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बैंगन की छांव तले
Posted on 06 Mar, 2012 03:48 PM

आज अमेरिका व इंग्लैंड की थालियों में परोसा जाने वाला भोजन औसतन प्रतिदिन डेढ़ से दो हजार किलोमीटर की यात्रा करके

कला के सभी क्षेत्रों को प्रभावित करती गंगा नदी
Posted on 03 Mar, 2012 06:52 PM

संगीत में इसी नदी ने ‘भटियाली’ और ‘सरिगान’ नामक दो राग दिए। ‘भटियाली’ तो नाविकों द्वारा गाया जाने वाला सर्वाधिक

सभ्यता और संस्कृति की पोषक-गंगा
Posted on 03 Mar, 2012 06:35 PM

गंगाजल वर्षों तक किसी भी बर्तन में सुरक्षित रखा जा सकता है। इसलिए गंगा जल का विशेष महत्व है। क्योंकि वह अमृत तुल्य है अद्वितीय कोटि का है, जिसका वर्णन महाभारत एवं अन्य कई पौराणिक ग्रन्थों में किया गया है। पश्चिमी वैज्ञानिकों ने भी गंगा के जल की इस अद्भुत विशेषता को सिद्ध किया है। डॉ. एफ.सी. हैरिसन के अनुसार गंगा जल में एक अनोखा गुण है, जिसकी सन्तोषजनक व्याख्या मुश्किल है। इसमें हैजे के जीवाणु की तीन से पाँच घंटे में मृत्यु हो जाती है। जबकि कई नदियों में यही जीवाणु तेजी से फैलती हैं। फ्रांस के एक डॉक्टर हेरेल यील्डेड ने भी अपने अनुसंधान के दौरान ऐसा ही पाया।

प्राचीन काल से ही भारत भूमि को स्वर्ग बनाती और यहां की सभ्यता और संस्कृति का पोषण करती गंगा नदी इस धरती की अलौकिक शोभा है। पवित्र तीर्थों की जननी तथा ज्ञान-विज्ञान की रक्षक इस नदी के बारे में पं. जवाहर लाल नेहरू ने लिखा है, “गगा तो विशेषकर भारत की नदी है, जनता की प्रिय है, जिससे लिपटी हैं भारत की जातीय स्मृतियां, उसकी आशाएँ और उसके भय उसके विजयगान, उसकी विजय और पराजय। गंगा तो भारत की प्राचीन सभ्यता का प्रतीक रही है, निशान रही है। सदा बदलती, सदा बहती, फिर भी वही गंगा की गंगा”। पूरे विश्व में ऐसी कोई नदी नहीं जिसे इतना आदर मिला हो। इसे यहां केवल जल का स्रोत नहीं वरन् देवी मानकर पूजा जाता है। कोई भी विशेष धार्मिक अनुष्ठान गंगा-जल के बिना पूरा नहीं होता। दुर्भाग्य से आज गंगा पहले जैसी नहीं रही। आज इसका पावन जल प्रदूषण की चपेट में है।
भारतीय नदी जल सम्पदा
Posted on 03 Mar, 2012 06:12 PM

हिमखंडों से निकली नदियों में पानी के दिनों में भी काफी पानी उपलब्ध रहता है। जबकि दस प्रायद्वीप

धरती धन न अपना
Posted on 03 Mar, 2012 12:37 PM

विकास के इस मॉडल में उद्योगीकरण श्रमिकों के शोषण, कृषि भूमि के विनाश, किसानों के विस्थापन, खनिज संपदा की लूट और

जल चक्र
Posted on 01 Mar, 2012 05:25 PM बर्फ, जल और वाष्प, पानी के तीन स्वरूप हैं। व्यापक अर्थ में देखें तो ये लगातार एक दूसरे में परिवर्तित होते रहते हैं। वैसे तो यह एक सामान्य-सी प्रक्रिया है, पर सागर की सतह का निर्धारण, तापक्रम का सामंजस्य और धरती को जीवन धारण करने योग्य बनाए रखने में इनका बहुत महत्व है। पानी के एक स्वरूप से दूसरे स्वरूप में परिवर्तित होने की प्रक्रिया ही जल-चक्र कहलाती है। विश्व में पानी की कुल मात्रा 1.4 बिलियन घन
विश्व में मौजूदा जल-चक्र
हमारी नदियां : बिन पानी सब सून
Posted on 01 Mar, 2012 01:03 PM

वैज्ञानिकों का मत है कि जीवन की शुरुआत जल में हुई। यदि पृथ्वी पर जल नहीं होता तो, यह अन्य ग्रहों जैसे जीवन शून्य

जीवन शैली का निर्धारक भी है पानी
Posted on 29 Feb, 2012 03:51 PM

आमतौर पर मैदानी इलाकों में पानी का प्रवाह धीमा और नदियों के पाट चौड़ा हो जाते हैं। स्थिर प्रवाह वाले जल स्रोतों

step well
यमुना में गंदगी को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त
Posted on 28 Feb, 2012 12:19 PM सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और हरियाणा सरकार से यमुना नदी के जल की स्वच्छता और उसे प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए अब तक खर्च हुई रकम का ब्यौरा तलब किया है। शीर्ष अदालत ने तीनों प्रदेश सरकारों से यह भी पूछा है कि लंबे अरसे के बाद भी अभी तक सीवर ट्रीटमेंट प्लांट क्यों नहीं बनाए जा सके हैं।
गंदगी ढोने की साधन बन गई है यमुना
कैसे बचे प्रकृति?
Posted on 27 Feb, 2012 04:13 PM

हम एक ही दिन क्यों प्रकृति को बचाने का कार्य करें वर्ष भर क्यों न करें?

Nature
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