भारत

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सिंचाई योजना विकास
Posted on 16 Sep, 2008 09:04 AM स्वतंत्रता के बाद योजना अवधि के दौरान जल संसाधन विकास के प्रारम्भिक चरण में जल संसाधनों को तेजी से काम में लगाना मुख्य प्रयोजन था। तदनुसार राज्य सरकारों को सिंचाई, बाढ़ नियंत्रण, जल विद्युत उत्पादन, पेयजल आपूर्ति, औद्योगिक तथा विभिन्न विविध प्रयोगों जैसे विशिष्टि प्रयोजनों के लिए जल संसाधन परियोजनाएं तैयार और विकसित करने को प्रोत्साहित किया गया। इसका फल यह हुआ कि क्रमिक पंचवर्षीय योजनाओं के साथ सा
स्वतंत्रता के समय सिंचाई विकास
Posted on 16 Sep, 2008 08:59 AM स्वतंत्रता के समय भारतीय उपमहाद्वीप में, जिसमें अंग्रेजों के प्रान्त और रजवाड़े शामिल थे, निवल सिंचित क्षेत्र लगミग 28.2 मिलियन हैक्टेयर था। लेकिन देश के विभाजन के कारण स्थिति में अचानक और जबरदस्त बदलाव आ गया जिसके फलस्वरूप सिंचित क्षेत्र दो देशों के बीच बंट गया; भारत और पाकिस्तान में निवल सिंचित क्षेत्र क्रमशः 19.4 मिलियन हैक्टेयर तथा 8.8 मिलियन हैक्टेयर रह गया। सतलज और सिंधु प्रणालियों सहित वृहद
उपसतही या भूमिगत (Sub surface) बहाव संचय
Posted on 16 Sep, 2008 08:54 AM 1. उपसतही बाँध/ अवरोध

बरसाती नदी नालों में सतह के नीचे एक पानी की धारा बहती रहती है। उपसतही बांधों की सहायता से उस धारा को रोककर सिमेन्ट की पाइपों द्वारा उपसतही जल को खेतों तक पहुचांया जाता है। इस प्रकार के बांध को उपसतही बांध कहते है। पर्वतीय क्षेत्रों में बहने बाली बरसाती नदियों पर इस प्रकार के बांधों का बड़ा उपयोग है।

2. उपसतही बंधारें
अंग्रेजों के समय में सिंचाई विकास
Posted on 16 Sep, 2008 08:54 AM अंग्रेजी शासन के दौरान सिंचाई विकास की शुरूआत मौजूदा कार्यों जिनका उल्लेख ऊपर किया गया है के नवीकरण, सुधार और विस्तार के साथ हुई। पर्याप्त अनुभव और विश्र्वास अर्जित कर लेने के बाद सरकार ने नए वृहद कार्य हाथ में लिए जैसे कि ऊपरी गंगा नहर, ऊपरी बड़ी दोआब नहर तथा कृष्णा और गोदावरी डेल्टा प्रणालियां जो सभी काफी बड़े आकार के नदी-अपवर्तन कार्य थे। 1836 से 1866 तक की अवधि इन चार वृहद कार्यों की जांच, विक
मध्यकालीन भारत में सिंचाई
Posted on 16 Sep, 2008 08:48 AM मध्यकालीन भारत में आप्लावन नहरों के निर्माण में तेज प्रगति की गई। नदियों पर बांधों का निर्माण करके पानी को अवरुद्ध किया गया। ऐसा करने से पानी का स्तर ऊंचा उठ गया और खेतों तक पानी ले जाने के लिए नहरों का निर्माण किया गया। इन बांधों का निर्माण राज्य और निजी स्रोतों--दोनों द्वारा किया गया। गियासुद्दीन तुगलक (1220-1250) को ऐसा पहला शासक होने का गौरव प्राप्त है जिसने नहरें खोदने को प्रोत्साहन दिया। तथा
रिसाव तालाब (Percolation Tank)
Posted on 16 Sep, 2008 08:47 AM

रिसाव: रिसाव तालाबों का निर्माण वर्षाजल को तीब्रगति से भूगर्भ में भेजने के उद्देश्यों से किया जाता है। रिसाव तालाबों का निर्माण ऐसे स्थान पर किया जाता है जहां कि मिट्टी रेतली हो तथा उसमें वर्षाजल का रिसाव तेज हो। ऐसे तालाबें की गहराई कम तथा फैलाव ज्यादा रखा जाता है जिससे वर्षाजल रिसाव के लिये ज्यादा से ज्यादा क्षेत्र मिल सके। रिसाव तालाब सामान्यता अपवाह क्षेत्र (Catchment) से प्राप्त अपवाह (Run

एक रिसाव तालाब
सिंचाई विकास का इतिहास
Posted on 16 Sep, 2008 08:42 AM

भारत में सिंचाई विकास का इतिहास प्रागैतिहासिक समय से शुरू होता है। वेदों और प्राचीन भारतीय धर्मग्रंथों में कुओं, नहरों, तालाबों और बांधों का उल्लेख मिलता है जो कि समुदाय के लिए उपयोगी होते थे और उनका कुशल संचालन तथा अनुरक्षण राज्य की जिम्मेदारी होती थी। सम्यताओं का विकास नदियों के किनारे हुआ था और जीवित रहने के लिए उन्होंने पानी का लाभ उठाया। प्राचीन भारतीय लेखकों के अनुसार कोई कुआं या तालाब खो

Irrigation
जल विपथक (Water Diversion)
Posted on 16 Sep, 2008 08:38 AM जल विपथकों का निर्माण वर्षा अपवाह को सुरक्षित गंतव्य जैसे कि संग्रहक तालाबों-बंधों इत्यादि तक पहुंचाना है। एक आदर्श जल विपथक मृदा एंव जल संरक्षण के साथ साथ अधिकाधिक वर्षाजल संग्रहण में सहायक होना चाहिए । गैवियन संरचनाओं का सफलतापूर्वक नदी नालों के तीव्र गति के अपवाह को मोड़कर किनारों को कटाव से सुरक्षा प्रदान की जा सकती है।
जल विपथक
सिंचाई की संस्थानगत व्यवस्थाएं
Posted on 16 Sep, 2008 08:34 AM केन्द्रीय सरकार पर एक राष्ट्रीय संसाधन के रूप में जल के विकास, संरक्षण और प्रबन्ध के लिए अर्थात जल संसाधन विकास और सिंचाई, बहुद्देश्यीय परियोजनाओं, भूजल अन्वेषण तथा दोहन, कमान क्षेत्र विकास, जल निकास, बाढ़ नियंत्रण, जलग्रस्तता, समुद्र कटाव समस्याओं, बांध सुरक्षा तथा नौसंचालन और जल विद्युत के लिए जल वैज्ञानिक संरचनाओं के सम्बन्ध में राज्यों को तकनीकी सहायता प्रदान करने के निमित्त सामान्य नीति के लि
जल संचय बांध / ठहराव बांध
Posted on 16 Sep, 2008 08:27 AM अन्य बंधों की तरह इन बंधों का भी प्रमुख कार्य वर्षाजल अपवाह वेग को रोकना, भूक्षरण का निंयत्रण एंव भूजल स्तर को बढ़ाना होता है। इन बंधों के उपर अपवाह जल का संचय करके विभिन्न कार्यो के लिये प्रयोग किया जाता है।
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