दिल्ली

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जलजनित बीमारियाँ और स्वास्थ्य
Posted on 29 Jul, 2016 02:52 PM
मानव शरीर जिन 5 तत्वों से मिलकर बना है, उसमें जल प्रमुख है। ह
जल संकट से गहरा सकता है रोजगार संकट
Posted on 29 Jul, 2016 02:24 PM
जल जिन रोजगार के लिये प्राण की भाँति बना हुआ है अर्थात जो रोज
कृषि और अर्थव्यवस्था - जरूरत नए नजरिए की
Posted on 29 Jul, 2016 12:48 PM
2009-10 के जीडीपी में मैन्यूफैक्चरिंग का योगदान 7,19,975 करोड
बेकार जाता अधिकांश वर्षाजल
Posted on 29 Jul, 2016 11:57 AM
एक नवीन अनुसन्धान के अनुसार, पादप उतना जल प्रयोग नहीं करते जितना कि अब तक समझा जाता रहा है। अनुसन्धान से यह तथ्य भी सामने आया है कि वर्षाजल भूमि में पूर्व अनुमान की तुलना में बहुत अधिक गति से चलता है इस कारण पौधों के लिये अधिक जल लाभदायक नहीं होता। वर्षाजल का अधिकांश भाग बेकार चला जाता है।
कृषि पर बढ़ेगी चाल
Posted on 29 Jul, 2016 11:47 AM
विकसित देशों का पूरा रवैया आत्मकेंद्रित और अत्यन्त स्वार्थपरक
इंटरनेशनल रिवर सिम्पोजियम- सब्सिडी के साथ आवेदन तिथि 31 जुलाई
Posted on 29 Jul, 2016 10:07 AM
इंटरनेशनल रिवर सिम्पोजियम

तिथिः 12-14 सितम्बर 2016
स्थानः नई दिल्ली


.पहले आओ पहले पाओ! जी हाँ, ​नदियों को लेकर आयोजित होने जा रही अन्तरराष्ट्रीय नदी संगोष्ठी (International Rivers Symposium) के लिये ​छूट के साथ प्रारम्भिक पंजीयन की अंतिम ​तिथि​ 31 जुलाई है। संगोष्ठी में हिस्सा लेने वाले भारतीय प्रतिनिधियों को विशेष सब्सिडी के तहत पंजीयन की फीस में 75 प्रतिशत तक की छूट के लिये आवेदन करने का मौका दिया जा रहा है। इस वर्ष यह संगोष्ठी 12-14 सितम्बर तक नई दिल्ली में आयोजित होगी।

इस बार के कार्यक्रम का थीम है-विश्व की विशाल नदियां : साझा लाभ के लिये प्रबंधन।

इस अनोखे और वृहत कार्यक्रम, प्रमुख वक्ताअों, विशेष सत्र, सोशल इवेंट्स और हिमालयी क्षेत्रों में टूर का हिस्सा बनिए।
सिलिकोसिस : धूल में मौजूद सिलिका के कारण होने वाला व्यवसायजनित रोग
Posted on 29 Jul, 2016 09:51 AM
यह रोग सिलिका मिश्रित धूल के संपर्क के कारण होता है। इसलिए व्
प्लास्टिक (Plastic)
Posted on 29 Jul, 2016 09:22 AM
आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है। जनसंख्या विस्फोट शहरीकरण, वाहनों की संख्या में वृद्धि, अत्यधिक औद्योगीकरण के कारण जंगलों की कटाई और सफाई की जा रही है। फिर भी प्राकृतिक कच्चे माल की कमी हो जा रही है। उदाहरण स्वरूप लकड़ी की मात्रा कम हो रही है और फर्नीचर की मांग बढ़ रही है। इस मांग को पूरा करने के लिये कृत्रिम पदार्थों का उत्पादन शुरू हुआ। इस कृत्रिम पदार्थ को प्लास्टिक नाम से जाना जाता है।
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