अलवर जिला

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पंचायत समिति बहरोड की भूजल स्थिति
Posted on 27 Nov, 2015 02:50 PM
पंचायत समिति, बहरोड (जिला अलवर) अतिदोहित (डार्क) श्रेणी में वर्गीकृत

हमारे पुरखों ने सदियों से बूँद-बूँद पानी बचाकर भूजल जमा किया था। वर्ष 2001 में भूजल की मात्रा अलवर जिले में 912.30 मिलियन घनमीटर थी जो अब घटकर 794.82 मिलियन घनमीटर रह गई है। भूजल अतिदोहन के कारण पानी की कमी गम्भीर समस्या बन गई है।
यूं जी जहाजवाली
Posted on 06 May, 2014 03:23 PM

संघर्ष से शुरूआत


पहले देवरी-गुवाड़ा में छोटी-छोटी बैठकों का दौर चला। पहले गांवों का अनुशासन जरूरी था। गांव अपना अनुशासन खुद करने के लिए तैयार हो गए। तय किया गया कि अब कोई भी ग्रामवासी गांव के जंगल से पेड़ नहीं काटेगा। सब समझ गए कि जंगल कटने के कारण गाय, भैंस, बकरी, ऊंट आदि पशुओं को चारे का अभाव हो रहा है। जंगल जाने से ही पानी जा रहा है। अच्छा-खासा समृद्ध इलाका इसी कारण बेरोजगारी व गरीबी की ओर बढ़ रहा है। गरीबी, बेकारी और बेरोजगारी से बचने के लिए जरूरी है कि जंगल का संरक्षण हो।यह सच है कि 1985 में जब तरुण भारत संघ इस इलाके में आया, तब तक जंगल जंगलात के हो चुके थे और जंगलात की नजर में जंगलवासी नाजायज लेकिन यह भी सच है कि सरिस्का ‘अभ्यारण्य क्षेत्र’ बाद में घोषित हुआ और इसके भीतर बसी इंसानी बसावट सदियों पुरानी है। इसे भी झुठलाना मुश्किल है कि जंगल को जंगलात से ज्यादा जंगलवासी प्यार करते हैं। लोग भले ही इन्हें जंगली कहते हों, लेकिन जंगल को जंगलात से ज्यादा जंगलवासियों ने ही संजोया। बावजूद इसके यदि जंगलवासियों को जंगल से दूर करने की कोशिश हो रही है, तो यह सही है या गलत? आप तय करें।

हम तो यही जानते हैं कि जंगल जंगलवासियों की जन्मभूमि है। इन्हें अपनी जन्मभूमि से अत्यंत प्यार है। जन्मभूमि के प्रति इनके अनंत प्रेम को देखकर ही एक बार अलवर के महाराजा मंगल सिंह को भी सरिस्का क्षेत्र में बसे 27 गांवों को उठा देने का अपना आदेश स्वयं ही रद्द करना पड़ा था। यह ब्रितानी जमाने की बात है।
जहाज का प्रवाह
Posted on 01 May, 2014 03:27 PM जहाजवाली नदी सरिस्का के बफर जोन में पड़ने वाली दूसरी महत्वपूर्ण नदी है। इस नदी का आधे से अधिक हिस्सा सरिस्का के कोर क्षेत्र में पड़ता है। सरकार ने जब सरिस्का को नेशनल पार्क घोषित किया था, तभी से इस क्षेत्र में जंगल और जंगली जानवरों के अलावा हर बसावट को नाजायज करार दिया गया। असलियत में इस तरह के नियम-कायदे आदमी और संवेदना के खिलाफ हैं। जहाजवाली नदी के जलागम क्षेत्र का आरम्भ राजस्थान के पूर्वोत्तर भाग में स्थित अलवर जिले की तहसील राजगढ़ से होता है। यहां देवरी व गुवाड़ा जैसे गावों के जंगल इसके उद्गम को समृद्ध करते हैं। यह स्थान टहला कस्बे से 12 किलोमीटर पूर्वोत्तर में स्थित है। पूर्व से पश्चिम गुवाड़ा, बांकाला और देवरी गांवों को पार कर जहाजवाली नदी जहाज नामक तीर्थस्थान के ऊपर तक आती है इसलिए इसे जहाजवाली नदी कहते हैं।

यह धारा आगे दक्षिण की तरफ घूमकर नीचे गिरती है। उस स्थान को दहड़ा कहते हैं। ‘दह’ ऐसे स्थान को कहते हैं, जहां हमेशा जल बना रहे।
जहाज तुम बहती रहना
Posted on 21 Apr, 2014 09:42 AM

प्राक्कथन

River
एक संसद नदी की
Posted on 21 May, 2013 10:30 AM

‘अरवरी संसद’ एक ऐसी मिसाल है, जो कुशासन के इस दौर में भी सुशासन की उम्मीद जगाती है। अकाल में भी सजल बने रहना इस

Arvari sansad
‘‘मेवात के जोहड़’’ का डॉ. एसएन सुब्बाराव द्वारा लोकार्पण
Posted on 10 Jan, 2013 01:04 PM अलवर । जोहड़ पर लिखी गई पुस्तक ‘‘मेवात के जोहड़’’ का पिछले दिनों लोकार्पण सर्वोदय समाज के नेता डॉ. एसएन सुब्बाराव ने किया। इस अवसर पर पूरे मेवात में हिन्दु, मुस्लिम, सिख, इसाई एकता के लिए काम करने वाल डा. एस.
मरुभूमि का भाग्यवान समाज
Posted on 22 Oct, 2009 08:02 AM

समाज कैसे चलता है, वह अपने सारे सदस्यों को कैसे संगठित करता है, कैसे उनका शिक्षण प्रशिक्षण करता है, उन सबका प्रयोग वह कैसी कुशलता से करता है, उस समाज के एक सदस्य के रूप में मैं भी पिछले तीस साल से देख समझ रहा हूं. वह कितनी लंबी योजना बनाकर काम करता है उसे भी देखने समझने का मौका मिला है.

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