पानी-पर्यावरण के मुद्दों पर इन-डेप्थ रिपोर्टिंग के लिये अनुदान यानी ‘रिपोर्टिंग ग्रांट’ क्यों?
120 करोड़ से भी ज्यादा आबादी के विशाल देश में पीने का पानी दुर्लभ वस्तु बनता चला जा रहा है। एक आँकड़े के मुताबिक देश की बीस फीसदी आबादी को पीने का साफ पानी मयस्सर नहीं है। पीने के पानी का संकट गाँव और शहर दोनों में फैल चुका है। कहीं पेयजल में फ्लोराइड है, तो कहीं आर्सेनिक, आयरन, लेड (सीसा) और कहीं-कहीं तो पीने के पानी में यूरेनियम तक भी है। इन रासायनिक तत्वों की वजह से देश की बड़ी आबादी पेट के संक्रमण से लेकर कैंसर जैसी गम्भीर बीमारियों के चपेट में है।
देश में कहीं भी पेयजल और भूजल की गुणवत्ता, अब ठीक नहीं रह गई है। एक से अधिक घुलनशील रसायनों (फ्लोराइड, लौहतत्व, आर्सेनिक, यूरेनियम या नाइट्रेट) के साथ ही टीडीएस की अधिकता के कारण पेयजल की भयानक समस्या सामने है।