अलीराजपुर जिला

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राष्ट्रीय फ्लोरोसिस रोकथाम एवं नियंत्रण कार्यक्रम का मूल्यांकन
Posted on 07 Apr, 2016 11:41 AM
नौ साल का सफर, नहीं चल पाये अढ़ाई कोस
धार, झाबुआ, अलीराजपुर के 1141 ग्रामों में फ्लोराइड संकट
झाबुआ जिले के सर्वाधिक 75 प्रतिशत ग्राम में है फ्लोराइड का प्रभाव


इन्दौर। भारत सरकार ने 2008-09 में देश में फ्लोरोसिस की रोकथाम एवं नियंत्रण के उद्देश्य से राष्ट्रीय फ्लोरोसिस रोकथाम एवं नियंत्रण कार्यक्रम (एनपीपीसीएफ) की शुरुआत की थी। अभी तक यह कार्यक्रम चरणबद्ध तरीके से 18 राज्यों के 111 जिलों तक विस्तारित किया जा चुका है। भले ही ये राष्ट्रीय कार्यक्रम नौ सालों से चल रहा हो लेकिन मैदानी हकीकत ये है कि अभी तक मध्य प्रदेश सहित सभी 18 राज्यों में स्थिति चिन्ताजनक है।

धार, झाबुआ, अलीराजपुर बहुल जिलों में 1141 ग्रामों में इस योजना का मूल्यांकन करें तो और भी चिन्ताजनक स्थिति सामने आती है। आज भी फ्लोरोसिस के लिये इस बात की मशीन से जाँच करके अन्य बीमारियों की तरह पुष्टि करना मुश्किल हैै। राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत कहीं मशीनें उपलब्ध हैं तो कहीं मशीन चलाने वाले ही नहीं है। कुछ जगह ऐसी भी है जहाँ आज तक मशीन ही नहीं पहुँची है। ऐसे में ये राष्ट्रीय कार्यक्रम अपने उद्देश्य से बहुत दूर रह गया है।
विकास और विस्थापन
Posted on 15 Sep, 2015 03:17 PM
दुनिया का इतिहास समाज के बदलते चरित्र की कहानी ही तो है। कहते
अब धरा की प्यास बुझाएँगे
Posted on 06 Aug, 2015 01:39 PM

अब नर्मदा के पानी से बहेगी विकास की गंगा

अलीराजपुर-एक परिचय
Posted on 03 Jul, 2015 12:04 PM स्वास्थ्य विभाग के स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा फ्लोरोसिस बीमारी के गम्
भील अपने खेत पानी के टैंकर से सींचते हैं
Posted on 03 Oct, 2014 11:08 AM हम टीवी के रूपहले पर्दे पर भील आदिवासियों को रंग-बिरंगी पोषाकों में नाचते हुए देखते हैं और मोहित हो जाते हैं लेकिन जब हम उनसे सीधा साक्षात्कार करते हैं तो उनके कठिन जीवन की असलियत देख-सुनकर वह आकर्षण काफूर हो जाता है।

ऐसा ही अहसास मुझे तब हुआ जब मैं उनसे मिला और उनके दुख-दर्द की कहानियां सुनीं। हाल ही मुझे 31 अगस्त से 3 सितंबर तक पश्चिमी मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल अलीराजपुर में रहने का मौका मिला।

इस दौरान एक भिलाला युवक रेमू के साथ मैं डेढ़ दर्जन गांवों में गया। ये सभी गांव अलीराजपुर जिले में स्थित हैं। इनमें से कुछ हैं-खारकुआ, छोटा उण्डवा, तिति नानपुर, घोंगसा, उन्दरी, हिरापुर,फाटा इत्यादि।
Krishi
सांसों में घुलती मौत
Posted on 30 May, 2011 10:47 AM देश के कई हिस्सों में बड़ी तादाद में लोग सिलिकोसिस से पीड़ित हैं। पत्थरों की खदानों और कारखानों में काम करने वाले मजदूरों को यह बीमारी धीरे-धीरे मौत की तरफ ले जाती है। लेकिन इससे बचाव के लिए न तो सरकार ने कोई कदम उठाया है और न ही मालिकों को इसकी चिंता है। इस बीमारी के कारणों और मजदूरों की बेबसी का जिक्र कर रहे हैं।
नर्मदा में जमीन हक का हल्ला बोल
Posted on 23 Feb, 2012 05:35 PM

सरदार सरोवर की डूब से प्रभावित सबसे बड़ी आबादी मध्य प्रदेश की है। मध्य प्रदेश के 193 गांवों में अभी भी डेढ़ लाख से बड़ी आबादी निवास कर रही है, फिर एनवीडीए ने विस्थापितों की स्थिति को ‘‘जीरो बैलेन्स’’ क्यों बताया? सत्याग्रह स्थल पर नर्मदा बचाओ आंदोलन के एक पोस्टर में नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण को नर्मदा घाटी ‘‘विस्थापन’’ प्राधिकरण लिखा गया है। पहाड़ के 41 और निमाड़ के 17 सहित डूब में कुल 58 आदिवासी गांव प्रभावित हैं। मध्य प्रदेश के ज्यादातर पहाड़ी गांवों के सड़क संपर्क पथ वर्षों पूर्व डूब में समा गए हैं। कई गांवों की खेती-बाड़ी, घर-बार डूब चुके हैं।

कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की कथा “पूस की रात” के असली नायक 80 साल बाद भी पूस की रात में फसल बचाने के लिये नहीं, फसल उगाने की जमीन के हक के लिये पिछले दो महीनों से “जमीन हक सत्याग्रह” चला रहे हैं। अगर आप 'पूस की रात' का संग्राम जानना चाहते हैं तो मध्य प्रदेश के अलीराजपुर जिला के जोबट में शासकीय कृषि फार्म की 87 एकड़ जमीन को अपने कब्जे में लेकर हल जोत रहे आदिवासियों से मिलिये। सरदार सरोवर की डूब से प्रभावित विस्थापित आदिवासियों ने 24 नवम्बर 2011 को इंदौर से 225 कि.मी. दूर स्थित जोबट में मजबूत कंटीले लौह बेड़ों के घेरे को तोड़कर शासकीय कृषि फार्म हाउस पर अपना कब्जा जमाया और खुले आकाश में “जमीन हक सत्याग्रह” शुरू कर दिया। 25 वर्षों से शांतिपूर्वक अहिंसक आंदोलन कर रहे नर्मदा बचाओ आंदोलन के सैकड़ों आदिवासियों ने फार्म हाउस पर कब्जा कर सरकारी कर्मचारियों को सरकारी खेती करने से रोक दिया
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