्बर शेर हीर-मोजकब कुबेर लखनऊ जू पहुंचे। 21 दिसंबर 2013 को गुजरात के शक्करबाग जू से 4 और एशियाई बब्बर शेर कुंवरी, मनन, वीगो और करिश्मा का इंतजाम किया गया। लेकिन सफारी में निर्माण कार्यों के बाद सीजेडए की हरी झंडी नहीं मिलने से शेरोंं को उतारे जाने में देरी हुई।
प्रदेश के वन विभाग ने इनको लाने में खासी गोपनीयता बरती। किसी को भी पूरे मामले की भनक नहीं लगने दी। लखनऊ के चिड़ियाघर से चिकित्सक डा.उत्कर्ष शुक्ला व जू कीपर मुबारक अली के साथ मनन व कुंवरी को यहां पर लाया गया। विभाग ने फिलहाल कीपर के तौर पर लखनऊ के मुबारक अली को यहां पर तैनात किया है। मनन व कुमारी मुबारक अली से काफी हिले हुए हैं। जिसको लेकर उन्हें यहां भेजा गया है। लायन सफारी के चिकित्सक कुलदीप द्विवेदी भी उनके साथ थे। प्रमुख सचिव वाइल्ड लाइफ रूपक डे के साथ चंबल सेंचुरी के डीएफओ अनिल पटेल, वार्डेन गुरमीत सिंह, रेंजर सुरेश सिंह राजपूत व डीएफओ इटावा मानिक चंद्र यादव ने भी मनन व कुमारी को रखे जाने की व्यवस्थाओं का अवलोकन किया। लायन सफारी के निदेशक केके सिंह भी मौजूद रहे।
मनन व कुमारी के लिए 20 से 30 दिन का समय क्वेरन टाइन (नई जगह पर मानवीय लोगों से दूर रहना) का निर्धारित किया गया है। इन दिनों में किसी को भी इनके पास जाने की इजाजत नहीं है। सेंट्रल जू अथॉरिटी के निर्देशों के क्रम में कोई भी व्यक्ति इनके आसपास नहीं जा पाएगा। यहां तक कि वन विभाग के अधिकारियों को भी इनके पास जाने की इजाजत नहीं है। केवल जू कीपर मनन व कुंवरी के पास रहेगा।
मनन व कुंवरी को पहले दिन चार-चार किग्रा चिकन दिया गया है। हालांकि इनकी खुराक 10 व 12 किलोग्राम की प्रतिदिन निर्धारित की गई है लेकिन पहले दिन लखनऊ से आने पर थकान को देखते हुए इन्हें कम भोजन दिया गया। इसके साथ-साथ इन्हें प्रतिदिन भैंसे का मीट भी दिया जाएगा। प्रतिदिन दिए जाने वाले भोजन की डाक्टर पहले जांच करेंगे।
मालूम हो कि करीब साढ़े तीन सौ हेक्टेयर क्षेत्र में लॉयन सफारी को विकसित किया गया है। इसमें से 50 हेक्टेयर का सर्वाधिक सुरक्षित वह कोर एरिया है। जिसके अंदर शेर खुलेआम विचरण करेंगे। सैलानी इसी कोर एरिया के अंदर एक विशेष वाहन में बैठकर टेढ़े मेंड़े जिग-जैग मार्ग से शेरोंं को देखने का लुत्फ उठाएंगे। इटावा-ग्वालियर बाईपास के दक्षिणी ओर स्थित बीहड़ को लॉयन सफारी का स्वरूप दिया गया है।
इस योजना को लेकर यूपी सरकार कितनी संजीदा रही है। इसका अंदाजा महज इस बात से लगाया जा सकता है कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव खुद दो बार तैयारियों का जायजा ले चुके हैं। मुख्य सचिव जावेद उस्मानी से लेकर प्रमुख सचिव वन, मुख्यमंत्री सचिव और न जाने शासन स्तर से कितने अधिकारी आते-जाते रहे हैं। कुल 8589.75 लाख रुपए के लॉयन सफारी प्रोजेक्ट को दस वर्षों में पूरी तरह से कंपलीट किया जाना है।
इस धनराशि में से 5798.16 लाख रुपए लॉयन सफारी के विकास पर खर्च किए जा रहे हैं। बाकी राशि उपकरण, कर्मचारियों के वेतन आदि मदों पर खर्च होगी। गत जनवरी माह से शेरोंं को लाए जाने की तारीखें तय होती रही है और किसी न किसी कारण से आगे बढ़ती गई। पिछले दिनों नेशनल जू अथॉरिटी की टीम ने दौरा किया और छोटी मोटी कई कमियां निकाल दी। यहीं नहीं बरसात के चलते भी निर्माण में भी देरी हुई। बहरहाल अब जाकर इस पर विराम लगा है। शेरोंं को रखने के लिए कोर एरिया में ही चार ब्रीडिंग सेंटर बनाए गए हैं। जबकि 300 हेक्टेयर के बफर एरिया में हॉस्पिटल और स्टाफ के आवास बने हैं।
शेरोंं की देखरेख के लिए ट्रेंड स्टाफ लगाया गया है। आगे चलकर इनके शावकों को कोर एरिया में छोड़ा जाएगा।
शेरों के जोड़े के इटावा लायन सफारी में पहुचंने के बाद तड़के ही खुद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने टेलीफोन पर लायन सफारी के अफसरों के बजाए शेरों के सकुशल आ जाने के बारे में जानकारी अपने करीबियों के जरिए ली।
एशियाई बब्बर शेरोंं की दहाड़ इटावा की लॉयन सफारी में गूंजेगी। शेरोंं की रवानगी बेहद गोपनीय रखी गई। गुजरात से आए शेरोंं को लेकर भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव में खूब ‘लॉयन वॉर’ चल रहा है।
मनन और कुंवरी को सफारी के ब्रीडिंग सेंटर में उतारा जाएगा। जहां शुरुआती दिन उन्हें माहौल में ढालने के लिए अलग-अलग रखा जाएगा। आनन-फानन में शेरोंं की रवानगी के पीछे सियासी वजहें भी मानी जा रही हैं। तर्क दिया जा रहा है कि मैनपुरी में लोकसभा चुनाव के मतदान 24 अप्रैल को होने हैं। वहां से खुद सपा सुप्रीमों चुनाव लड़ रहे हैं। लॉयन सफारी सपा सुप्रीमों का ड्रीम प्रोजेक्ट रहा है। शेरोंं को उतारे जाने में देरी को लेकर सवाल उठ रहे थे।
वहीं सूत्रों का कहना है कि शेरोंं को लेकर जिस तरह से कई महीनों से मोदी और सीएम अखिलेश यादव में जुबानी जंग चल रही थी, गुपचुप रवानगी के पीछे प्रमुख वजह है। जू प्रशासन और विभाग के आला अफसर देर रात तक चुप्पी साधे रहे।
वर्ष 2006 में मुलायम सिंह यादव ने इटावा लॉयन सफारी प्रोजेक्ट को तैयार कराया था। लेकिन सरकार बदल जाने से प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया। 2012 में सपा सरकार आई तो फिर से इसमें तेजी आई और इटावा में 350 एकड़ से अधिक क्षेत्रफल में सफारी आकार लेने लगी। इसके लिए पहले चरण में 5 अप्रैल 2013 को हैदराबाद जू से दो एशियाई बब्बर शेर लक्ष्मी-विष्णु लाए गए जिन्हें कानपुर जू में रखा गया। उसके दो दिन बाद 7 अप्रैल को राजकोट जू से एक्सचेंज के तहत दो और बब्बर शेर हीर-मोजकब कुबेर लखनऊ जू पहुंचे। 21 दिसंबर 2013 को गुजरात के शक्करबाग जू से 4 और एशियाई बब्बर शेर कुंवरी, मनन, वीगो और करिश्मा का इंतजाम किया गया। लेकिन सफारी में निर्माण कार्यों के बाद सीजेडए की हरी झंडी नहीं मिलने से शेरोंं को उतारे जाने में देरी हुई।
प्रदेश के वन विभाग ने इनको लाने में खासी गोपनीयता बरती। किसी को भी पूरे मामले की भनक नहीं लगने दी। लखनऊ के चिड़ियाघर से चिकित्सक डा.उत्कर्ष शुक्ला व जू कीपर मुबारक अली के साथ मनन व कुंवरी को यहां पर लाया गया। विभाग ने फिलहाल कीपर के तौर पर लखनऊ के मुबारक अली को यहां पर तैनात किया है। मनन व कुमारी मुबारक अली से काफी हिले हुए हैं। जिसको लेकर उन्हें यहां भेजा गया है। लायन सफारी के चिकित्सक कुलदीप द्विवेदी भी उनके साथ थे। प्रमुख सचिव वाइल्ड लाइफ रूपक डे के साथ चंबल सेंचुरी के डीएफओ अनिल पटेल, वार्डेन गुरमीत सिंह, रेंजर सुरेश सिंह राजपूत व डीएफओ इटावा मानिक चंद्र यादव ने भी मनन व कुमारी को रखे जाने की व्यवस्थाओं का अवलोकन किया। लायन सफारी के निदेशक केके सिंह भी मौजूद रहे।
मनन व कुमारी के लिए 20 से 30 दिन का समय क्वेरन टाइन (नई जगह पर मानवीय लोगों से दूर रहना) का निर्धारित किया गया है। इन दिनों में किसी को भी इनके पास जाने की इजाजत नहीं है। सेंट्रल जू अथॉरिटी के निर्देशों के क्रम में कोई भी व्यक्ति इनके आसपास नहीं जा पाएगा। यहां तक कि वन विभाग के अधिकारियों को भी इनके पास जाने की इजाजत नहीं है। केवल जू कीपर मनन व कुंवरी के पास रहेगा।
मनन व कुंवरी को पहले दिन चार-चार किग्रा चिकन दिया गया है। हालांकि इनकी खुराक 10 व 12 किलोग्राम की प्रतिदिन निर्धारित की गई है लेकिन पहले दिन लखनऊ से आने पर थकान को देखते हुए इन्हें कम भोजन दिया गया। इसके साथ-साथ इन्हें प्रतिदिन भैंसे का मीट भी दिया जाएगा। प्रतिदिन दिए जाने वाले भोजन की डाक्टर पहले जांच करेंगे।
मालूम हो कि करीब साढ़े तीन सौ हेक्टेयर क्षेत्र में लॉयन सफारी को विकसित किया गया है। इसमें से 50 हेक्टेयर का सर्वाधिक सुरक्षित वह कोर एरिया है। जिसके अंदर शेर खुलेआम विचरण करेंगे। सैलानी इसी कोर एरिया के अंदर एक विशेष वाहन में बैठकर टेढ़े मेंड़े जिग-जैग मार्ग से शेरोंं को देखने का लुत्फ उठाएंगे। इटावा-ग्वालियर बाईपास के दक्षिणी ओर स्थित बीहड़ को लॉयन सफारी का स्वरूप दिया गया है।
इस योजना को लेकर यूपी सरकार कितनी संजीदा रही है। इसका अंदाजा महज इस बात से लगाया जा सकता है कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव खुद दो बार तैयारियों का जायजा ले चुके हैं। मुख्य सचिव जावेद उस्मानी से लेकर प्रमुख सचिव वन, मुख्यमंत्री सचिव और न जाने शासन स्तर से कितने अधिकारी आते-जाते रहे हैं। कुल 8589.75 लाख रुपए के लॉयन सफारी प्रोजेक्ट को दस वर्षों में पूरी तरह से कंपलीट किया जाना है।
इस धनराशि में से 5798.16 लाख रुपए लॉयन सफारी के विकास पर खर्च किए जा रहे हैं। बाकी राशि उपकरण, कर्मचारियों के वेतन आदि मदों पर खर्च होगी। गत जनवरी माह से शेरोंं को लाए जाने की तारीखें तय होती रही है और किसी न किसी कारण से आगे बढ़ती गई। पिछले दिनों नेशनल जू अथॉरिटी की टीम ने दौरा किया और छोटी मोटी कई कमियां निकाल दी। यहीं नहीं बरसात के चलते भी निर्माण में भी देरी हुई। बहरहाल अब जाकर इस पर विराम लगा है। शेरोंं को रखने के लिए कोर एरिया में ही चार ब्रीडिंग सेंटर बनाए गए हैं। जबकि 300 हेक्टेयर के बफर एरिया में हॉस्पिटल और स्टाफ के आवास बने हैं।
शेरोंं की देखरेख के लिए ट्रेंड स्टाफ लगाया गया है। आगे चलकर इनके शावकों को कोर एरिया में छोड़ा जाएगा।
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