Posted on 18 Sep, 2018 01:51 PM देखने में बेल के समान पर उससे अधिक कठोर आवरण वाला फल कैथा अब बहुत कम देखने को मिलता है। आज से दो-तीन दशक पहले कैथा के पेड़ बहुतायत में पाए जाते थे। लेकिन विकास के नाम पर पेड़ों की अन्धाधुन्ध कटाई और इसके फलों के प्रति लोगों की उपेक्षा ने कैथा को विलुप्ति के कगार पर पहुँचा दिया है।
Posted on 18 Sep, 2018 12:59 PM राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण (एनडीएमए) मुख्यालय पर भारी भीड़ जमा थी और इसके चलते इलाके के आस-पास बुरी तरह ट्रैफिक जाम हो गया था। इस भीड़ में ज्यादातर संख्या लिखित परीक्षा में सफल होने वाले उन प्रार्थियों की थी जो साक्षात्कार के लिये बुलाये गये थे। इसके अलावा भीड़ का एक बड़ा हिस्सा उन उत्सुक लोगों का भी था जो केवल यह जानने के लिये खड़े थे कि यह भीड़ आखिर क्यों लगी है। कुछ लोग सेल्फी लेक
Posted on 16 Sep, 2018 06:12 PMस्वच्छता सेवा (फोटो साभार - दैनिक जागरण)बधाई हो। चार साल पहले दो अक्टूबर, 2014 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में जिस स्वच्छता और साफ-सफाई की मुहिम चलाई थी, वह आज एक बड़े आन्दोलन में तब्दील हो चुकी है। जिसका सकारात्मक रूप दिखने भी लगा है।
Posted on 16 Sep, 2018 05:38 PM विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ के ज्वाइंट मॉनिटरिंग प्रोग्राम ‘प्रोग्रेस अॉन ड्रिंकिंग वॉटर, सैनिटेशन एंड हाइजीन 2017’ के मुताबिक दुनिया भर में तकरीबन 2.3 अरब लोगों को साफ-सफाई की मूलभूत सुविधाएँ मुहैया नहीं हो पातीं।
Posted on 16 Sep, 2018 03:47 PMईज्जत घर (फोटो साभार - डाउन टू अर्थ)वह क्या चीज है जिससे लोगों का व्यवहार बदलता है? क्या वह सामाजिक दबाव है? या फिर जुर्माने का डर? या फिर यह सब कुछ और इससे भी ज्यादा?
Posted on 09 Sep, 2018 06:20 PMहिमालयी जैवविविधता (फोटो साभार - विकिपीडिया)हिमालय, भारत के सबसे अधिक पवित्र और पूज्यनीय पर्वत के रूप में सदियों से प्रतिष्ठित है। वह पर्वतराज है। हिन्दु धर्मावलम्बियों द्वारा उसे भगवान शंकर का निवास और साधु-सन्तों तथा ऋषि-मुनियों के साधना केन्द्र के रूप में विख्यात है। गंगोत्री, यमुनोत्री, हरिद्वार, ऋष
Posted on 09 Sep, 2018 03:57 PM हिमालय को समझने की भूल शुरुआती दौर से ही हो चुकी है। इसे पहाड़, पानी, वनों का ही हिस्सा समझते हुए व्यवहार किया गया, जबकि हिमालय वेद पुराण के अनुसार तब भी आध्यात्मिक महत्त्व ज्यादा रखता था और आज भी उसी तरह से रखता है। हिमालय को हमेशा एक पूजनीय स्थल समझा गया और यही कारण है कि सभी तरह के देवी-देवताओं का यह वास बना। कोई भी धर्म हो, हिमालय उसका केन्द्र बना। इसका प्रमाण इन धर्मों के तीर्थस्थलों क
Posted on 09 Sep, 2018 03:28 PM हमारे पौराणिक ग्रंथों में वर्णित महज एक घटना से पर्वतराज हिमालय की देश-दुनिया के लिये महत्ता का अन्दाजा लगाया जा सकता है। त्रेतायुग में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के भाई लक्ष्मण और असुर राज रावण के बेटे मेघनाद के बीच हुए युद्ध में लक्ष्मण वीरघातिनी शक्ति से मूर्छित हो गए। तब लंका के सुषैण वैद्य ने बताया कि इनकी मूर्छा दुनिया में सिर्फ एक ही बूटी से ठीक हो सकती है, जो यहाँ से उत्तर दिशा में