दिल्ली

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राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम (National Rural Drinking Water Programme)
Posted on 10 Jul, 2016 11:58 AM
देश के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को साफ पानी मुहैया करवाने के लिये पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय ने वर्ष 2013 में राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल प्रोग्राम शुरू किया था। इस प्रोग्राम का लक्ष्य था ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये एक अभियान शुरू करना। इस प्रोग्राम में यह तय किया गया कि वर्ष 2017 तक देश की ग्रामीण आबादी के 50 प्रतिशत हिस्से तक पाइप से पेयजल मुहैया
अंजुरी में उतारना बादलों को
Posted on 10 Jul, 2016 10:26 AM
कृष्ण जब जन्मे तब रात अन्धेरी थी लेकिन आकाश जलभरे बादलों से भरा हुआ था। काले-काले मेघों की पंचायत जुटी थी और काला अन्धेरा उनसे मिल कर कृष्ण का सृजन कर रहा था। राधा उनकी वर्षा बनीं और कृष्ण बरस कर रिक्त हो गए। राधा भी बरस कर रिक्त हो गईं।

काले मेघों की उज्जवल वर्षा ने बरस-बरस कर पृथ्वी को उर्वर बनाकर रस से भर दिया। यही रस भारतीय साहित्य, संस्कृति और जीवन में बार-बार छलका। जब-जब हम अनुर्वर हुए-वे बार-बार बरस कर हमें उर्वर बनाते रहे। राष्ट्रजीवन की पुण्य सलिलाओं का अमृत कुम्भ भरते रहे। मेघों की वर्षा में निसर्ग तो उतरता ही था, पूरा-का-पूरा सर्ग भी उसमें भीग कर पुनर्नवा होता रहता था।
नमामि गंगे के व्यापक सरोकार
Posted on 09 Jul, 2016 09:52 AM
मई 2014 के शासनकाल से ही मोदी सरकार की महत्त्वाकांक्षी परियोजना में नमामि गंगे को भी देखा जा सकता है। इतने ही समय के नियोजन के बाद अंतत: केन्द्रीय जल संसाधन मंत्रालय ने उत्तराखण्ड व उत्तर प्रदेश समेत गंगा बेसिन के सभी पाँचों राज्यों में नमामि गंगे नामक इस ड्रीम प्रोजेक्ट को हरिद्वार से प्रारंभिकी दे दी है। प्रथम गंगा एक्शन प्लान से अब तक हजारों करोड़ रुपया गंगा सफाई पर खर्च किया जा चुका है। य
पानी के लिये बढ़ते टकराव - अात्मनिर्भर व्यवस्था के विकल्प
Posted on 08 Jul, 2016 04:54 PM
पानी की बढ़ती कमी को ध्यान में रखते हुए पानी के प्रदूषण पर प्र
समुद्री संसाधनों से औषधियाँ (Oceanic Medicines)
Posted on 08 Jul, 2016 04:48 PM

समुद्री औषधियाँ अपेक्षाकृत एक नया विषय है तथा इस क्षेत्र में अब तक की गई प्रगति कोई महत्त

बढ़ता तापमान और भारत (Rising Temperature and India)
Posted on 08 Jul, 2016 04:40 PM

जलवायु परिवर्तन की समस्या के समाधान के लिये टिकाऊ और किफायती ऊर्जा संसाधनों की जरूरत होगी

आवश्यकता है जल क्रांति की (Need of water revolution)
Posted on 08 Jul, 2016 04:06 PM
पृथ्वी की उत्पत्ति के विषय में वैज्ञानिकों की मान्यता है कि 46,000 लाख वर्ष पहले पृथ्वी बनी तथा अब से लगभग 5700 लाख वर्ष पूर्व पृथ्वी पर जल की उत्पत्ति हुई। संयुक्त राष्ट्र संघ की रिपोर्ट के अनुसार यदि विश्व भर के पानी को आधा गैलन मान लिया जाए तो उसमें ताजा पानी आधे चम्मच भर से ज्यादा नहीं होगा, और धरती की ऊपरी सतह पर कुल जितना पानी है, वह तो सिर्फ बूँद भर ही है, बाकी सब भूमिगत है। भारत में
गाजर घासः भारत में फैलता जाल (Parthenium Hysterophorus Spreading in India)
Posted on 08 Jul, 2016 03:39 PM
प्रकृति में अत्यंत महत्त्वपूर्ण वनस्पतियों के अलावा कुछ वनस्पतियाँ ऐसी भी हैं, जोकि धीरे-धीरे एक अभिशाप का रूप लेती जा रही हैं बरसात का मौसम शुरू होते ही गाजर के तरह की पत्तियों वाली एक वनस्पति काफी तेजी से बढ़ने और फैलने लगती है। इसे ‘गाजर घास’,‘कांग्रेस घास’ या ‘चटक चाँदनी’ आदि नामों से जाना जाता है। आज सम्पूर्ण संसार में पाँव पसारने को कृतसंकल्प दिखाई दे रहा कम्पोजिटी कुल का यह सदस्य वानस
प्रदूषण के कारण व निवारण (Cause and Solution of Pollution)
Posted on 08 Jul, 2016 03:22 PM

प्रकृति और मानव का सम्बंध आदि काल से चला आ रहा है। मानव जाति उस जटिल और समन्वित पारिस्थित

विकास से विनाश क्यों (Development Vs Destruction)
Posted on 07 Jul, 2016 04:26 PM

आज आदमी विकास की चरम अवस्था पार कर चुका है। अगर हम अभी नहीं चेते तो इस विकास की कीमत सृष्

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