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चमोली जिला
प्रकृति को सहेजने का मिला ईनाम
Posted on 08 Sep, 2018 06:07 PMउत्तराखण्डियों को प्रकृति प्रेमी कहा जाता है। ऐसा हो भी क्यों नहीं, चिपको व रक्षासूत्र जैसे वन बचाओ आन्दोलन इसी धरती पर हुए हैं। यही वजह है कि उत्तराखण्ड की हरियाली लोगो को बरबस अपनी ओर आकर्षित करती है। प्रकृति संरक्षण यहाँ की विशेषता है।![जंगल](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/forest_1_12.jpg?itok=nKdHk9YW)
भारत पर मँडरा रहा गुम हुए प्लूटोनियम का खतरा
Posted on 13 Aug, 2018 01:28 PMबेस कैम्प जहाँ प्लूटोनियम कैप्सुल्स खो गए (फोटो साभार - मेंस एक्सपी)अभी हाल ही में हॉलीवुड की एक फिल्म आई है। नाम है- मिशन इम्पॉसिबल: फॉलआउट। फिल्म की कहानी प्लूटोनियम की एक बड़ी खेप तक खलनायकों की पहुँच को रोकने के मिशन पर आधारित है। फिल्म में मुख्य किरदार टॉम क्रूज ने निभाया है।
![बेस कैम्प जहाँ प्लूटोनिम कैप्सुल्स खो गए](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/nanda%20devi_3.jpg?itok=2QCBtPES)
चमोली में टूटा आपदा का कहर, फटा बादल
Posted on 17 Jul, 2018 01:00 PMजिले के थराली प्रखंड की सोल घाटी तथा घाट प्रखंड के धुर्मी, कुंडी तथा सेराबगड़ में बादल फटने से आवासीय मकान और दुकानों के साथ ही वाहन आपदा की भेंट चढ़ गये। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सोमवार सुबह जनपद चमोली के थराली, घाट व चमोली में हुई अतिवृष्टि एवं भूस्खलन के कारण प्रभावित क्षेत्रों में खाद्य सामग्री एवं अहेतुक सहायता वितरित करने के निर्देश जिला प्रशासन को दिये हैं।
![Cloudburst](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/Cloudburst_11.jpg?itok=Ul89SGMD)
लोगों की गाड़गंगा
Posted on 01 Dec, 2013 09:20 AM30 सालों के दौरान गाँवों के समाज ने करीब 30 हजार चाल-खाल बनाई हैं। उनके लगे जंगल 100 फिट कैनोपी तक के हैं। जमीन पर ह्यूमस की परत काफी मोटी है। पशु पक्षी भी वहां मौजूद हैं। जंगल खेती और चारा सभी कुछ उगाने के लिए पर्याप्त पानी मौजूद है। इन जंगलों में अब हर तरह का जीवन संगीत गूँज रहा है। बाढ़ और सुखाड़ दोनों ही उस इलाके से जा चुके हैं। ग्लेशियर सूखने की घोषणा और बातें वहां के जंगल अपनी हवा में उड़ा देते हैं। अपने धर्म-कर्म के लिए एक गंगा बहा देते हैं।उफरैखाल, पौड़ी, चमोली और अल्मोड़ा तीन जिलों के बीच स्थित गांव है। जो जिम कार्बेट नेशनल पार्क के उत्तर में और समुद्र तल से 6000 फीट ऊपर पहाड़ों में है। दरअसल उफरैखाल ‘दूधातोली पर्वत श्रृंखला का हिस्सा है।’उत्तराखंड में बहुत से कस्बों और गाँवों के नाम खाल के नाम पर हैं जैसे... उफरैखाल, चौबाटाखाल, नौगांवखाल, गुमखाल, बूबाखाल, चौखाल, परसुंडाखाल, पौंखाल, बीरोंखाल, भदेलीखाल, अदालीखाल, सतेराखाल, पड़जीखाल, किनगोड़ीखाल आदि। पूरे उत्तराखंड में लगभग ढाई हजार खाल पूर्वजों के बनाए हुए हैं।
राह दिखाता रैतोली
Posted on 30 Jun, 2011 03:13 PMयहां ग्रामीण विकास की यह बुनियाद लगभग 20 वर्ष पूर्व तत्कालीन ग्राम प्रधान स्वर्गीय माधो सिंह फर्स्वाण ने रखी थी। तब न गांव में रोजगार के साधन थे और ना ही बुनियादी सुविधाएं। लोग रोजगार के लिए पलायन कर रहे थे या फिर आस-पास के क्षेत्रों में मजदूरी। ग्रामीणों की इस पीड़ा एवं गांवों से हो रहे पलायन को देखते हुए उन्होंने गांव में ही दुग्ध व्यवसाय को बढ़ावा देने पर जोर दिया।
एक गांव जहां हर घर शिक्षित है। ग्रामीणों ने अपनी मेहनत से पैदल पथ का निर्माण किया। दुग्ध समिति बनाकर स्वरोजगार की राह खोली। किसी सरकारी मदद का इंतजार करने के बजाय यहां के लोगों ने खुद को सक्षम बनाया। यह है चमोली जनपद में बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित रैतोली गांव। आपसी सहयोग एवं श्रमदान से यहां के ग्रामीणों ने रैतोली की तस्वीर को सवारा है।
सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान के सफलता की कहानी
Posted on 13 Oct, 2008 08:58 AMगांव- देवस्थान, विकास खण्ड-जोशीमठ, जनपद- चमोली की कहानी
सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान की अवधारणा के अनुरूप स्वजल परियोजना, जिला परियोजना प्रबन्धन इकाई चमोली द्वारा ग्राम स्तरों पर स्वच्छता एवं स्वास्थ्य के अन्तर्सम्बन्ध को प्रभावी तौर पर लागू करने हेतु विभिन्न सहयोगी संस्थाओं के सहयोग से सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। उक्त कार्यक्रम के सफल संचालन हेतु सर्वप्रथम
![सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान अभिकर्ता](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/sanitation_49.jpg?itok=GEG9DcZi)