नौ साल का सफर, नहीं चल पाये अढ़ाई कोस
धार, झाबुआ, अलीराजपुर के 1141 ग्रामों में फ्लोराइड संकट
झाबुआ जिले के सर्वाधिक 75 प्रतिशत ग्राम में है फ्लोराइड का प्रभाव
इन्दौर। भारत सरकार ने 2008-09 में देश में फ्लोरोसिस की रोकथाम एवं नियंत्रण के उद्देश्य से राष्ट्रीय फ्लोरोसिस रोकथाम एवं नियंत्रण कार्यक्रम (एनपीपीसीएफ) की शुरुआत की थी। अभी तक यह कार्यक्रम चरणबद्ध तरीके से 18 राज्यों के 111 जिलों तक विस्तारित किया जा चुका है। भले ही ये राष्ट्रीय कार्यक्रम नौ सालों से चल रहा हो लेकिन मैदानी हकीकत ये है कि अभी तक मध्य प्रदेश सहित सभी 18 राज्यों में स्थिति चिन्ताजनक है।
धार, झाबुआ, अलीराजपुर बहुल जिलों में 1141 ग्रामों में इस योजना का मूल्यांकन करें तो और भी चिन्ताजनक स्थिति सामने आती है। आज भी फ्लोरोसिस के लिये इस बात की मशीन से जाँच करके अन्य बीमारियों की तरह पुष्टि करना मुश्किल हैै। राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत कहीं मशीनें उपलब्ध हैं तो कहीं मशीन चलाने वाले ही नहीं है। कुछ जगह ऐसी भी है जहाँ आज तक मशीन ही नहीं पहुँची है। ऐसे में ये राष्ट्रीय कार्यक्रम अपने उद्देश्य से बहुत दूर रह गया है।
एनपीपीसीएफ के उद्देश्य
परियोजना की शुरुआत के लिये पीने की पानी एवं स्वच्छता मंत्रालय के फ्लोरोसिस के बेसलाइन सर्वे डाटा का संग्रह करना प्रमुख उद्देश्य था। चुने हुए क्षेत्रों में फ्लोरोसिस का व्यापक प्रबन्धन एनपीपीसीएफ की रणनीति का प्रमुख हिस्सा है। प्रशिक्षण एवं श्रमबल समर्थन के रूप में क्षमता निर्माण चिकित्सा अस्पतालों में नैदानिक सुविधाओं की स्थापना भी इसका प्रमुख उद्देश्य रहा है। लेकिन इन उद्देश्यों पर राष्ट्रीय कार्यक्रम कितना खरा है यह मैदानी स्थिति पर ही मालूम होता है।
गतिविधियाँ
फ्लोरोसिस का ग्राम प्रखण्ड क्लस्टरवार सामुदायिक रोग निदान की गतिविधि की जानी थी। रोकथाम व स्वास्थ्य संवर्धन, नैदानिक सुविधाएँ उपलब्ध कराना प्रमुख हिस्सा है। शल्य चिकित्सा एवं चिकित्सा पुनर्वास के दृष्टिकोण से जिलेवार बेहतर स्थिति बनाना थी।
इन सब व्यवस्थाओं के बारे में प्रावधान से लेकर अन्य स्तर पर काम होने थे लेकिन आज तक इस राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत कोई विशेष व्यवस्था नहीं हो पाई। हालात ये रहे कि देश में राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत प्रभावित लाखों-करोड़ों लोगों को जो लाभ मिलना चाहिए था वह नहीं मिल पाया। इस बात का अन्दाजा इससे लगाया जा सकता है कि अब तक सर्जरी के लिये कोई प्रावधान नहीं है।
धार, झाबुआ, अलीराजपुर में बुरे हैं हाल
आदिवासी बहुल धार, झाबुआ, अलीराजपुर जिले में राष्ट्रीय फ्लोरोसिस निवारण एवं नियंत्रण कार्यक्रम लागू किये कई बरस हो गए हैं। इस कार्यक्रम के माध्यम से निश्चित रूप से एक बड़े बदलाव की उम्मीद की जा रही थी लेकिन साधन और मानव संसाधन दोनों की कमी के चलते दिक्कतें हैं। फिलहाल राष्ट्रीय कार्यक्रम पूरा जागरुकता पर टिक चुका है।
जागरुकता के लिये विभिन्न प्रयास किये जा रहे हैं। प्रशिक्षणों का दौर चल रहा है लेकिन फ्लोरोसिस पीड़ित व्यक्ति की पुष्टि करने के लिये जाँच की सुविधा अब तक शुरू नहीं हो पाई। हालात यह है कि धार में आइनोमीटर मिल गया तो टेक्निशियन नहीं है जबकि झाबुआ और अलीराजपुर में बिना टेक्निशियन के ही आइनोमीटर खरीदने की प्रक्रिया अन्तिम दौर में है।
राष्ट्रीय फ्लोरोसिस निवारण एवं नियंत्रण कार्यक्रम की बात करें तो इसमें कई तरह की कवायद होना चाहिए थी। दरअसल लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग का काम लोगों को स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने तक सीमित है। जबकि इस नियंत्रण कार्यक्रम के तहत बड़े स्तर पर कवायद जाँच और जागरुकता के लिये की जाना चाहिए।
क्या-क्या है अपेक्षाएँ
राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत मुख्य रूप से ये अपेक्षाएँ हैं कि लोगों को फ्लोरोसिस जैसी बीमारी के बारे में जागरूक किया जाये और उन्हें पोषण आदि की सलाह देकर स्वस्थ रखा जाये। एक बड़ा हिस्सा परामर्श से जुटा हुआ है। जबकि दूसरी ओर साधन और मानव संसाधन के माध्यम से लोगों में इस बीमारी की पुष्टि करना एक बहुत बड़ा काम है। अकेले धार जिले में ही 399 से अधिक गाँव फ्लोराइड की समस्या से प्रभावित है। इन ग्रामों के लिये जिला चिकित्सालय में जाँच की सुविधा उपलब्ध होना चाहिए। इसी तरह से झाबुआ और अलीराजपुर में भी राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत मिलना चाहिए था।
मशीन और मानव संसाधन की दिक्कत
धार जिले में राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक को नोडल अधिकारी बनाया गया है। इसी तरह की व्यवस्था झाबुआ और अलीराजपुर में भी की गई है। प्रत्येक जिले के लिये एक जिला सलाहकार फ्लोरोसिस की नियुक्ति होना चाहिए कितु इन तीनों ही जिलों के बीच धार के लिये नियुक्त जिला सलाहकार डॉ. एमडी भारती ही सेवा दे रहे हैं। उन्हें धार से ही तीन जिलों की व्यवस्था का संचालन करना पड़ रहा है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि तीन जिलों के बीच में यदि राष्ट्रीय कार्यक्रम की स्थिति देखें तो केवल डॉ. भारती के अलावा कोई मानव संसाधन नहीं है।
इस वजह से जिस तरह की कवायद इन तीन जिलों में होना चाहिए वह नहीं हो पाती है। फिल्ड वर्कर की नियुक्ति भी नहीं हो पाई है। पूरी तरह से मानव संसाधन की कमी है। दूसरी ओर मशीनों का महत्त्वपूर्ण रोल है। जिले में आइनोमीटर तो उपलब्ध करा दिया गया है लेकिन इसको चलाने वाला कोई नहीं है। लैब टेक्निशियन की नियुक्ति ही नहीं हो पाई है। बताया जा रहा है जिसकी नियुक्ति की गई थी वह आज तक पदभार ग्रहण करने नहीं आया। झाबुआ और अलीराजपुर की तो और भी बुरी स्थिति है। यहाँ मशीन खरीदने की प्रक्रिया चल रही है। अधिकारियों की बात माने तो आइनोमीटर इन दोनों ही जिलों में जल्द ही उपलब्ध हो जाएगा।
क्या है आइनोमीटर
दरअसल आइनोमीटर एक ऐसी मशीन है जिससे कि टेक्निशियन मनुष्य के खून व पेशाब से फ्लोरोसिस होने की पुष्टि कर सकता है। साथ ही सामान्य पानी में फ्लोराइड की मात्रा कितनी है यह भी जानकारी प्राप्त की जा सकती है। इस तरह आइनोमीटर जाँच का एक प्रमुख स्रोत है। लेकिन तीन जिलों में इनका उपयोग नहीं हो पा रहा है। इस आइनोमीटर के माध्यम से फ्लोरोसिस बीमारी का पता लगाया जा सकता है। तीन से चार लाख रुपए का यह आइनोमीटर आता है। इस आइनोमीटर को चलाने के लिये टेक्निशियन की आवश्यकता है। लेकिन टेक्निशियन की स्थिति यह है कि नियुक्ति ही नहीं हो पा रही है।
डॉक्टर भी क्या करे
राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत शासकीय और निजी क्षेत्र के चिकित्सकों को इस बात का प्रशिक्षण दिया जा रहा है कि फ्लोरोसिस की पहचान कैसे की जाये। यदि कोई मरीज के दाँत व हड्डी में फ्लोरोसिस है तो उसके लिये किस तरह से परीक्षण कर उपचार किया जाये। सबसे बड़ी बात यह है कि कई बार हड्डी के टेड़े-मेड़े होने के कारण यह मान लिया जाता है कि हड्डी की कोई अन्य बीमारी है। जबकि वह फ्लोरोसिस होती है। जब तक डॉक्टरों को जाँच के लिये कोई सुविधा नहीं मिलती है तब तक वे भी क्या कर सकते हैं।
राष्ट्रीय कार्यक्रम के लिये काफी जागरुकता लाने का प्रयास किया जा रहा है। हम प्रयास कर रहे हैं कि जाँच के लिये भी सुविधा उपलब्ध हो। सबसे बड़ा हमने काम किया है वह तीनों ही जिलों में फ्लोरोसिस प्रभावितों की पड़ताल हुई है। इसके अलावा इन तीनों ही जिलों में डॉक्टर से लेकर स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का और पीएचई विभाग का प्रशिक्षण किया है। इसके हमें बेहतर नतीजे भी मिलने लगे हैं... डॉ. एमडी भारती, जिला सलाहकार फ्लोरोसिस धार, झाबुआ, अलीराजपुर
आदिवासी बहुल तीन जिलों में फिल्ड वर्कर ही नहीं
प्रदेश स्तर पर राष्ट्रीय कार्यक्रम के लिये एक नोडल अधिकारी नियुक्त है। प्रदेश में इसकी जिम्मेदारी डॉ. सीएम त्रिपाठी को दी गई है। उनके पास में इस कार्यक्रम के साथ में अन्य कार्यक्रमों की जिम्मेदारी है। इससे अन्दाजा लगाया जा सकता है कि मानव संसाधनों को लेकर इस कार्यक्रम में अतिरिक्त व्यवस्था नहीं है। यही वजह है कि प्रदेश में मानव संसाधन के मामले में बेहद कमजोर स्थिति है। आदिवासी बहुल धार, झाबुआ, अलीराजपुर में तीन जिलों में केवल एक कंसल्टेंट की नियुक्ति हो पाई है।
कंसल्टेंट की नियुक्ति के मापदण्ड काफी सख्त हैं। इसके लिये पीएचडी, लाइफ साइंस। प्रत्येक जिले में लैब टेक्निशियन इसलिये नहीं मिल पा रहे हैं क्योंकि इस कार्यक्रम के तहत मानदेय या वेतनमान कम है। बताया जा रहा है कि धार, झाबुआ, अलीराजपुर के लिये बाकायदा विज्ञापन प्रकाशित करके टेक्निशियन पद के लिये आवेदन आमंत्रित किये गए थे। इसके बाद में प्रक्रिया की गई और इसमें कुछ लोगों ने आवेदन भी किये। कुछ लोगों को इंटरव्यू के माध्यम से चयनित भी कर लिया गया। लेकिन मुश्किल यहाँ आई कि उन्हें अच्छा मानदेय नहीं मिला।
परिणामस्वरूप वे दूर के किसी जिले से चयनित होकर धार, झाबुआ, अलीराजपुर में नहीं पहुँच पाये। कम मानदेय और असुरक्षित नौकरी के चलते लोग करियर ही नहीं बना पा रहे हैं। इसी तरह का हाल फिल्ड वर्करों के मामले में भी है। दरअसल इस राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत सबसे महत्त्वपूर्ण भूमिका फिल्ड वर्करों की भी है। लेकिन फिल्ड वर्कर उपलब्ध नहीं हो पाते हैं। इनके अभाव में मैदानी स्तर पर रोगियों को चिन्हित करना और डेटाबेस तैयार करने का काम बहुत कमजोर स्थिति में है।
प्रत्येक जिले में तीन-तीन फिल्ड इन्वेस्टीगेटर यानी फिल्ड वर्कर होना चाहिए। दरअसल फिल्ड इन्वेस्टीगेटर को बहुत ही कम मानदेय दिया जाता है। साथ ही छह माह के लिये ही तैनात किया जाता है। इस वजह से फिल्ड इन्वेस्टीगेटर जो कि इस कार्यक्रम की महत्त्वपूर्ण कड़ी है वह उपलब्ध ही नहीं हो पा रहे हैं। फिल्ड वर्करों की नियुक्ति कहीं नहीं हो पाई है। इस तरह हर हाल में कहीं-न-कहीं ये कार्यक्रम मानव संसाधन की कमी से जूझ रहा है।
तीन जिलों को मिले थे ढाई करोड़, खर्च नहीं हो पाये
उक्त 3 जिलों को पैसा मिल रहा है लेकिन खर्च नहीं हो पा रहा है। वित्तीय वर्ष 2008-09 से वित्तीय वर्ष 2014-15 तक धार जिले को 84 लाख रुपए मिले। इसमें से 5 लाख 26 हजार ही खर्च हो सके। झाबुआ जिले को 84 लाख मिले लेकिन उन्हें खर्च ही नहीं किया जा सका। यही हाल अलीराजपुर का भी रहा। यहाँ 84 लाख मिले और खर्च कुछ भी नहीं हुआ।
इस तरह 3 जिलों को 2 करोड़ 52 लाख 26 हजार रुपए मिले। किन्तु इतनी बड़ी रकम में से मात्र 5 लाख 26 हजार ही खर्च हो सके। इससे अन्दाजा लगाया जा सकता है कि बजट ही खर्च नहीं कर पा रहे हैं। पैसे की कमी इस कार्यक्रम में नहीं है। मानव संसाधन और मॉनीटरिंग की बेहद कमजोरी के चलते बुरे हाल हैं। बजट को लेकर एक महत्त्वपूर्ण बात यह सामने आई है कि इसमें हर जिले के लिये मेडिकल मैनेजमेंट के लिये पैसा रखा जा रहा है। उदाहरण के तौर पर मेडिकल मैनेजमेंट के नाम पर 19 लाख रुपए का प्रावधान किया जा रहा है। जबकि स्थिति यह है कि मेडिकल मैनेजमेंट के नाम पर सर्जरी आदि के लिये पैसा ही खर्च नहीं होता है।
फ्लोरोसिस नियंत्रण कार्यक्रम अन्तर्गत प्रशिक्षण
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र मनावर पर को फ्लोराइड नियंत्रण कार्यक्रम अन्तर्गत प्रशिक्षण आयोजित किया गया। इसमें 6 विकासखण्ड के प्रतिभागियों ने भाग लिया। कार्यक्रम के जिला सलाहकार (फ्लोरोसिस) डॉ. एमडी भारती ने बताया कि धार जिले में 399 ग्राम फ्लोराइड से प्रभावित हैं तथा इन ग्रामों में फ्लोरोसिस की बीमारी होने की अधिक सम्भावना है। पीएचई विभाग से उपस्थित टेक्निशियनों द्वारा प्रतिभागियों को फ्लोराइड की जाँच पानी में किस प्रकार से की जाती है बताया गया।
सीबीएमओ जीएस चौहान ने प्रतिभागियों को समझाया कि फ्लोरोसिस में मुख्य रूप से दन्त फ्लोरोसिस एवं स्केलेटल फ्लोरोसिस से प्रभावित ग्रामवासियों को फ्लोराइडयुक्त पानी पीने से रोका जाये तथा शुद्ध जल पीने की सलाह दी जाये। साथ ही कैल्शियम तथा विटामिन सी की गोली एवं हरी सब्जियों का इस्तेमाल करने की सलाह ग्रामीणों को दें। प्रशिक्षण कार्यक्रम में निसरपुर के मुख्य खण्ड चिकित्सा अधिकारी डॉ. एनएस गेहलोत द्वारा भी फ्लोरोसिस बीमारी के विषय में प्रतिभागियों को बताया गया।
जानकारी सुपरवाइजर एचसी पाचुरेकर ने दी। इस तरह प्रशिक्षण के कार्यक्रम जरूर हो रहे हैं किन्तु प्रशिक्षित लोग आखिर में क्या व्यवस्था करे और किस तरह से काम करे उन्हें भी कुछ जानकारी नहीं है। राष्ट्रीय कार्यक्रम कई स्तरों पर खरा नहीं उतर पा रहा है। तीन जिले में केवल प्रशिक्षण देने की स्थिति अब हुई है। जबकि कागजों पर यह कार्यक्रम नौ साल से चल रहा है। मैदानी स्तर पर इस कार्यक्रम को उतरने में ही कई साल लग गए।
अकेले धार जिले में ही यह कार्यक्रम सही मायने में 2014-15 में शुरू हुआ और इसकी कुछ हलचल दिखाई देने लगी। इसके पहले तक बहुत कम लोग जानते थे कि राष्ट्रीय कार्यक्रम जैसी कोई व्यवस्था भी है। अधिकारियों की बात मानें तो इन तीन ही जिलों में अभी तक डॉक्टरों का प्रशिक्षण हो चुका हैै। स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों का प्रशिक्षण हो चुका है। सबसे बड़ी चुनौती इन तीन जिलों में यह है कि उनकी बीमारी की पुष्टि ही नहीं हो पाती। क्योंकि तीन जिलों में केवल एक जगह पर जाँच के लिये आइनोमीटर है और उसको लेकर दिक्कत हो रही है। नौ साल के राष्ट्रीय कार्यक्रम में मोहर नहीं लग पा रही है कि किस तरह से यहाँ पर इस बीमारी के होने की पुष्टि की मोहर लगाई जाये। फिलहाल विभाग विटामिन-डी आदि की गोलियाँ बाँटकर ही लोगों को सलाह देकर आगे बढ़ रहा है।
धार जिले में ही सर्जरी की हो रही है पहल
राष्ट्रीय फ्लोरोसिस निवारण एवं नियंत्रण कार्यक्रम का असर अब जाकर होगा। फ्लोरोसिस से पीड़ित दिव्यांगों को जल्द ही कैलिपर्स देने की कवायद की जा रही है। दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत उपलब्ध फंड से जरूरतमन्द लोगों की सर्जरी के लिये भी प्रयास कर रहा है। माना जा रहा है कि जल्द ही इसमें सफलता मिलेगी। मप्र के फ्लोराइड प्रभावित 14 जिलों में से धार में यह कवायद की जा रही है। दूसरी ओर अभी भी राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत कई सुविधाएँ नहीं मिली है।
गौरतलब है कि भूजल में फ्लोराइड की मात्रा अधिक होने के कारण लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ता है। जिले के लगभग सभी विकासखण्डों में फ्लोराइडयुक्त पानी की समस्या है। फ्लोराइड की अधिकता के कारण जिले के कई लोग दिव्यांग हो गए हैं। इस वजह से उनका चलना-फिरना भी दुभर हो गया है। दरअसल अब तक फ्लोरोसिस से प्रभावित यानी कंकालीय फ्लोरोसिस प्रभावित लोगों को कभी भी कोई राहत नहीं मिलती थी। लेकिन कई वर्षों से लागू राष्ट्रीय फ्लोरोसिस निवारण एवं नियंत्रण कार्यक्रम का अब जाकर लाभ मिलना शुरू हुआ है। यह कार्यक्रम 2008 से चल रहा है। लेकिन इसका सही मायने में लाभ अब लोगों को मिलने लगेगा।
क्या हो रही है पहल
जिले के फ्लोरोसिस प्रभावित दिव्यांग को चिन्हित किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग ने अब तक प्राथमिक रूप से करीब 6 लोगों को कैलिपर्स के लिये चुन भी लिया है। पहले इन्हें कैलिपर्स से सहारा दिया जाएगा। इसके बाद इनकी सर्जरी की जाएगी। विभाग का कहना है कि राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत अभी यह शुरुआत है। जल्द ही जिले में जितने भी दिव्यांग है वे इसी तरह से उपचारित किये जाएँगे। सबसे बड़ी बात यह है कि इस कार्यक्रम के तहत सर्जरी के लिये भी फंड है। दिव्यांग होने का जो अभिशाप लोग भुगत रहे हैं उससे मुक्ति मिल सकती है।
इन बच्चों को मिलेगी मुक्ति
बताया जा रहा है कि कालापानी के 6 बच्चों को कैलिपर्स मिलेंगे। इसमें सुनीता, अनिता, सन्तोष, लोकेश, उर्मिला, जीवन पिता नवलसिंह सभी निवासी कालापानी शामिल है। फ्लोराइड प्रभावित गाँव के बच्चों को पहली बार इस तरह का आसरा मिलने जा रहा है। यह बच्चे अब अपने दम पर खड़े होंगे। इतना ही नहीं भविष्य में इन बच्चों और कई युवाओं को दिव्यांगता से मुक्ति मिलेगी।
राष्ट्रीय कार्यक्रम की चुनौतियाँ
दरअसल राष्ट्रीय कार्यक्रम का मकसद फ्लोरोसिस से प्रभावित लोगों के बारे में ध्यान देने की आवश्यकता है। ऐसे लोगों को चिन्हित करना डेंटल फ्लोरोसिस प्रभावितों को पोषण के माध्यम से बाहर लाना है। उल्लेखनीय है कि फ्लोरोसिस प्रभावित क्षेत्रों में यदि दूध, दही, हरी सब्जियाँ व पोषणयुक्त खाना खाया जाता है तो निश्चित रूप से उसका लाभ मिलता है। इसके अलावा कंकालीय फ्लोरोसिस में पीड़ित बच्चों व लोगों को कैलिपर्स व सर्जरी की सुविधा उपलब्ध कराना महत्त्वपूर्ण कदम है। दरअसल कंकालीय फ्लोरोसिस में प्रभावित व्यक्ति की हड्डी टेड़ी-मेड़ी हो जाती है और इस वजह से दिव्यांगता आ जाती है।
इस सब कार्यक्रम में सबसे बड़ी चुनौती यह है कि जिले में केवल राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत जिला सलाहकार की नियुक्ति हुई है। लैब टेक्निशियन की नियुक्ति नहीं हो पाई है। फिल्ड इन्वेस्टीगेटर की भी नियुक्ति नहीं हो पाई। इस तरह की कई समस्याएँ इस कार्यक्रम के तहत आ रही हैं। तभी जाकर सही मायने में फ्लोराइड प्रभावित दिव्यांगों की संख्या स्पष्ट होगी। अभी तक करीब 100 लोगों में इस तरह की परेशानी वाली बात सामने आई है। इस तरह के आँकड़े पहली बार सामने आ रहे हैं।
देश के साथ मध्य प्रदेश में और आदिवासी बहुल धार, झाबुआ, अलीराजपुर में राष्ट्रीय कार्यक्रम लागू तो है लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अन्य कार्यक्रम जिस तरह से सबसे उपर है वो यहाँ देखने को नहीं मिलता है। जिन लोगों पर इस कार्यक्रम की निगरानी और मॉनीटरिंग की जिम्मेदारी है उन लोगों के पास व्यस्तताएँ हैं। आज हालात ये है कि राष्ट्रीय कार्यक्रम केवल मैदानी कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने तक सीमित रह गया है। इस मामले में निदान और अन्य कवायद बेहद पिछड़ चुकी है। जो जिम्मेदार हैं उन्हें इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। मध्य प्रदेश शासन के सभी विभाग में समन्वय का भी अभाव है।
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, ग्रामीण विकास विभाग और स्वास्थ्य विभाग तीनों ही इसमें महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं लेकिन तीनों ही विभागों में समन्वय का अभाव है। यही वजह है कि जिम्मेदार लोग काम नहीं कर पा रहे हैं। राष्ट्रीय कार्यक्रम में नौ साल बाद मध्य प्रदेश में पहली सर्जरी की उम्मीद बनी है। इसी से यह बात समझ में आती है कि किस तरह से राष्ट्रीय कार्यक्रम नौ साल से चल रहा है और इसके लिये इतने लम्बे समय बाद भी अब हलचल शुरू हुई है जबकि प्रभावित क्षेत्रों में अब तक इसके परिणाम और इनकी समीक्षा हो जाना चाहिए थी। अभी भी कमजोर मॉनीटरिंग को दूर करना होगा तभी जाकर प्रभावित क्षेत्रों में बदलाव आ पाएगा।
वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन में जिले में बच्चों के लिये कैलिपर्स बनाने की कवायद हुई है। शुरुआत में 6 बच्चों के कैलिपर्स इंदौर में बनवाए जा रहे हैं। जल्द ही ये वितरित कर दिये जाएँगे। जागरुकता के लिये हम लोगों को अपने खान-पान की आदत सुधारने के लिये कह रहे हैं। पोषण वाला खाना खाकर इससे बचा जा सकता है। साथ ही शुद्ध पानी भी उपलब्ध होना बेहद जरूरी है... डॉ. एमडी भारती, जिला सलाहकार फ्लोरोसिस धार, झाबुआ, अलीराजपुर
सर्जरी होगी
फ्लोरोसिस के राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत जिले में बेहतर काम हो रहा है। जो बच्चे और लोग दिव्यांग हो गए हैं उन्हें कैलिपर्स उपलब्ध कराने के साथ ही उनकी सर्जरी के लिये भी कदम उठाया जा रहा है। विभाग ने पहली बार इस तरह का कदम उठाया है। जिसमें बच्चों को कैलिपर्स दिये जा रहे हैं। आगामी दिनों में सर्जरी के लिये तैयारी की जाएगी... डॉ. आरसी पनिका, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी धार
धार, झाबुआ, अलीराजपुर एक नजर में
1. धार-कुल गाँवों की संख्या 1500
2. 399 गाँव हैं फ्लोराइड प्रभावित
3. 26 प्रतिशत ग्राम हैं प्रभावित
4. झाबुआ-कुल गाँवों की संख्या 777
5. 590 गाँव फ्लोराइड प्रभावित
6. 75 प्रतिशत ग्राम हैं प्रभावित
7. अलीराजपुर-कुल गाँवों की संख्या 517
8. 152 गाँव फ्लोराइड प्रभावित
9. 29 प्रतिशत ग्राम हैं प्रभावित
01 अप्रैल 2014 तक फ्लोराइड से प्रभावित जनसंख्या और बस्तियों का विवरण
क्र. सं. | राज्य | बस्ती | जनसंख्या |
1. | आन्ध्र प्रदेश | 745 | 1091394 |
2. | बिहार | 893 | 491923 |
3. | छत्तीसगढ़ | 132 | 34720 |
4. | गोवा | 0 | 0 |
5. | गुजरात | 63 | 90704 |
6. | हरियाणा | 15 | 53455 |
7. | हिमाचल प्रदेश | 0 | 0 |
8. | जम्मू और कश्मीर | 2 | 7911 |
9. | झारखण्ड | 12 | 5260 |
10. | कर्नाटक | 1122 | 1329602 |
11. | केरल | 102 | 275557 |
12. | मध्य प्रदेश | 1055 | 454054 |
13. | महाराष्ट्र | 307 | 672939 |
14. | ओड़िशा | 279 | 55269 |
15. | पंजाब | 1 | 568 |
16. | राजस्थान | 7670 | 4004613 |
17. | तमिलनाडु | 0 | 0 |
18. | तेलंगाना | 1174 | 1922783 |
19. | उत्तर प्रदेश | 180 | 143967 |
20. | उत्तराखण्ड | 2 | 10889 |
21. | पश्चिम बंगाल | 251 | 178205 |
22. | अरुणाचल प्रदेश | 0 | - |
23. | असम | 128 | 58780 |
24. | मणिपुर | 0 | 0 |
25. | मेघालय | 0 | 0 |
26. | मिजोरम | 0 | 0 |
27. | नागालैंड | 0 | 0 |
28. | सिक्किम | 0 | 0 |
29. | त्रिपुरा | 0 | 0 |
30. | अंडमान और निकोबार | 0 | 0 |
31. | चंडीगढ़ | 0 | 0 |
32. | दादर और नागर हवेली | 0 | 0 |
33. | दमन और दीव | 0 | 0 |
34. | लक्षद्वीप | 0 | 0 |
35. | पुडुचेरी | 0 | 0 |
| कुल | 14133 | 11770593 |
एनपीपीसीएफ के तहत राज्यों/जिलों को वर्षवार फंड रिलीज का कुल व्यय
| जिलों के नाम | जारी फंड (लाख रुपए में) | कुल जारी | कुल खर्च | ||||||
2008-09 | 2009-10 | 2010-11 | 2011-12 | 2012-13 | 2013-14 | 2014-15 | ||||
1. आन्ध्र प्रदेश | 1. नेल्लोर | 31.66 | - | - | - | - | - | - | 31.66 | 27.96 |
| 2. नलगोंडा | - | 25.00 | - | 22.92 | - | - | - | 47.92 | 42.82 |
| 3. करीमनगर | - | - | 42.10 | - | - | - | - | 42.10 | 25.08 |
| 4. प्रकाशम | - | - | 42.10 | - | - | - | - | 42.10 | 28.97 |
| 5. गुंटुर | - | - | - | 42.10 | - | - | - | 42.10 | 6.07 |
| 6. मेहबूब नगर | - | - | - | 42.10 | - | - | - | 42.10 | 8.26 |
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| 247.98 | 139.16 |
2. असम | 7. नगाँव | - | 25.00 | - | - | - | 9.97 | - | 34.97 | 21.73 |
| 8. के. लॉन्ग | - | - | 42.10 | - | - | - | - | 42.10 | 30.56 |
| 9. कामरूप | - | - | 42.10 | - | - | - | - | 42.10 | 16.44 |
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| 119.17 | 68.73 |
3. बिहार | 10. नवादा | - | 25.00 | - | - | - | - | - | 25.00 |
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| 11. बांका | - | - | 42.10 | - | - | - | - | 42.10 |
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| 12. औरंगाबाद | - | - | 42.10 | - | - | - | - | 42.10 |
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| 13. भागलपुर | - | - | 42.10 | - | - | - | - | 42.10 |
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| 14. गया | - | - | 42.10 | - | - | - | - | 42.10 |
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| 15. जमुई | - | - | 42.10 | - | - | - | - | 42.10 |
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| 16. नालंदा | - | - | 42.10 | - | - | - | - | 42.10 |
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| 17. शेखपुरा | - | - | 42.10 | - | - | - | - | 42.10 |
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| 18. कैमुर | - | - | - | 42.10 | - | - | - | 42.10 |
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| 19. मुंगेर | - | - | - | 42.10 | - | - | - | 42.10 |
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| 403.90 | Nil |
4. छत्तीसगढ़ | 20. दुर्ग | - | 25.00 | - | - | - | 7.00 | - | 32.00 | 17.00 |
| 21. कांकेर | - | - | - | - | - | 22.50 | - | 22.50 | - |
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| 54.50 | 17.00 |
5. गुजरात | 22. जामनगर | 31.66 | - | - | - | - | 14.80 | - | 46.46 | 31.46 |
| 23. साबरकांठा | - | - | 42.10 | - | - | - | - | 42.10 | 7.93 |
| 24. वड़ोदरा | - | - | - | - | - | 22.50 | - | 22.50 | - |
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| 111.06 | 33.28 |
6. हरियाणा | 25. महेन्द्रगढ़ | - | - | 42.10 | - | - | - | - | 42.10 | 6.99 |
| 26. मेवात | - | - | 42.10 | - | - | - | - | 42.10 | 7.93 |
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| 84.20 | 14.92 |
7. झारखण्ड | 27. पलामू | - | 25.00 | - | - | - | - | - | 25.00 | 0.48 |
| 28. गढ़वा | - | - | 42.10 | - | - | - | - | 42.10 | - |
| 29. चतरा | - | - | 42.10 | - | - | - | - | 42.10 | - |
| 30. हजारीबाग | - | - | - | 42.10 | - | - | - | 42.10 | - |
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| 151.30 | 0.48 |
8. कर्नाटक | 31. मैसूर | - | 25.00 | - | - | - | 1.78 | - | 26.78 | 23.34 |
| 32. बेल्लारी | - | 25.00 | - | - | - | 2.05 | - | 27.05 | 24.64 |
| 33. चिक्काबाल्लापुर | - | - | 42.10 | - | - | - | - | 42.10 | 2.27 |
| 34. कोपल | - | - | 42.10 | - | - | - | - | 42.10 | 12.48 |
| 35. देवेंगेरे | - | - | 42.10 | - | - | - | - | 42.10 | 10.02 |
| 36. तुमकुर | - | - | 42.10 | - | - | - | - | 42.10 | 6.83 |
| 37. बंगालकोट | - | - | - | 42.10 | - | - | - | 42.10 | 7.41 |
| 38. बंगलोर (यू) | - | - | - | 42.10 | - | - | - | 42.10 | 4.95 |
| 39. बीजापुर | - | - | - | 42.10 | - | - | - | 42.10 | 6.71 |
| 40. रायचुर | - | - | - | 42.10 | - | - | - | 42.10 | 15.22 |
| 41. चित्रा दुर्गा | - | - | - | 42.10 | - | - | - | 42.10 | 10.71 |
| 42. गडग | - | - | - | 42.10 | - | - | - | 42.10 | 8.46 |
| 43. गुलबर्गा | - | - | - | 42.10 | - | - | - | 42.10 | 7.86 |
| 44. हसन | - | - | - | 42.10 | - | - | - | 42.10 | 11.27 |
| 45. कोलार | - | - | - | 42.10 | - | - | - | 42.10 | 10.77 |
| 46. मंडिया | - | - | - | 42.10 | - | - | - | 42.10 | 10.75 |
| 47. रामनगरम | - | - | - | 42.10 | - | - | - | 42.10 | 8.08 |
| 48. शिमोगा | - | - | - | 42.10 | - | - | - | 42.10 | 9.08 |
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| 727.43 | 182.99 |
9. केरल | 49. पल्लकड़ | - | 25.00 | - | - | - | 1.26 |
| 26.26 | 26.21 |
| 50 अलप्पुजा | - | - | - | 42.10 | - |
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| 42.10 | 4.49 |
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| 68.36 | 30.70 |
10. मध्य प्रदेश | 51. उज्जैन | 31.66 | - | - | 25.88 | - | - | - | 57.54 | 43.03 |
| 52. धार | - | - | 42.10 | - | - | - | - | 42.10 | 5.26 |
| 53. सिवनी | - | - | 42.10 | - | - | - | - | 42.10 | 7.15 |
| 54. छिंदवाड़ा | - | - | 42.10 | - | - | - | - | 42.10 | 9.87 |
| 55. मंडला | - | - | 42.10 | - | - | - | - | 42.10 | 8.93 |
| 56. बैतुल | - | - | 42.10 | - | - | - | - | 42.10 | 8.93 |
| 57. झाबुआ | - | - | - | - | 42.10 | - | - | 42.10 | - |
| 58. रायगढ़ | - | - | - | - | 42.10 | - | - | 42.10 | - |
| 59. सिहोर | - | - | - | - | 42.10 | - | - | 42.10 | - |
| 60. अलिराजपुर | - | - | - | - | 42.10 | - | - | 42.10 | - |
| 61. डिंडौरी | - | - | - | - | 42.10 | - | - | 42.10 | - |
| 62. खरगाँव | - | - | - | - | 42.10 | - | - | 42.10 | - |
| 63. रायसेन | - | - | - | - | 42.10 | - | - | 42.10 | - |
| 64. शाजापुर | - | - | - | - | 42.10 | - | - | 42.10 | - |
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| 604.82 | 74.24 |
11. महाराष्ट्र | 65. चंदेरपुर | - | 25.00 | - | - | - | - | - | 25.00 | 17.86 |
| 66. नांदेड़ | - | 25.00 | - | - | - | - | - | 25.00 | 25.00 |
| 67. लातुर | - | - | 42.10 | - | - | - | - | 42.10 | 7.25 |
| 68. वशीम | - | - | 42.10 | - | - | - | - | 42.10 | 2.83 |
| 69. यवतमाल | - | - | 42.10 | - | - | - | - | 42.10 | 7.07 |
| 70. बीड़ | - | - | - | 42.10 | - | - | - | 42.10 | 3.60 |
|
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| 218.40 | 63.61 |
12. ओड़िशा | 71. नयागढ़ | 31.66 | - | - | - | - | - | - | 31.66 | 13.60 |
| 72. अनुगुल | - | - | 42.10 | - | - | - | - | 42.10 | 3.77 |
| 73. नौपाड़ा | - | - | 42.10 | - | - | - | - | 42.10 | 9.76 |
|
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| 115.86 | 27.13 |
13. पंजाब | 74. संगरुर | - | 25.00 | - | - | - | - | - | 25.00 | 1.22 |
| 75. फिरोजपुर | - | - | 42.10 | - | - | - | - | 42.10 | - |
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| 67.10 | 1.22 |
14. राजस्थान | 76. नागौर | 31.66 | - | - | - | - | 15.40 | - | 47.06 | 33.42 |
| 77. अजमेर | - | - | 42.10 | - | - | - | - | 42.10 | 23.08 |
| 78. राजसमन्द | - | - | 42.10 | - | - | - | - | 42.10 | 22.47 |
| 79. भीलवाड़ा | - | - | 42.10 | - | - | - | - | 42.10 | 17.27 |
| 80. टोंक | - | - | 42.10 | - | - | - | - | 42.10 | 16.72 |
| 81. जोधपुर | - | - | 42.10 | - | - | - | - | 42.10 | 19.89 |
| 82. बीकानेर | - | - | - | 42.10 | - | - | - | 42.10 | 13.74 |
| 83. चुरु | - | - | - | 42.10 | - | - | - | 42.10 | 14.16 |
| 84. दौसा | - | - | - | 42.10 | - | - | - | 42.10 | 17.98 |
| 85. डुंगरपुर | - | - | - | 42.10 | - | - | - | 42.10 | 18.16 |
| 86. जयपुर | - | - | - | 42.10 | - | - | - | 42.10 | 16.12 |
| 87. जैसलमेर | - | - | - | 42.10 | - | - | - | 42.10 | 12.54 |
| 88. जालोर | - | - | - | 42.10 | - | - | - | 42.10 | 10.17 |
| 89. पाली | - | - | - | 42.10 | - | - | - | 42.10 | 16.01 |
| 90. सीकर | - | - | - | 42.10 | - | - | - | 42.10 | 11.76 |
| 91. उदयपुर | - | - | - | 42.10 | - | - | - | 42.10 | 17.28 |
| 92. सवाई माधोपुर | - | - | - | - | - | 22.50 | - | 22.50 | - |
| 93. बंसवारा | - | - | - | - | - | 22.50 | - | 2250 | - |
|
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| 762 | 280.77 |
15. तमिलनाडु | 94. धर्मापुरी | 31.66 | - | - | 9.30 | - | 17.93 | - | 58.89 | 45.07 |
16. उत्तर प्रदेश | 95. उन्नाव | - | 25.00 | - | - | 28.00 | - | - | 53.00 | 19.79 |
| 96. राय बरेली | - | 25.00 | - | - | - | - | - | 25.00 | 23.81 |
| 97. प्रतापगढ़ | - | - | 42.10 | - | - | - | - | 42.10 | 8.87 |
| 98. फिरोजाबाद | - | - | 42.10 | - | - | - | - | 42.10 | 6.57 |
| 99. मथुरा | - | - | - | 42.10 | - | - | - | 42.10 | - |
17. पश्चिम बंगाल | 100. बांकुड़ा | - | 25.00 | - | - | 28.00 | - | - | 53.00 | 28.38 |
| 101. बीरभूम | - | - | 42.10 | - | - | - | - | 42.10 | 11.58 |
| 102. पुरुलिया | - | - | 42.10 | - | - | - | - | 42.10 | 18.76 |
| 103. डी. दिनाजपुर | - | - | 42.10 | - | - | - | - | 42.10 | 23.97 |
| 104. मालदा | - | - | - | 42.10 | - | - | - | 42.10 | 0.21 |
|
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| 221.40 | 82.90 |
18. जम्मू और कश्मीर | 105. डोडा | - | - | - | - | - | 22.50 | - | 22.50 | - |
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