कार्बन/कार्बन सम्मिश्र पंखुड़ी (Carbon/carbon composite vane)


सारांश:


गैस मोटर को प्रमोचन यान के नियंत्रण तंत्र एवं अंतरिक्ष यान के लिये पावर उत्पादन आदि में प्रयोग किया जाता है। प्रमोचन यान के नियंत्रण के लिये मुख्य रूप से दो प्रकार के तंत्रों का प्रयोग होता है। इनमें एक है सक्रिय और दूसरा है निष्क्रिय। निष्क्रिय की तुलना में सक्रिय तंत्र का ज्यादा प्रयोग किया जाता है। सक्रिय तंत्र में हॉट गैस मोटर का प्रयोग होता है। अन्तरिक्ष यान के लिये पावर उत्पादन के लिये तीन विकल्प हैं। पहला बैटरी, दूसरा है ईंधन सेल और तीसरा है जनरेटर। पहले दो की तुलना में जनरेटर ज्यादा अच्छा विकल्प है क्योंकि इसको चलाने के लिये प्रमोचन यान में प्रचुर मात्रा में गैस उपलब्ध होती है। इसमें भी पंखुड़ी आधारित गैस मोटर का प्रयोग ज्यादा सुगम है। पंखुड़ी गैस मोटर का मुख्य अंग होता है। इसके निर्माण के लिये सतत कार्बन तंतु प्रबलित कार्बन मैट्रिक्स सम्मिश्र का गहन अध्ययन और प्रयोग हुआ है। लेकिन डिस्क्रीट कार्बन तंतु प्रबलित कार्बन मैट्रिक्स सम्मिश्र जिनकी कीमत सतत कार्बन तन्तु प्रबलित कार्बन मैट्रिक्स सम्मिश्र से काफी कम होती है पर कम ध्यान दिया गया है। पिछले कुछ वर्षों में, डिस्क्रीट तंतु प्रबलित सम्मिश्रों की मांग कई क्षेत्रों में बढ़ी है। इसके मुख्य कारण हैं, इनको बनाने की सुगमता कॉम्पलेक्स आकार में ढालने की आजादी, आदि। एक ऐसा ही डिस्क्रीट कार्बन तंतु प्रबलित कार्बन मैट्रिक्स सम्मिश्र हमने विकसित किया। इस शोध पत्र में, हमारे द्वारा विकसित किये गए पेटेंटेड प्रक्रम से बने रैडंमली ओरिएंटेड कार्बन/कार्बन सम्मिश्र को प्रमोचन यान के उप-तंत्रों में प्रयोग होने वाली गैस मोटर के मुख्य अंग पंखुड़ी को बनाने के लिये प्रयोग किया गया है। परम्परागत पंखुड़ी की तुलना में डिस्क्रीट कार्बन तंतु प्रबलित कार्बन मैट्रिक्स सम्मिश्र पंखुड़ी ज्यादा प्रभावी पाई गई।

Abstract


Gas motor is used in the control system of a launch vehicle and power generation system of a space vehicle. Mainly two types of systems are used to control system of a launch vehicle. One is active and the other one is a passive system. Active system is preferred over the passive system. Hot gas motor is used in active control system. Three options are available for the power generation in space vehicle. First is battery, second is fuel cell and third is generator. On companing with first two options generator was found to be a better choice due to availability of plenty of hot gas in the launch vehicle. Among this vane based hot gas motor is more convenient. Vane is chief constituent of a hot gas motor. For the fabrication of vane continuous carbon fiber reinforced carbon matrix composites are not much explored. In the last few year the demand of discrete fibre reinforced composites has increased in many fields. extensively studied and used. However, discrete length carbon fiber reinforced composites The main reason behind this is ease in their fabrication and their flexibility to fabricate complex shapes. We have developed one such discrete carbon fiber reinforced carbon matrix composite. In this research paper, the randomly oriented carbon/carbon composite fabricated through patented process is explored to fabricate the vane of a hot gas motor used in the sub-system of a launch vehicle. The discrete carbon fiber reinforced carbon matrix composite vane was found excellent and effective as compared to conventional ones.

प्रस्तावना


मानव अपने विकास के लिये विभिन्न क्षेत्रों में अन्वेषण करता रहा है। भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में अन्वेषण से भिन्न-भिन्न उत्पादों का निर्माण और खोज होती हैं। इनमें कुछ क्षेत्र मानव की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये अन्वेषित किये जाते हैं तो कुछ क्षेत्रों का अन्वेषण किन्हीं विशिष्ट जरूरतों जैसे की सुरक्षा, आपदा प्रबंधन आदि के लिये किया जाता है और कुछ का दोनों के लिये। अंतरिक्ष एक ऐसा क्षेत्र है जिसका प्रयोग मानव की जरूरतों के साथ-साथ सुरक्षा, आपदा प्रबंधन आदि के लिये किया जाता है।

गत वर्षो में, अंतरिक्ष आधारित कृत्रिम उपग्रहों का प्रयोग विभिन्न क्षेत्रों में बहुत बढ़ा है। इन उपग्रहों ने मानव के विकास में निर्णायक भूमिका निभाई है। कृत्रिम उपग्रह मानव निर्मित उपग्रह होते हैं। ये कई प्रकार के होते हैं जैसे दूरसंचार आदि। हर एक उपग्रह का अपना एक विशिष्ट कार्य होता है। इन उपग्रहों से इनके विशिष्ट कार्य के निष्पादन के लिये इनको इनकी नियत कक्षा में रखा जाता है। इसके लिये रॉकेट का प्रयोग किया जाता है। रॉकेट को तकनीकी भाषा में प्रमोचन यान कहा जाता है। मानव की जरूरतों में बढ़ी मांग की वजह से कृत्रिम उपग्रहों की मांग बढ़ी है। इन उपग्रहों को प्रमोचित करने के लिये प्रमोचन यानों की मांग में भी इजाफा हुआ है। कृत्रिम उपग्रह आधारित सेवाओं की बढ़ी मांग और इन सेवाओं को ज्यादा से ज्यादा लोगों को प्रदान करने के लिये हमें ज्यादा से ज्यादा उपग्रहों की जरूरत पड़ेगी। लेकिन वर्तमान में, इन सेवाओं को उपलब्ध कराने की कीमत काफी ज्यादा है। यह कीमत बढ़ी मांग को कम करने में एक बाधा है। इसके लिये हमें उपग्रह और प्रमोचन यान की कीमतों में कटौती करनी पड़ेगी। यह कटौती उन्नत तकनीक और पदार्थों के विकास से ही सम्भव है। प्रमोचन यान और उपग्रह के कई उप-तंत्र होते हैं। इन सभी के कई अंग होते हैं। इन अंगों की तकनीक और पदार्थ को उन्नत और सस्ता करके तंत्र की कुल कीमत को कम किया जा सकता है। नियंत्रण तंत्र और पावर उत्पादन तन्त्र भी प्रमोचन यान के उपतंत्र हैं। इनका भी एक उप-तंत्र होता है। यह है गैस मोटर। इसके बारे में चर्चा आने वाले खंड में की गई है।

गैस मोटर: गैस मोटर गर्म गैस द्वारा चलाई जाती है। इससे उत्पन्न पावर का उपयोग विभिन्न उप-तंत्रों को चलाने के लिये किया जाता है। गैस मोटर को मुख्यतः प्रमोचन यान के नियंत्रण तंत्र अंतरिक्ष यान के लिये पावर उत्पादन आदि के लिये प्रयोग किया जाता है। प्रमोचन यान के नियंत्रण के लिये मुख्य रूप से दो प्रकार के तंत्रों का प्रयोग किया जाता है। इनमें एक है सक्रिय और दूसरा है निष्क्रिय। निष्क्रिय की तुलना में सक्रिय तंत्र का प्रयोग ज्यादा किया जाता है। सक्रिय तंत्र में हॉट गैस मोटर का प्रयोग होता है। अंतरिक्ष यान के लिये पावर उत्पादन के लिये तीन विकल्प हैं। पहला है बैटरी, दूसरा है ईंधन सेल और तीसरा है जनरेटर पहले दो की तुलना में जनरेटर ज्यादा अच्छा विकल्प है क्योंकि इसको चलाने के लिये प्रमोचन यान में प्रचुर मात्रा में गैस मिल जाती है। इसमें भी पंखुड़ी आधारित गैस मोटर का प्रयोग ज्यादा किया जाता है। पंखुड़ी गैस मोटर का मुख्य अंग होता है।

पंखुड़ी के लिये प्रयोग होने वाले पदार्थ


पंखुड़ी सामान्यत: 120 mm लम्बी, 20 mm चौड़ी और 3 mm मोटी होती है। एक गैस मोटर में सामान्यतः 6 पंखुड़ियाँ होती है। लेकिन इनकी संख्या और आकार गैस मोटर की पावर उत्पन्न करने की क्षमता पर निर्भर करते हैं। ये पंखुड़ियाँ मुख्य रूप से गैस मोटर में रब करती हैं। इनके इस विशिष्ट कार्य से ही गैस मोटर पावर उत्पन्न करती है। इसलिये इनको बनाने के लिये प्रयोग किये जाने वाले पदार्थ के कुछ गुणधर्मों को एक न्यूनतम मापदण्डों को पूरा करना चाहिए। इनमें मुख्य हैं घनत्व जो कि कम होना चाहिए और क्षय प्रतिरोध जो अधिक से अधिक होना चाहिए। धातु आदि को इसके लिये प्रयोग नहीं किया जा सकता क्योंकि धातु का घनत्व ज्यादा होता है और क्षय प्रतिरोध कम। इसके लिये सामान्यतः कार्बन/कार्बन सम्मिश्र का प्रयोग किया जाता है। वैसे टाइटेनियम एल्युमिनाइड को भी एक विकल्प के रूप में विकसित किया जा रहा है। लेकिन अभी इसका प्रयोग व्यावसायिक स्तर पर नहीं किया गया है।

इसको बनाने के लिये प्रयोग होने वाले पदार्थों में, कार्बन/कार्बन सम्मिश्र का ही प्रभुत्व है। कार्बन/कार्बन सम्मिश्र भी कई प्रकार के होते हैं। इनमें सतत कार्बन तंतु, डिस्क्रीट कार्बन तंतु और पार्टिकुलेट प्रबलित कार्बन मैट्रिक्स सम्मिश्र मुख्य हैं। कार्बन/कार्बन सम्मिश्र की उत्पत्ति से लेकर अब तक इनके उत्पादन और विकास के क्षेत्र में बहुत काम किया गया है लेकिन अधिकांश कार्य सतत कार्बन तंतु प्रबलित कार्बन/कार्बन सम्मिश्र के अध्ययन के लिये किया गया है। सतत कार्बन तंतु प्रबलित कार्बन मैट्रिक्स सम्मिश्र को बनाने के लिये कैमिकल वेपर इन्फिल्टरेशन, हॉट-आइसोस्टेटिक प्रेशर इम्प्रेग्नेशन कार्बनाइजेशन, हॉट-प्रेसिंग आदि तकनीकों का प्रयोग किया जाता है। सतत कार्बन तंतु प्रबलित कार्बन मैट्रिक्स सम्मिश्र के गुणधर्म बहुत ही उत्कृष्ट होते हैं लेकिन इनका उत्पादन या तो बहुत खर्चीला है या फिर बहुत धीमा। इसके कारण उत्पाद की कीमत बढ़ जाती है। जो अंतिम सेवा की कीमत पर प्रभाव डालता है। डिस्क्रीट तंतु प्रबलित सम्मिश्र की कीमत कम होती है। पिछले कुछ वर्षों में इनका प्रयोग भी कई क्षेत्रों में बढ़ा है। इसके अतिरिक्त इनको आसानी से बनाया जा सकता है। एक ऐसा ही कार्बन/कार्बन सम्मिश्र हमने विकसित किया। इस शोध पत्र में, हमारे द्वारा विकसित किये गये पेटेंटेड प्रक्रम से बने रैंडम्ली ओरिएंटेड कार्बन/कार्बन सम्मिश्र को प्रमोचन यान के उप-तंत्रों में प्रयोग होने वाली गैस मोटर के मुख्य अंग पंखुड़ी को बनाने के लिये प्रयोग किया गया है। ये पंखुडियाँ अन्य प्रक्रम से बने कार्बन/कार्बन सम्मिश्र की तुलना में कम समय में और अल्प लागत से बनाई गई हैं। इसके अतिरिक्त इस प्रक्रम से बने कार्बन/कार्बन सम्मिश्र की पंखुड़ियों के गुणधर्म भी आवश्यकतानुसार पाए गए हैं।

Sarni-1-3

सामग्री एवं विधि
कार्बन/कार्बन सम्मिश्र


कच्चे पदार्थ: पिच और पीएएन आधारित कार्बन तंतु प्रबलक के रूप में और पेट्रोलियम पिच आधारित मिशोफेज पिच प्राइमरी मैट्रिक्स उत्पन्न करने के लिये और फिनोलिक रेसिन सेकंडरी मैट्रिक्स प्राप्त करने के लिये कच्चे पदार्थ के रूप में प्रयोग किये गए। इनके गुणधर्म सारणी 1, 2 और 3 में दिए गए हैं। स्लरी बनाने के लिये डिस्टिल्ड पानी का इस्तेमाल किया गया।

प्रीफॉर्म बनाना: प्रबलक को स्वदेशी मिलिंग उपकरण द्वारा छोटे-छोटे टुकड़ों में काटा गया (चित्र 1)। इन छोटे-छोटे कार्बन तंतु के टुकड़ों और चूर्ण मिशोफेज पिच को डिस्टिल्ड पानी के साथ मिक्स किया गया ताकि एक समान स्लरी मिल सके। एक समान स्लरी को आयाताकार डाई में निर्वातीय मोल्ड किया (चित्र 2)। प्राप्त केक को एयर ओवन में सुखाकर प्रीफॉर्म बनाया गया।

हॉट-प्रेसिंग: प्राप्त प्रीफॉर्म की हॉट-प्रेसिंग के लिये 30 टन दाब वाली हॉट-प्रेस का प्रयोग किया गया। हॉट-प्रेसिंग 7000C के तापमान और 15 MPa के प्रेशर पर 0.20C/min की हीटिंग दर पर निष्क्रिय माध्यम में की गई। इस चरण में मिशाफेज पिच का अर्ध कार्बनाइजेशन हुआ। इसके कारण मिशोफेज पिच से प्राप्त प्राइमरी मैट्रिक्स भी आंशिक रूप से बनी।

Fig-1Fig-2,3कार्बनाइजेशन: हार्ट-प्रैस्ड कॉम्पैक्ट की पूर्ण कार्बनाइजेशन 10000C तापमान और 0.1 MPa प्रेशर पर 10C/min की हीटिंग दर पर निष्क्रिय माध्यम में की गई। 10000C तापमान पर कॉम्पैक्ट को 60 मिनट रखा गया। इस चरण में बची हुयी मिशोफेज पिच का पूर्ण कार्बनाइजेशन हो गया और पूरी तरह से मिशोफेज पिच प्राइमरी कार्बन मैट्रिक्स में बदल गई।

डेंसीफिकेशन: कार्बनाइज्ड कॉम्पैक्ट के घनत्व को बढ़ाने के लिये कॉम्पैक्ट को 0.7 MPa प्रेशर पर फिनोलिक रेसिन में 5 घंटे के लिये डुबोया गया ताकि रेसिन कॉम्पैक्ट के छिद्रों में घुस सके। रेसिन इम्प्रीगनेशन के बाद कॉम्पैक्ट का एयर ओवन में तापदृढ़न (thermo setting) किया गया। इसके बाद कॉम्पैक्ट की कार्बनाइजेशन 10000C के तापमान और 0.1 MPa प्रेशर पर 10C/min की हीटिंग दर पर निष्क्रिय माध्यम में की गई। इस चरण में रेसिन के कार्बनाइजेशन द्वारा सेकंडरी कार्बन मैट्रिक्स का निर्माण हुआ। कॉम्पैक्ट के घनत्व को आवश्यकतानुसार बढ़ाने के लिये मल्टीप्ल रेसिन इम्प्रीगनेशन-तापदृढ़न-कार्बनाइजेशन के चरणों का प्रयोग किया गया।

अभिलक्षणन


सभी चरणों के बाद कॉम्पैक्ट का अभिलक्षणन किया गया। अनेक प्रकार के गुणधर्मों को ज्ञात किया गया (चित्र 3) घनत्व को भार आयतन विधि से निकाला गया। माइक्रोग्रास के लिये स्कैनिंग इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप (Carl Zeiss SMT EVO 50) का प्रयोग किया गया। यांत्रिक गुणधर्मों के लिये यूनीवर्सल टेस्टिंग मशीन का प्रयोग किया गया। संपीडन सामर्थ्य, मापांक और पॉइजन अनुपात (Poision’s ratio) को ASTM C 695&91 के अनुसार मापा गया। आनमन (flexural) सामर्थ्य के लिये ASTM C 1161-02C का प्रयोग किया गया। तनन सामर्थ्य को ASTM D 3039/D 3039/M-00 के अनुसार ज्ञात किया गया। कठोरता के लिये बारकोल कठोरता मापक (barcol harness tester) का इस्तेमाल किया गया। तापीय चालकता (thermal conductivity) और विसरणता (t) को ASTM E 1461-01 के अनुसार ज्ञात किया गया। वैद्युतचालकता के मापन के लिये ASTM C 611-98 को आधार बनाया गया।

Fig-4

पंखुड़ियाँ बनाना


स्लाइसिंग: चित्र 3 में दर्शाए गए कॉम्पैक्ट को बनाने के बाद इसको पंखुड़ी की विमा (dimensions) के अनुसार स्लाइस किया गया। इसके लिये वायर इलेक्ट्रॉन डिस्चार्ज मशीन का प्रयोग किया गया (चित्र 4)। यह मशीन पदार्थ की कम बर्बादी के साथ मशीनिंग करती है लेकिन इसके लिये पदार्थ की वैद्युतचालकता अच्छी होनी चाहिए और कार्बन/कार्बन सम्मिश्र जो इस शोध पत्र में बनाया गया है की वैद्युतचालकता अति उत्कृष्ट है। इस प्रकार इस तकनीक के प्रयोग से भी पदार्थ की बर्बादी को रोककर कीमत को कम करने में काफी मदद मिली।

मशीनिंग: इलेक्ट्रॉन डिस्चार्ज मशीनिंग से स्लाइस किये गए उत्पाद की परिसज्जा काफी अच्छी पाई गई। लेकिन फिर भी सतह को चिकना और घर्षण रहित करने के लिये मशीन किया गया। इस कार्य के लिये परम्परागत ग्राइंडिंग मशीन का प्रयोग किया गया (चित्र 5)। इस चरण के बाद, कार्बन/कार्बन सम्मिश्र से बनी पंखुड़ी तैयार हो गई (चित्र 6)।

परिणाम एवं विवेचना


सभी चरणों के बाद कॉम्पैक्ट का अभिलक्षणन खंड 2.2 में दिए गए स्टैंडर्ड्स और तरीकों के आधार पर किया गया। पेटेंटेड प्रक्रम से बनाये गए रैंडम्ली ओरिएंटेड कार्बन/कार्बन सम्मिश्र से बनी पंखुड़ी के प्राप्त गुणधर्मों। को सारणी 4 में संगृहीत किया गया है। सारणी 4 में दिए गए अधिकांश गुणधर्म, परम्परागत प्रक्रम जैसे कि केमिकल वेपर इन्फिल्टरेशन से बनाये गए कार्बन/कार्बन सम्मिश्र से बनी पंखुड़ी से या तो अधिक हैं या उसके समान है (सारणी 5)। कई गुणधर्म जैसे घनत्व, कठोरता आदि तो परम्परागत प्रक्रम से बने कार्बन/कार्बन सम्मिश्र से काफी ज्यादा है। इस सम्मिश्र की घनत्वता का ज्यादा होने का कारण है प्राइमरी कार्बन मैट्रिक्स को मीसोफेज पिच से प्राप्त करना। यह मीसोफेज पिच मैट्रिक्स प्रीकर्सर (precursor) ज्यादा मात्रा में कार्बन उत्पन्न करता है। इसी प्रीकर्सर की इस विशिष्टता के कारण हॉट-प्रेसिंग चरण में ही उच्च घनत्व मिल गया जो डेंसिफिकेशन के दौरान और बढ़ गया। कठोरता का ज्यादा होना सेकंडरी मैट्रिक्स का फिनोलिक रेसिन से प्राप्त करना है।

Fig-5Fig-6Sarni-4Sarni-5यह कार्बन मैट्रिक्स, प्राइमरी कार्बन मैट्रिक्स जो कि मिशोफेज पिच से प्राप्त हुई है की तुलना में ज्यादा कठोर होती है। इसका करण यह है कि मिशोफेज पिच से प्राप्त मैट्रिक्स का स्वभाव ग्रेफिटिक होता है और रेसिन से प्राप्त मैट्रिक्स का स्वभाव ग्लासी (हसेंल) और हम जानते हैं कि ग्लासी पदार्थ की कठोरता ग्रेफिटिक पदार्थ की तुलना में ज्यादा होती है। यही कारण है कि हमारे द्वारा विकसित किये गए कार्बन/कार्बन सम्मिश्र की कुल कठोरता बढ़ गई। कुछ गुणधर्म जैसे की आनमन सामर्थ्य आदि परम्परागत प्रक्रम से बने कार्बन/कार्बन सम्मिश्र से बनी पंखुड़ी से थोड़े से क्रम है। इसका कारण कार्बन तंतु का डिस्क्रीट होना और आस्पेक्ट अनुपात का कम होना है आस्पेक्ट अनुपात को बढाकर इस विशेष गुणधर्म को बढाया जा सकता है। इसकी गुजांइश इस प्रक्रम में है और इसके लिये ज्यादा आस्पेक्ट अनुपात वाले और कुछ सतत कार्बन तंतुओं को x-y प्लेन में इस्तेमाल करके बढ़ाया जा सकता है।

चित्र 7 में पेटेंडेड प्रक्रम से बने कार्बन/कार्बन सम्मिश्र के मशीनिंग और फ्रैक्चर सतह के माइक्रो-ग्रास दिए गए है। चित्र 7 (a) से देखा जा सकता है कि सम्मिश्र के अंदर कार्बन तंतु रैंडम्ली वितरित हैं। इसके अतिरिक्त सभी कार्बन तंतु एक दूसरे के साथ गुथे हुए हैं।

यह इस सम्मिश्र की श्रेष्ठता को दर्शाता है जो इसको परम्परागत प्रक्रमों से बनाये गए 1-D और 2-D कार्बन तंतु प्रबलित तंतु मैट्रिक्स सम्मिश्र से अलग करता है। कार्बन तंतु के आपस में गुथे हुए होने के कारण इस सम्मिश्र में चिप्पिंग नहीं होती है। कार्बन तंतु की सतह दर सतह हटने के घटनाक्रम को चिंप्पिग कहते हैं। यह घटनाक्रम परम्परागत 1-D और 2-D कार्बन तंतु प्रबलित कार्बन मैट्रिक्स सम्मिश्र में अक्सर देखा जाता है। इस विशिष्टता के कारण इस सम्मिश्र का इस्तेमाल रबिंग वाले प्रयोग जैसे की पंखुड़ियाँ आदि में अन्य कार्बन/कार्बन सम्मिश्र की तुलना में ज्यादा अच्छा रहता है। इसकी प्रमाणिकता इससे बनी पखुंड़ियों के प्रयोग ने सिद्ध कर दी है। रैंडम्ली ओरिएंटेड कार्बन/कार्बन सम्मिश्र से बनी पंखुड़ियों की निष्पादनता अन्य कार्बन/कार्बन सम्मिश्र सम्मिश्र से काफी अच्छी पाई गई।

Fig-7चित्र 7 (b) में रैंडम्ली ओरिएंटेड कार्बन/कार्बन सम्मिश्र फ्रैक्चर सतह को दर्शाया गया है। चित्र 7(b) से साफ दिखाई देता है कि टेस्ट के दौरान फैलते वक्त कार्बन तंतु की पुल्लिंग हुई है। यह पुल्लिंग वांछित होती है। कार्बन तंतु की इस पुल्लिंग वांछनीयता को अन्य शोधकर्ताओं ने दर्शाया है। इस पुल्लिंग की वजह से कार्बन/कार्बन सम्मिश्र की फ्रैक्चर टफनेस बढ़ जाती हैं। जबकि कार्बन/कार्बन सम्मिश्र स्वभाव से सीरामिक होने की वजह से कम फ्रैक्चर टफनेस रखता है।

निष्कर्ष


1. रैंडम्ली ओरिएंटेड कार्बन/कार्बन सम्मिश्र से पंखुड़ी को सफलता पूर्वक बनाया गया।

2. बनाई गई कार्बन/कार्बन सम्मिश्र पंखुड़ी के गुणधर्मों को परम्परागत प्रक्रम से बनाये गये कार्बन/कार्बन सम्मिश्र से बनाई गई पंखुड़ी के गुणधर्मों से काफी अच्छा पाया गया।

3. रैंडम्ली ओरिएंटेड कार्बन/कार्बन सम्मिश्र से बनाई गई पंखुड़ी की परिसज्जा काफी अच्छी पाई गई।

4. परम्परागत प्रक्रम से बनाये गये कार्बन सम्मिश्र से बनी पंखुड़ी की तुलना में रैंडम्ली ओरिएंटेड कार्बन/कार्बन सम्मिश्र से बनी पंखुड़ी को कम समय में अल्प लागत से बनाया गया।

5. रैंडम्ली ओरिएंटेड कार्बन/कार्बन सम्मिश्र पंखुड़ी की निष्पादनता काफी अच्छी पाई गई।

आभार


1. लेखक श्री वी के विनीत, श्री ओमेन्द्र मिश्र, श्री हेनरी और श्री मुकेश भाई को रैंडम्ली ओरिएंटेड कार्बन/कार्बन सम्मिश्र और पंखुड़ी बनाने में दिए गए सहयोग के लिये; मैस. ईपीईएस कार्बाइड इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कायेम्बतूर को पंखुड़ियों की स्लाइसिंग और परिसज्जा करने के लिये; एमसीडी, एएसडी और एएनएलडी विभागों द्वारा कच्चे पदार्थ और कार्बन/कार्बन सम्मिश्र के अभिलक्षण में दिए गए सहयोग के लिये आभार व्यक्त करते हैं।

संदर्भ


1. Revikumar N, Rajesh V & Ganapathi S, Optimisation of manufacturing process for carbon/carbon composite vanes for aerospace applications, VSSC Manuscript, VSSC MS 01-021 (2001) 1-4.

2. Veerasamy K, Krishna K K K & Mohanan P B, Indigenous development of carbon/carbon vanes for hot gas motor of L40/L 37-5 engines, VSSC Manuscript, VSSC MS 04-014 (2004) 1-4.

3. Xiong X, Hunang B-Y, Li J-h & Xu H-j, Friction Behaviours of carbon/carbon composites with different pyrolytic carbon textures, Carbon, 44 (3) (2006) 463-67.

4. Yudin V E, Goykhman M Y, Balik K, Glogar P, Polivka P, Gubanova G N & Kudryavtsev V V, carbon/carbon composites G N & Kudryavstsev V V, carbon/carbon composites based on a polyimide matrix with coal tar pitch, Carbon, 40 (9) (2002) 1427-33.

5. Manocha L M, Patel M, Manocha S M, Vix-Guterl C & Ehrburger P, carbon/carbon composites with heat & treated pitches I-Effect of treatment in air on the physical characteristics of coal tar pitches and the carbon matrix derived there from, Carbon, 39 (5) (2001) 663-71.

6. Liedtke V & Huttinger K J, Mesophase pitches as matrix precursor of carbon fiber reinforced carbon : III-Mechanical properties of composites after carbonization and graphitization treatment, Carbon, 34 (9) (1996) 1081-86.

7. Vix-Guterl C, Shah S, Dentzer J, Ehrburger P, Manocha L M, Patel M & Manocha S, carbon/carbon composites with heat & treated pitches II, Development of porosity in composites, Carbon, 39 (5) (2001) 673-83.

8. Oh S M, Park Y D, Lim Y S & Yoon B I, Microstructure of matrix derived from coal tar-phenolic resin mixtures in carbon/carbon composites, Carbon, 31 (2) (1993) 391-92.

9. Gajiwala H, Vaidya U K, Sodah S A & Jeelani, S Hybridized resin matrix approach applied for development of carbon/carbon composites -I, Carbon, 36 (7-8) (1998) 903-12.

10. Chen W, Yu Y, Li P, Wang C Zhou T & Yang X, Effect of new epoxy matrix for T800 carbon fiber/epoxy filament wound composites, Composites Science and Technology, 67 (11-12) (2007) 2261-70.

11. He X, Zhou Y, Jia D & Guo Y, Effect of sintering additives on microstructure and mechanical properties of short carbon fiber reinforced SiC composites prepared by precursor pyrolysis hot-pressing, Ceramics International, 32 (8) (2006) 929-34.

12. Tang H, Zeng X, Xiong X, Li L & Jizhao Z, Mechanical & tribological properties of short fiber reinforced SiC composites, Tribology International, 42 (6) (2009) 823-27.

13. He X, Guo Y, Zhou Y, Jia D microstructure of short carbon fiber reinforced SiC composites prepared by hot-pressing, Materials Characterization, 59 (2) (2008) 1771-75.

14. Li S, Zhang Y, Han J & Zhou Y, Random chopped fibers in reaction bonded SiC composites composite : Morphology etching and reinforcing properties, Materials Science and Engineering A, 551 (2012) 104-109.

15. Raunija T S K, Babu S & Wesley C S, A process of producing carbon/carbon composite, Indian Patent, Application No-1713/CHE/2012. (2012).

16. Raunija T S K, & Babu S, Randomly oriented carbon/carbon composite AIP Conference Proceeding, 1538 (2013) 168-71.

17. Raunija T S K, & Babu & Viswabaskaran V, Fiber milling equipment, Indian Patent, (2014)

18. Raunija T S K, Manwatkar S K, Sharma S C & Verma A, Morphological optimization of process parameters of randomly oriented carbon/carbon composite. Carbonlett, 15 (1) (2014) 25-31.

19. Savage G, carbon/carbon composite, New York, Champman and Hall, (1993).

20. Evans A G & Marshall D B, The mechanical behavior of ceramics matrix composites, Acta Metallurgica, 37 (10) (1989) 2567-83.

21. Odeshi A G, Mucha H & Wielage B, Manufacture and characterization of a low cost carbon fiber reinforced C/SiC dual matrix composite, Carbon, 44 (10) (2006) 1994-2001.

सम्पर्क


ठाकुर सुदेश कुमार रौनीजा, मरिअम्मा मैथ्यू एवं शरद चन्द्र शर्मा, Thakur Sudesh Kumar Raunija Marimma Mathew & Sharad Chandra Sharma
पदार्थ और यांत्रिकी एंटिटी, विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केन्द्र, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, तिरुवनन्तपुरम, केरल, Materials and Mechanical Entity, Vikram Sarabhai Center, Indian Space Research Organisation Thirvananthapuram, Kerala


Path Alias

/articles/kaarabanakaarabana-samamaisara-pankhaudai-carboncarbon-composite-vane

Post By: Hindi
×