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जल- वैदिक विज्ञान एवं समाधान
Posted on 28 Jun, 2009 05:38 PM
शुद्ध जल एक वैश्विक समस्या
बोतल में बंद होता पानी
Posted on 26 Jun, 2009 07:29 PM

बोतलबंद पानी में पानी तो आदमी पी जाता है लेकिन बोतल पर्यावरण के सिर आ पड़ती है। पैसिफिक इंस्टीटयूट का कहना है कि अमरीकी जितना मिनरल वाटर पीता है उसका बाटल बनाने के लिए 20 मिलियन बैरल पेट्रो उत्पादों को खर्च किया जाता है। एक टन बाटल तीन टन कार्बन डाईआक्साईड का उत्सर्जन करता है।पहले कुछ डराने वाले आंकड़े फिर चौंकाने वाले तथ्य भी। फिर यह भी कि लाभ की मानसिकता के आगे इंसानियत कैसे घुटने टेक

हिमालय की पुकार
Posted on 25 Jun, 2009 12:12 PM
वैश्विक तापमान वृद्धि का हिमालय पर पड़ने वाला प्रभाव स्पष्ट दिखाई देने लगा है। अब मध्य हिमालय की पहाड़ियों पर हिमपात नहीं होता। टिहरी के सामने प्रताप नगर की पहाड़ियों और उससे जुड़ी हुई खैर पर्वतमाला पर अब बर्फ नहीं दिखाई देती। यही नहीं, भागीरथी के उद्गम गोमुख ग्लेशियर में बर्फ पीछे हट रही है। हिमालय के पारिस्थितिकी तंत्र विशेषज्ञों ने भविष्यवाणी की है कि वर्ष 2030 में गोमुख ग्लेशियर पूर्णतया
पानी नहीं पिला सकते तो सरकार भी नहीं चला सकते
Posted on 23 Jun, 2009 07:09 PM
28अप्रैल को माननीय उच्चतम न्यायालय ने एक आदेश दिया है जिसके तहत न्यायालय ने भारत सरकार को लताड़ लगाते हुए कहा है कि सबको पानी नहीं पिला सकते तो फिर सरकार भी नहीं चला सकते. माननीय न्यायलय ने भारत सरकार से कहा है कि जल्द से जल्द बरसाती पानी को रोकने के लिए देशज और स्थानीय ज्ञान को प्रमुखता देते हुए योजना तैयार करे.
जल और स्वच्छता का अधिकार
Posted on 16 Jun, 2009 12:21 PM

इंदिरा खुराना और रिचर्ड महापात्र उन 19.5 करोड़ ग्रामीणों की दुर्दशा की कल्पना करें जिन्हें पीने के लिए पानी तक नसीब नहीं होता और अगर आप इसमें उन लोगों की संख्या जोड दें हैं जिन्हें थोड़ा-बहुत पेयजल मिलता तो है लेकिन पेयजल के स्रोत दूषित हैं तो यह आंकड़ा काफी बडा हो जाएगा. एक ओर 77 करोड भारतीय या तो जल की मात्रा या गुणवत्ता की समस्या झेल रहे हैं तो वहीं स्वच्छता की कहानी भी कुछ भिन्न नहीं है.

हिन्दी में प्रश्न पूछें सेवा शुरू
Posted on 16 Jun, 2009 08:16 AM प्रश्न पूछियेपानी संबंधी प्रश्न पूछने के लिए कृपया ऊपर दिए गए बटन पर क्लिकिए
वैश्विक गर्मी और जलवायु शरणार्थी
Posted on 03 Jun, 2009 02:21 PM
पश्चिम बंगाल के सुंदरबन में स्थित सागर द्वीप का निवासी बिप्लब मोंडल पिछले 25 वर्षों से एक शरणार्थी की तरह दिल्ली की गोविन्दपुरी नामक गंदी बस्ती में रह रहा है। पिछली बातों को याद करते हुए वह कहता है कि ‘मैं जब भी समुद्र को देखता था तो मुझे लगता था कि जैसे वह मेरे गांव में घुस आएगा।’ वह 1992 में दिल्ली में बस गया और दिहाड़ी पर काम करने लगा। साथ ही दिल्ली में बसने के लिए उसने मकान खरीदने के लिए
क्लाईमेट चेंज के नाम पर कार्बन का व्यापार
Posted on 14 May, 2009 10:08 AM हिमाचल सरकार ने पिछले दिनों क्लाईमेट चेंज पर नीति का मसौदा तैयार किया। विश्व भर में पिछले 5 वर्षों में शायद ही कोई और मुद्दा इतनी चर्चा और चिंतन का विषय रहा होगा जितना कि क्लाईमेट चेंज या जलवायु परिवर्तन। और क्यों न हो जब यह विस्तृत रूप से साबित हो चुका है कि पृथ्वी के बढ़ते तापमान से आने वाले समय में बदलते और अपूर्वानुमेय मौसम, बाढ़, साईक्लोन अन्य आपदाएं और स्वास्थ्य समस्याएं और गंभीर हो जाएंगी।

पृथ्वी के बढ़ते तापमान का मुख्य कारण है जीवाश्म इंधनों का बड़े पैमाने पर उपयोग जिससे कार्बन डाइऑक्साइड की वायु में मात्रा हद से ज्यादा बढ़ जाती है। यह बात भी स्पष्ट हो चुकी है कि विश्व के अधिकांश देश एक ऐसी विकास प्रणाली अपना चुके हैं जो प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक दोहन पर आधारित है।
<i>जलवायु परिवर्तन</i>
कहां है हमारी ग्रीन पार्टी
Posted on 26 Apr, 2009 01:07 PM
सुनीता नारायण
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