दिल्ली

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पानी पूजनीय है इसे बचाना होगा
Posted on 03 Jul, 2016 04:37 PM
पानी को बचाना राजनीतिक नहीं, बल्कि सामाजिक दायित्व है। परिवा
जल कौशल का यह देश
Posted on 03 Jul, 2016 04:30 PM
जल की मर्यादा का भगवान राम, हिन्दू सभ्यता में साक्षात सर्वशक्
नदियों को भी माता कहकर बुलाया जाता है
Posted on 03 Jul, 2016 04:24 PM
हिन्दी फिल्मों में पानी का रूपक कई तरह से इस्तेमाल हुआ है। नद
सरकारी व्यवस्था में खामी
Posted on 03 Jul, 2016 04:19 PM

सूखा कभी भूकम्प या सुनामी की तरह अचानक नहीं आता। उसकी एक लम्बी प्रक्रिया है। महाराष्ट्र म

Neoliberal Delhi: Through the Lens of the Yamuna Pushta Demolitions
Posted on 03 Jul, 2016 03:38 PM
Before January 2004 the banks of the river Yamuna (the Yamuna Pushta), on which the city of Delhi is built, was home to over a hundred and fifty thousand people. By May 2004 it was reduced to a heap of rubble bearing an uncanny resemblance to a bombed out war zone. No, the Pushta residents are not part of the ‘axis of evil’ as defined by Messers George Bush and Company!
सामाजिक सरोकार को समर्पित विद्या
Posted on 03 Jul, 2016 10:53 AM
पदमश्री विद्या बालन का परिचय महज एक अच्छी अभिनेत्री तक ही सीमित नहींं है। वे ऐसी अभिनेत्री हैं जिनके लिए फिल्मों के साथ ही सामाजिक सरोकार भी बहुत मायने रखता है। यही वजह है कि वे केंद्र सरकार की ओर से चलाये जा रहे कई अभियानों का अहम हिस्सा हैं। विद्या की छवि भी एक ऐसी अभिनेत्री की है जो अपने काम के प्रति ईमानदार तो है साथ ही विनम्र और हाजिरजवाब भी। पिछले दिनों महिला आर्थिक मंच के कार्यक्रम मे
साइबर सिटी बंगलुरु के झीलों का संरक्षण
Posted on 03 Jul, 2016 09:40 AM

वनों के कटने एवं जैव विविधता के समाप्त होने से हमारे आस-पास के कई जीव-जन्तु भी समाप्त हो

पानी-पानी होता पानी
Posted on 02 Jul, 2016 04:07 PM

सदियों से पानी हमारे यहाँ सार्वजनिक उपयोग की वस्तु रही है। प्यासे को पानी पिलाना हमारी सं

जल संरक्षण और कृषि के विविधीकरण से सुधरेगी किसानों की दशा
Posted on 02 Jul, 2016 03:29 PM

कृषि के विविधीकरण और कृषि आधारित उद्योगों जैसे कि खाद्य प्रसंस्करण, मधुमक्खी पालन, मत्स्य

कैसे होता है आगमन मनमौजी मानसून का
Posted on 02 Jul, 2016 12:25 PM
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार मानसून ऐसी सामयिक हवाएँ हैं जिनकी दिशाओं में प्रत्येक वर्ष दो बार उलट-पटल होती है। उत्तर-पूर्व और दक्षिण-पश्चिम में मानसूनी हवाओं की दिशाओं में बदलाव वैज्ञानिक भाषा में कोरिओलिक बल के चलते होता है। यह बल गतिशील पिंडों पर असर डालता है।

हमारी पृथ्वी भी गतिशील पिंड है जिसकी दो गतियाँ हैं- दैनिक गति और वार्षिक गति। नतीजन, उत्तरी गोलार्द्ध में मानसूनी हवाएँ दाईं ओर मुड़ जाती हैं और दक्षिणी गोलार्द्ध में बाईं ओर। वायुगति के इस परिवर्तन की खोज फेरल नामक वैज्ञानिक ने की थी। इसीलिये इस नियम को ‘फेरल का नियम’ कहते हैं।
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