चमोली जिला

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चिपको आन्दोलन के पचास साल : एक थीं गौरा देवी (भाग 1)
अगली सुबह रैणी के पुरुष ही नहीं, गोविन्द सिंह रावत, चंडी प्रसाद भट्ट और हयात सिंह भी आ गये। रैणी की महिलाओं का मायका बच गया और प्रतिरोध की सौम्यता और गरिमा भी बनी रही। 27 मार्च 1974 को रैणी में सभा हुई, फिर 31 मार्च को इस बीच बारी-बारी से जंगल की निगरानी की गई। Posted on 02 Nov, 2023 03:35 PM

जनवरी 1974 में जब अस्कोट आराकोट अभियान की रूपरेखा तैयार हुई थी, तो हमारे मन में सबसे ज्यादा कौतूहल चिपको आन्दोलन और उसके कार्यकर्ताओं के बारे में जानने का था। 1973 के मध्य से जब अल्मोड़ा में विश्वविद्यालय स्थापना, पानी के संकट तथा जागेश्वर मूर्ति चोरी सम्बन्धी आन्दोलन चल रहे थे, गोपेश्वर, मंडल और फाटा की दिल्ली-लखनऊ के अखबारों के जरिये पहुँचने वाली खबरें छात्र युवाओं को आन्दोलित करती थीं लेकिन

गौरा देवी अस्कोट अभियन 84 के दौरान अपने घर में,फोटो साभार- शेखर पाठक
उर्गम घाटी में हर साल लगता है पर्यावरण एवं प्रकृति-पर्यटन मेला
विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर चमोली स्थित उर्गम घाटी में विगत 24 वर्षों से चिपको नेत्री गौरा देवी के नाम पर पर्यावरण एवं प्रकृति-पर्यटन मेले का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष यह मेला 25 वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। गौरतलब है कि विश्वप्रसिद्ध चिपको आन्दोलन की शुरुआत करने वाली गौरा देवी का जन्म 1925 में और निधन 4 जुलाई 1991 को हो गया था. Posted on 21 Oct, 2023 12:02 PM

चिपको आंदोलन की चर्चित महिला नेत्री गौरा देवी ने सन 1974 में अपने गांव के जंगल का व्यवसायिक दोहन रुकवाया था। उस समय वह पहली महिला थीं, जिन्होंने अपने रैणी गांव की दर्जन भर से अधिक महिलाओं का नेतृत्व करके सरकार द्वारा काटे जा रहे बहुमूल्य प्रजाति के पेड़ों को बचाया था। वनों के संरक्षण के लिए उनका यह अहम योगदान दुनिया भर के लोग आज भी आदर्श उदाहरण के रूप में याद करते हैं।नके जन्म व कर्मक्षेत्र चमो

पर्यटन मेला,Pc- सर्वोदय जगत
धंसता गया जोशीमठ, आंखें मूंदे रहीं सरकारें!
भारत-चीन सीमा के निकट देश का अंतिम शहर जोशीमठ तबाही के कगार पर है। कुछ समय से जोशीमठ के अलकनन्दा नदी की ओर फिसलने की गति अचानक तेज हो गयी है। अभी भी सरकारों की प्राथमिकता जोशीमठ को बचाने की नहीं, बल्कि कॉमन सिविल कोड और धर्मान्तरण कानून बनाने की दिखाई पड़ती है। Posted on 20 Oct, 2023 11:17 AM

विख्यात स्विस भूवैज्ञानिक अर्नोल्ड हीम और उनके सहयोगी आगस्टो गैस्टर ने 1936 में मध्य हिमालय की भूगर्वीय संरचना पर जब पहला अभियान चलाया था, तो अपने यात्रा वृतान्त ‘द थ्रोन ऑफ़ द गॉड (1938) और शोध ग्रन्थ ‘सेन्ट्रल हिमालया: जियोलोजिकल आबजर्वेशन्स ऑफ़ द स्विस एक्सपीडिशन (1939) में उन्होंने टैक्टोनिक दरार व मुख्य केन्द्रीय भ्रंश की मौजूदगी को चिन्हित करने के साथ ही चमोली गढ़वाल के हेलंग से लेकर तपोव

दरकती हुई जमीन,pc,सर्वोदय जगत  
पतन के कगार पर जोशीमठ
उत्तराखंड का मशहूर पर्यटन स्थल जोशीमठ में एक भयानक सन्नाटा पसरा हुआ है। उत्तराखंड के चमोली जिले की पहाड़ियों में बसा यह पर्यटकों का सबसे पसंदीदा स्थल था लेकिन आज यहाँ के घर और होटल सुनसान पड़े है Posted on 13 Jan, 2023 04:06 PM

उत्तराखंड का मशहूर पर्यटन स्थल जोशीमठ में एक भयानक सन्नाटा पसरा हुआ है। उत्तराखंड के चमोली जिले की पहाड़ियों में बसा यह पर्यटकों का सबसे पसंदीदा स्थल था लेकिन आज यहाँ के घर और होटल सुनसान पड़े है, यहाँ के निवासी राहत  बचाव केंद्रों में रहने के लिए मजबूर है क्योंकि उनके पैरों के नीचे की जमीन लगातार धंस रही है। वही इस  बढ़ते संकट  के बीच भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा जारी प्रारंभिक

पतन के कगार पर जोशीमठ
ग्लेशियर क्षेत्रों में विकास नहीं संरक्षण चाहिए
आज देश-दुनिया में नए-नए अनुसंधान, विकास के कार्य जोरों से चल रहे हैं इसका परिणाम सभी  देखते भी है, बातें भी करते हैं लेकिन सत्ता शक्ति के सामने हिम्मत नहीं जुटा पाते अंत में उन्हें इसका परिणाम भुगतना पड़ता है जैसे जोशीमठ में हो रहा है।  Posted on 11 Jan, 2023 02:19 PM

मानवीय विकास की एक सीमा 21वीं सदी में प्रारम्भ होते ही  मानव भूल गया है वह भौतिकवादी विचारधाराओं के चलते सम्पूर्ण प्राकृतिक व मानवीय संसाधनों पर अपना अस्तित्व बनाए रख कर अपने को श्रेष्ठ बताना चाहता हैं, आज देश-दुनिया में नए-नए अनुसंधान, विकास के कार्य जोरों से चल रहे हैं इसका परिणाम सभी  देखते भी है,  बातें भी  करते हैं लेकिन सत्ता शक्ति के सामने हिम्मत नहीं जुटा पाते अंत में उन्हें इसका परिणाम

ग्लेशियर क्षेत्रों में विकास नहीं संरक्षण चाहिए
जोशीमठ के बाद कर्णप्रयाग और श्रीनगर में भी कई घरों में दरार देखने को मिली
जोशीमठ के बाद उससे 80 किलोमीटर दूर स्थित कर्णप्रयाग में भी कई घरों में दरार देखने को मिली है।  कर्णप्रयाग के बहुगुणा नगर इलाके में करीब 50 घरों में दरारें आने के बाद स्थानीय प्रशासन की और से मदद के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से संपर्क किया है। इसके अलावा कुछ क्षेत्रों  में कई Posted on 10 Jan, 2023 02:42 PM

जोशीमठ के बाद उससे 80 किलोमीटर दूर स्थित कर्णप्रयाग में भी कई घरों में दरार देखने को मिली है।  कर्णप्रयाग के बहुगुणा नगर इलाके में करीब 50 घरों में दरारें आने के बाद स्थानीय प्रशासन की और से मदद के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से संपर्क किया है। इसके अलावा कुछ क्षेत्रों  में कई छोटे भूस्खलन होने अंदेशा भी जताया जा रहा है पौड़ी जिले के श्रीनगर गढ़वाल क्षेत्र में भी तबाही के संकेत दिखाई दे रह

जोशीमठ के बाद कर्णप्रयाग और श्रीनगर में भी कई घरों में दरार देखने को मिली,(Pc -Indian express)
आपदा प्रभावित क्षेत्र घोषित हुआ जोशीमठ
चमोली के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने आज जोशीमठ को आपदा क्षेत्र घोषित कर दिया है उन्होंने कहा जल्द ही केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय की  दो सदस्य टीम यहां पहुंचेगी और स्थिति का जायजा लेगी। वहीं जिलाधिकारी की इस घोषणा के बाद जोशीमठ और आसपास के क्षेत्रों में Posted on 09 Jan, 2023 12:43 PM

चमोली के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने आज जोशीमठ को आपदा क्षेत्र घोषित कर दिया है उन्होंने कहा जल्द ही केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय की  दो सदस्य टीम यहां पहुंचेगी और स्थिति का जायजा लेगी। वहीं जिलाधिकारी की इस घोषणा के बाद जोशीमठ और आसपास के क्षेत्रों में सभी निर्माण कार्य को रोक दिया गया है साथ ही प्रभावित लोगों को प्रशासन की ओर से लगातार  मदद मुहैया कराई जा रही है। 

आपदा प्रभावित क्षेत्र घोषित हुआ जोशीमठ,(PC-Indiatimes)
चिपको की तर्ज पर बचाया तांतरी का जंगल
Posted on 19 Feb, 2020 10:49 AM

मैंने जिंदगी का सबसे अहम पाठ सीख लिया है कि कभी हार मत मानो और अपनी बातों का अनुसरण करते रहो। मैं उत्तराखंड के चमोली की रहने वाली हूं। मेरा जन्म आर्थिक रूप से विपन्न परिवार में हुआ। बचपन से मैंने देखा कि गाँव के पास जंगल में लकड़ी माफिया का बोलबाला था। पर कोई उनके खिलाफ आवाज नहीं उठा रहा था। जब मेरा विवाह हुआ, उस समय मेरी उम्र करीब सत्रह साल थी। विवाह के बाद जब मैं अपने ससुराल चमोली जिले के बा

चिपको की तर्ज पर बचाया तांतरी का जंगल
जंगल की आग गांवों के नजदीक पहुंची 
Posted on 11 May, 2019 03:38 PM

उत्तराखंड जंगल तेजी से धधकने लगे हैं पहाड़ से लेकर मैदानी क्षेत्रों तक के तमाम जंगलों में लगी आग को बुझाने के लिए वन महकमे को पसीने छूट रहे हैं। अब तो आग गांवों के नजदीक तक पहुंचने लगी है। पौड़ी व रुद्रप्रयाग जिलों के विभिन्न गांवों के जंगलों के सुलगने से लोग भयभीत हैं। श्रीनगर में एसएसबी की फायरिंग रेंज से लगे जंगल तक आग पहुंची है तो नैनीताल में आर्य भट्ट प्रेक्षण शोध संस्थान (एरीज) और चंपावत मे

a file photo of fire in forest this fire season of Nainital
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