विमल भाई

विमल भाई
‘अंतरराष्ट्रीय बड़े बाँध विरोध दिवस’ पर विष्णुगाड-पीपलकोटी बाँध का विरोध
Posted on 16 Mar, 2013 11:22 AM
राज्य के बांधों में, सुरंगे पहाड़ों को 1500 कि.मी.
स्वामी सानंद के उपवास को समर्थन क्यों?
Posted on 26 Feb, 2013 10:40 PM
सानंद जी का निर्णय भले ही एकल हो किन्तु वह सरकारी कार्यनीति पर कड़
विष्णुगाड़-पीपलकोटी बांध को अभी द्वितीय चरण की वन स्वीकृति नहीं है।
Posted on 05 Feb, 2013 04:09 PM
राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के 14 नवंबर 2011 के आदेश में पर्यावरण एंव वन मंत्रालय को निर्देश दिया गया था कि वो विभिन्न बांध परियोजनाओं में भौतिक, जैविक और सामाजिक दृष्टि से एक-दूसरे पर पड़ने वाले असरों पर एक उचित समिति बनाये जिसके निणर्य व सिफारिशें निश्चित समय पर आये ताकि लाभ-लागत का अनुपात निकालने में पर्यावरण एंव वन मंत्रालय को अंतिम निर्णय लेने के समय अनचाही पर्यावरणीय एवं पारिस्थितिकीय खतरे को दूर किया जा सके।उत्तराखंड में अलकनंदा गंगा पर प्रस्तावित विष्णुगाड़-पीपलकोटी बांध परियोजना पर अभी रोक जारी है। 25 जनवरी को सर्वोच्च न्यायालय के हवाले से जारी अंग्रेजी के एक अखबार में भ्रामक खबर आई और उसके बाद विश्वबैंक व अन्य सरकारी परियोजनाओं से जुड़ी देहरादून स्थित एक एनजीओ वक्तव्य जारी किया गया जिसे कई अन्य अखबारों ने छाना है। हम बताना चाहेंगे की इस तरह से फैलाई गई बातें भ्रामक, तथ्यहीन, आधारहीन है।
सभी प्रभावितों के लिये पुनर्वास नीति एक हो!
Posted on 29 Sep, 2012 02:35 PM
नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले के समय भी पुर्नवास कि स्थिति भी बहुत खराब थी। जगह-जगह पुनर्वास के लिए आन्दोलन चल रहे थे। वादियों ने अगले दिन ही 30 अक्टूबर 2005 को माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने इस फैसले को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई। लगभग 7 वर्ष से चल रहे मुकदमें में 40 से ज्यादा आदेशों द्वारा विस्थापितों के पुनर्वास की प्रक्रिया आगे बढ़ी साथ ही टिहरी बांध का जलाशय अभी भी 820 मीटर से ऊपर भरने की इजाजत नहीं है। उत्तराखंड में भागीरथी पर बने टिहरी बांध पर सर्वोच्च न्यायालय में चल रहे मुकदमें की अंतिम सुनवाई चालू हो गई है। माननीय न्यायाधीश ने अक्टूबर 2005 से चल रहे एन0 डी0 जुयाल व शेखर सिंह बनाम भारत सरकार, टीएचडीसी व अन्य मुकदमें में अंतिम सुनवाई की शुरुआत करते हुये 22-8-2012 को पहले वादियों से उनके सभी मुद्दों पर बिंदुवार जानकारी चाही जिनको बांध का जलाशय के पूरा भरने से पहले बांध प्रयोक्ता, टिहरी जलविद्युत निगम को पूरा करना चाहिये। जिनके लिए उन्हें तीन हफ्ते का समय दिया गया था।
उत्तराखंड का स्थायी विकास मुख्य प्रश्न हो
Posted on 18 Apr, 2012 03:44 PM

आज आवश्यकता है ग्राम आधारित विकास के ढांचे की। ना कि उर्जा प्रदेश के पुराने राग को दोहरने की। हम जल विद्युत परिय

गंगा पर बड़े बांधो का भ्रम
Posted on 31 Mar, 2012 04:54 PM

अलंकनंदा गंगा पर बने पहले निजी बांध (जे.पी.

बड़े बांध नहीं : स्थायी विकास चाहिए
Posted on 30 Mar, 2012 10:29 AM

भागीरथी गंगा पर जिस लोहारी-नागपाला बांध को रोका गया था वहां पर बन चुकी सुरंग को ऐसे ही छोड़ दिया है। मकानों में

रोजगार का केंद्र बने टिहरी झील
Posted on 07 Feb, 2012 03:32 PM
टिहरी बाँध विस्थापितों के अधिकारों के लिये सक्रिय ‘माटू जन संगठन’ और नागेन्द्र जगूड़ी, जगदीश रावत तथा रणवीर सिंह राणा आदि सामाजिक कार्यकर्ताओं ने टिहरी जिला पंचायत के अध्यक्ष रतन सिंह गुनसोला को एक पत्र लिख कर टिहरी व कोटेश्वर बाँध की झील में पर्यटन के लिये लाइसेंस स्थानीय निवासियों को देने की माँग की है। दैनिक अखबारों में पर्यटन विकास के नाम पर दिये गये विज्ञापन के संदर्भ में लिखे गये पत्र में आश
टिहरी बांध का जलाशय भरने से पहले पुनर्वास करो : सर्वोच्च न्यायालय
Posted on 09 Nov, 2011 10:12 AM
‘‘पुनर्वास तर्कों का विषय नहीं है। देश में प्रत्येक व्यक्ति को सम्मानपूर्वक रोटी, कपड़ा और रहने के लिये स्थान प्राप्त करने का हक है। प्रत्येक व्यक्ति के विकास से ही समाज का विकास होता है।’’ ये शब्द सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति आर0 एम0 लोधा ने न्यायमूर्ति एच0 एल0 गोखले के साथ, टिहरी 3 नवंबर को बांध संबंधी एन. डी. जयाल एंव शेखर सिंह बनाम केन्द्र सरकार और राज्य सरकार तथा अन्य मुकदमों की सुनवाई के दौरान कहे।

इसके साथ ही बांध कंपनी टिहरी जलविद्युत निगम (टीएचडीसी) द्वारा झील का जलस्तर 830 मीटर तक किये जाने का निवेदन नामंजूर कर दिया। अदालत ने टीएचडीसी को पुनर्वास के लिये उत्तराखंड राज्य सरकार द्वारा पुनर्वास पूरा करने के लिये मांगी गई 102.99 करोड़ की राशि देने का आदेश दिया।
पानी का शहर बेपानी
Posted on 09 Jun, 2011 10:55 AM
हम क्यों भूल जाते हैं कि उत्तराखंड सिर्फ ऊर्जा प्रदेश के नाम पर उजड़ने के लिए ही नहीं है। अभी उसमें बहुत ताकत है और वो ताकत है, उसके पहाड़ व जल श्रोत।
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